ज्योतिष समाधान

Friday, 26 September 2025

नवरात्रि

#नवरात्र महोत्सव में #यव रोपण...…. ❣️❣️
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#नवरात्रि के प्रथम दिन जो कलश बैठाता है वह अथवा जो कलश न बैठा कर केवल #यव उगाता है दोनों भगवतीके द्वारा अभिलषित प्राप्त करतेहैं।कभी कभी पूर्व #जीवनके #पाप इतने #बलिष्ठ होते हैं कि पूजा को ही विफल कर डालतेहैं।#विघ्नोंकी प्रबलता होतो उसकी सूचनाअनेक प्रकार से मिलती है जैसे- यव का न उग पाना, रक्षा दीप या अखण्ड दीप का बूझ जाना,कलश का फट जाना, चींटियों, मूषकों द्वारा उत्पात मचाना आदि।
यव चाहे #कलश के मूल में उगाया जाए या अलग से मिट्टी के पात्र में उसके द्वारा #भविष्य की सूचना दी जाती है।मैंने स्वयं अपने अनेक व्यक्तिगत #नवरात्रि पूजन में यवों के संदेश को पढा है और उसके प्रतिफल को झेला भी है।अतः यवों के प्रतीक संदेश को यहां शास्त्र की ओर से रखा जा रहा है।
#अष्टमी और #नवमी तिथि को यव अपने चरम #उत्कर्ष को प्राप्त करता है।अतः पता चल जाता है कि यह कैसा है।कैसा फल देगा?
यदि #यव हरित वर्ण का #ऊँचा उठे तथा झुके नहीं तो उत्कृष्ट फल देता है।यव के रंग से फल प्राप्ति का आभास होता है।
१-- पत्तियाँ काली हों तो उस वर्ष कम वृष्टि होती है।
२-- पत्तियाँ धूम्र वर्ण की हों तो कलह होता है।
३-- #कम जमे तो जन नाश का संकेत मिलता है।
४--श्यामवर्ण की पत्तियाँ हों तो उस वर्ष अकाल पड़ता है।
५--यव यदि तिर्यक (तिरछा) जमे तो रोग बढ़ता है।
६-- यव की पत्तियाँ कुब्ज (झुलसी सी) हों तो शत्रु भय होता है।
७-- #यव को चूहे या टिड्डे कुतर जायें तो भी विफलता और बीमारी का भय होता है।
८-- यव बढ़ कर बीच से टूट जाये तो भयावह स्थिति होती है। ऐसा प्रायः सभी यवों के साथ हो तब।
#उपाय..........
जब लग जाये कि #यव संतोषप्रद नहीं उगा है तो #नवार्ण मन्त्र से १०८ या १००८ आहुतियां देनी चाहिए।अथवा #अघोरास्त्र मन्त्र से इतना ही हवन करना कराना चाहिए।
बिना घबड़ाये #शास्त्र उक्त विधान को अपनाना चाहिए।यव की परीक्षा सप्तम या नवम दिन में की जाती है।प्राचीन काल में यव रोपण से पूर्व नान्दी श्राद्ध किया जाता था।नान्दी श्राद्ध अभ्युदय परक होता है।यह बहुत आसान होता है #सप्तशती के साथ यव रोपण प्रथम दिन होता है।
देव प्रतिष्ठा में, उपनयन में, विवाह में, स्थापना और महोत्सव में तथा शांति कर्म में यव का रोपण अवश्य किया जाता है.................
#प्रतिष्ठायां च दीक्षायां स्थापने चोत्सवे तथा।
संप्रोक्षणे च शान्त्यर्थं #विवाहे मौंजिबंधने ।।
राजशेखर तंत्र ग्रन्थ से ..........

                               

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