त्रयोदशी तिथि आरंभ: 18 अक्टूबर दोपहर 12:18 बजे
त्रयोदशी तिथि समाप्त: 19 अक्टूबर दोपहर 1:51 बजे
दीपदान समय:::::::::::
(1)धनतेरस पूजा मुहूर्त: शाम 7:16 से 8:20 बजे तक शुभ रहेगा(3)वृषभ लग्न :सायंकाल 7:16 – रात्रि 9:11 तक शुभ रहेगा
अभ्यंग स्नान मुहूर्त - प्रात: 05:13 से प्रात: 06:25
नरक चतुर्दशी के दिन चन्द्रोदय का समय - : प्रात:05:13
अमावस्या तिथि आरंभ:
20 अक्टूबर दोपहर 3:44 बजे
अमावस्या तिथि समाप्त:
21 अक्टूबर शाम 5:54 बजे
गुरुदेव भुवनेश्वर जी महाराज पर्णकुटी वालो के अनुसार अमावस्या की रात स्थिर लग्न में महालक्ष्मी की पूजा करने से घर में मां लक्ष्मी की स्थिरता बनी रहती है। वैसे तो चार स्थिर लग्न है,
वृष, सिंह, वृश्चिक, और कुंभ।
- वृश्चिक लग्न - दीवाली के दिन प्रातःकाल वृश्चिक लग्न प्रबल होता है। मन्दिरों, अस्पतालों, होटलों, विद्यालयों और महाविद्यालयों के लिये वृश्चिक लग्न के समय लक्ष्मी पूजा सर्वाधिक उपयुक्त होती है। विभिन्न टीवी और फिल्म कलाकारों, शो एन्करों, बीमा अभिकर्ताओं तथा जो लोग सार्वजनिक मामलों एवं राजनीति से जुड़े हैं, उन्हें भी वृश्चिक लग्न के दौरान देवी लक्ष्मी की पूजा करनी चाहिये।
- कुम्भ लग्न - दीवाली के दिन मध्यान्ह के समय कुम्भ लग्न प्रबल होता है। जो रोगग्रस्त एवं ऋणग्रस्त हैं, भगवान शनि के दुष्प्रभाव से मुक्ति प्राप्त करने के इच्छुक हैं, जिनके व्यापार में धन हानि हो रही है तथा व्यापार में भारी ऋण में है, उनके लिये कुम्भ लग्न में लक्ष्मी पूजा करना उत्तम होता है।
- वृषभ लग्न - दीवाली के दिन सायाह्नकाल में वृषभ लग्न प्रबल होता है। गृहस्थ, विवाहित, सन्तानवान, मध्यम वर्गीय, निम्न वर्गीय, ग्रामीण, किसान, वेतनभोगी तथा जो सभी प्रकार के व्यवसायों में संलिप्त व्यापारी हैं, उनके लिये वृषभ लग्न लक्ष्मी पूजा का सर्वोत्तम समय है। वृषभ लग्न को दीवाली पर लक्ष्मी पूजा हेतु सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त माना जाता है।
- सिंह लग्न - दीवाली के दिन मध्य रात्रि के समय सिंह लग्न प्रबल होता है। सिंह लग्न का मुहूर्त, साधु-सन्तों, सन्यासियों, विरक्तों एवं तान्त्रिकों के लिये लक्ष्मी पूजा एवं देवी लक्ष्मी को प्रसन्न करने का सर्वोत्तम मुहूर्त होता है।
चोघडिया, मुहूर्त दुकान फैक्ट्री व्यापार के लिए उपयोग कर सकते हो
प्रात: काल अमृत 06:22 से 07:48 शुभ
प्रात: काल शुभ 09:14 से 10:40 शुभ
मध्यान्ह काल चर 01:31 से 02:57 शुभ
दोपहर लाभ 02:57 से- 04:23 शुभ
सायंकाल। अमृत 04:23 से 05:48 शुभ
संध्याकाल लक्ष्मी पूजा के लिए विशेष मुहूर्त
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दिन ओर रात्रि के संक्रमण काल को गो धूली बेला कहते है
(1)गोधूली मुहूर्त सायंकाल 5:50से सायंकाल 06:15 तक
(2)लक्ष्मी पूजा मुहूर्त: शाम 7:08 से 8:18 बजे तक
(3)प्रदोष काल: सायंकाल 5:46 –से रात्रि 8:18 तक
4)वृषभ काल: सायंकाल 7:14से – रात्रि 9:012 अति शुभ मुहूर्त
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प्रदोष काल कब होता है
(1)प्रदोषोऽस्तसमयादूर्ध्वं घटिकाद्वयमिष्यते।त्र्यंशेन तस्य कालस्य यः पूज्यः स प्रदोषकः
अस्त (सूर्यास्त) के समय से ऊपर (बाद में) दो घटी का जो समय होता है, वही प्रदोषकाल कहलाता है। उस काल के तृतीयांश (एक तिहाई भाग) में जो लक्ष्मी की पूजा की जाती है, वही प्रदोषपूजा मानी जाती है।
(2)सूर्यास्तं यावत् कालं प्रदोषः संप्रकीर्तितः।
तस्य तृतीयभागस्थे पूजां कुर्यात् प्रदोषिकाम्॥
(3)अस्ताचलगतादर्कात् पूर्वं द्विघटिकापर्यन्तं च प्रदोषकालः।
अथास्तमितभानोरनन्तरं द्विघटीकान्तः स प्रदोषः परिकीर्तितः
जब सूर्य अस्ताचल (पश्चिम पर्वत) की ओर अग्रसर होता है, तो सूर्यास्त से दो घटी (लगभग 48 मिनट) पहले से लेकर सूर्यास्त के दो घटी बाद तक का जो काल होता है, वही प्रदोषकाल कहलाता है।
➡️ सूर्यास्त से 48 मिनट पूर्व आरंभ होकर
➡️ सूर्यास्त के 48 मिनट बाद तक
कुल चार घटी (लगभग 1 घंटा 36 मिनट) का काल प्रदोषकाल माना गया है।
प्रतिपदा तिथि आरंभ: 21 अक्टूबर शाम 5:54 बजे
प्रतिपदा तिथि समाप्त: 22 अक्टूबर शाम 8:16 बजे
(1)गोवर्धन पूजा प्रातःकाल मुहूर्त: 6:26 से प्रात: 09:14तक
(2)प्रात: काल 10:39से से 12:05 तक
सायाह्नकाल मुहूर्त: 3:29 – से सायंकाल 5:44
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भाई दूज: भाई दूज गुरुवार 23 अक्टूबर को है।
द्वितीया तिथि आरंभ: 22 अक्टूबर रात 8:16 बजे
द्वितीया तिथि समाप्त: 23 अक्टूबर रात 10:46 बजे
प्रात: काल 10;39से अपरान्ह 02:56 तक
+++++++++++++++++++++++++++++गुरुदेव