ज्योतिष समाधान

Tuesday, 16 September 2025

कुशा का महत्व


... कुशाग्रे वसते रुद्र: कुश मध्ये तु केशव:। कुशमूले वसेद् ब्रह्मा कुशान् मे देहि मेदिनी।।

👉🏻#कुश_की_पवित्री_का_महत्त्व
कुश की अंगूठी बनाकर अनामिका उंगली में पहनने का विधान है, ताकि हाथ द्वारा संचित आध्यात्मिक शक्ति पुंज दूसरी उंगलियों में न जाए, क्योंकि अनामिका के मूल में सूर्य का स्थान होने के कारण यह सूर्य की उंगली है।

सूर्य से हमें जीवनी शक्ति, तेज और यश प्राप्त होता है। दूसरा कारण इस ऊर्जा को पृथ्वी में जाने से रोकना भी है। कर्मकांड के दौरान यदि भूलवश हाथ भूमि पर लग जाए, तो बीच में कुश का ही स्पर्श होगा। इसलिए कुश को हाथ में भी धारण किया जाता है। इसके पीछे मान्यता यह भी है कि हाथ की ऊर्जा की रक्षा न की जाए, तो इसका दुष्परिणाम हमारे मस्तिष्क और हृदय पर पडता है।

👉🏻#पूजन_और_श्राद्ध_कर्म_में_कुश_का_महत्त्व
सनातन धर्म में इसे पूजा और श्राद्ध में काम में लाते हैं। श्राद्ध तर्पण विना कुशा के सम्भव नहीं हैं ।
धार्मिक कर्मकाण्ड में कुश का उपयोग आवश्यक रूप से होता है-

#पूजाकाले सर्वदैव कुशहस्तो भवेच्छुचि:।
कुशेन रहिता पूजा विफला कथिता मया।। – शब्दकल्पद्रुम

कुशा से बनी अंगूठी पहनकर पूजा /तर्पण के समय पहनी जाती है। कुश प्रत्येक दिन नई उखाडनी पडती है लेकिन अमावाश्या की तोडी गई कुश पूरे महीने काम दे सकती है और भाद्रपद माह की अमावश्या के दिन की तोडी कुश पूरे वर्ष काम आती है।

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