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एवं हि जन्म समये बहुपूर्वजन्मकर्माजितं दुरितमस्य वदन्ति तज्ज्ञाः |
ततद ग्रहोक्त जप दान शुभ क्रिया भिस्तददोषशान्तिमिह शंसतु पुत्र सिद्धयै ||
अर्थात जन्म कुंडली से यह ज्ञात होता है कि पूर्व जन्मों के किन पापों के कारण संतान हीनता है
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~ ||-लड़का होगा या लड़की होगी -||~
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सूत्र-1-आपकी भाभी, बहन या कोई महिला गर्भवती है भी कि नहीं,
यह जानने के लिए दिन की संख्या लिखें
(ए), इसे तीन से गुणा करें।
अब इसमें तिथि की संख्या जोड़ें
(बी) = कुल अंक
(सी), इसमें दो का भाग दें।
यदि एक बचे तो महिला गर्भवती है,
शून्य बचे तो गर्भवती नहीं है।
उदाहरण-
मान लीजिए कि किसी ने सोमवार को सवाल किया है
और उस दिन अमावस के पहले की द्वादशी है।
तो इसका इस तरह योग करेंगे।
सोमवार के लिए संख्या 2×3=6+27
कृष्णा 12 (15+12) कुल अंक 33/2, बचा एक,
यानि महिला गर्भवती है।
अच्छी तरह समझ लें कि हमेशा रविवार की संख्या एक होगी।
दिन कोई हो, उसकी गिनती रविवार से करें,
जैसे कि गुरुवार है किसी दिन तो उस दिन का अंक होगा पांच।
इसी तरह उपरोक्त उदाहरण में कृष्ण पक्ष की द्वादशी ली गयी है,
इसकी गिनती होगी कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा से।
इसका अंक होगा एक
और कृष्ण द्वादशी है तो पूरनमासी तक के पंद्रह अंक और इसके बाद द्वादशी तक के बारह अंक।
इस तरह कुल अंक होंगे 27.
अब पता लगाते हैं कि गर्भ में पल रहा बच्चा लड़का है या लड़की।
इसके लिए इनकी संख्या जोड़ें-
दिन+तिथि+नक्षत्र+योग+गर्भवती स्त्री के नाम के अंक,
अब इसमें 7 का भाग दें।
यदि 1,3,5 संख्या बचे तो लड़का गर्भ में पल रहा है और 2,4,6 बचे तो गर्भ में लड़की पल रही है।
याद रखिए कि नक्षत्र 27 होते हैं।
हमेशा अश्विनी नक्षत्र से गिनती शुरू करनी है
और इसका एक नंबर लेना है।
अंतिम नक्षत्र रेवती होता है. जिसका नंबर होता है 27.
इसी प्रकार योग भी 27 होते हैं।
पहला योग होता है विषकुंभ, इसका नंबर है 1,
और
अंतिम योग है वैधृति, इसका नंबर है 27,
इसी प्रकार नाम के नंबर हिंदी नाम के ही लेने हैं।
जैसे नाम है भारती तो इसके अंक हुए 3,
दिन सोमवार 2+ तिथि 27(कृष्ण 12 )+ नक्षत्र उत्तरा फाल्गुनी 12+ योग वैधृति 27+ गर्भवती का नाम (भारती) 3=71/ 7, शेष बचा 1, इसका मतलब है कि उसके लड़का होगा।
मेरे पास एक सज्जन आए और पत्नी के गर्भ के बारे में पूछने लगे।
उनका कहना था कि वह इसलिए चिंता में हैं कि पिछली बार का गर्भ गिर गया था।
उन्होंने पत्नी का नाम रोमा बताया।
मैंने तत्काल गणना की।
यह 27 जुलाई 2013 की बात है।
दिन शनिवार 7+21 (तिथि कृष्णा 6) + 26 नक्षत्र (उत्तरा भाद्रपद)+7 योग (सुकर्मा)+2 रोमाँ नाम के अंक।
कुल अंक हुए 63/7, लिहाजा सात का भाग देने पर शून्य बचा।
मैंने कहा कि बच्चे का बचना मुश्किल है।
आप अपने डाक्टर से सलाह लें।
उन्होंने बताया कि डाक्टर ने भी ऐसा ही बताया है।
कुछ दिन बाद पता कि उस महिला का फिर से एबार्शन हुआ है।
दो हजार वर्ष पूर्व के प्रसिद्ध चिकित्सक एवं सर्जन सुश्रुत ने अपनी पुस्तक सुश्रुत संहिता में स्पष्ट लिखा है कि मासिक स्राव के बाद 4, 6, 8, 10, 12, 14 एवं 16वीं रात्रि के गर्भाधान से पुत्र तथा 5, 7, 9, 11, 13 एवं 15वीं रात्रि के गर्भाधान से कन्या जन्म लेती है।
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|| गर्भ धारण करने के अचूक नुस्खे ||
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* 2500 वर्ष पूर्व लिखित चरक संहिता में लिखा हुआ है कि भगवान अत्रिकुमार के कथनानुसार स्त्री में रज की सबलता से पुत्री तथा पुरुष में वीर्य की सबलता से पुत्र पैदा होता है।
* प्राचीन संस्कृत पुस्तक 'सर्वोदय' में लिखा है कि गर्भाधान के समय स्त्री का दाहिना श्वास चले तो पुत्री तथा बायां श्वास चले तो पुत्र होगा।
* यूनान के प्रसिद्ध चिकित्सक तथा महान दार्शनिक अरस्तु का कथन है कि पुरुष और स्त्री दोनों के दाहिने अंडकोष से लड़का तथा बाएं से लड़की का जन्म होता है।
* चन्द्रावती ऋषि का कथन है कि लड़का-लड़की का जन्म गर्भाधान के समय स्त्री-पुरुष के दायां-बायां श्वास क्रिया, पिंगला-तूड़ा नाड़ी, सूर्यस्वर तथा चन्द्रस्वर की स्थिति पर निर्भर करता है।
कुछ विशिष्ट पंडितों तथा ज्योतिषियों का कहना है कि सूर्य के उत्तरायण रहने की स्थिति में गर्भ ठहरने पर पुत्र तथा दक्षिणायन रहने की स्थिति में गर्भ ठहरने पर पुत्री जन्म लेती है। उनका यह भी कहना है कि मंगलवार, गुरुवार तथा रविवार पुरुष दिन हैं। अतः उस दिन के गर्भाधान से पुत्र होने की संभावना बढ़ जाती है। सोमवार और शुक्रवार कन्या दिन हैं, जो पुत्री पैदा करने में सहायक होते हैं। बुध और शनिवार नपुंसक दिन हैं। अतः समझदार व्यक्ति को इन दिनों का ध्यान करके ही गर्भाधान करना चाहिये
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||~शक्तिशाली व गोरे पुत्र प्राप्ति के लिए~||
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गर्भिणी स्त्री ढाक (पलाश) का एककोमल पत्ता घोंटकर गौदुग्ध के साथ रोज़ सेवन करे | इससे बालक शक्तिशाली और गोरा होता है | माता-पीता भले काले हों, फिर भी बालक गोरा होगा | इसके साथ सुवर्णप्राश की २-२ गोलियां लेने से संतान तेजस्वी होगी |
विच्चें।
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