ज्योतिष समाधान

Monday, 11 July 2016

यत्रा में सफलता के लिए क्या करे




ज्योतिष शास्त्र के अनुसार लम्बी यात्रा हो या छोटी लेकिन दिशाशूल दोष को देखकर ही यात्रा प्रारभ्म करनी चाहिए। यात्रा प्रारम्भ करने से पहले हमें यह जान लेना चाहिए कि कौन सी दिशा शुभ है और कौन सी अशुभ।

पूर्व दिशा : इस दिशा में सोमवार और शनिवार को दिशाशूल दोष होता है। इन दिनों में पूर्व दिशा में यात्रा करना अशुभ होता है।

पश्चिम दिशा : इस दिशा में रविवार और शुक्रवार को दिशाशूल दोष होता है। यह अशुभ होता है।

दक्षिण दिशा : इस दिशा में वीरवार को यात्रा करना ठीक नहीं है।

उत्तर दिशा : मंगल और बुधवार के दिन उत्तर दिशा में यात्रा करना अमंगलकारी होता है।

यात्रा करना जरूरी हो तब?

- ज्योतिष के अनुसार प्रतिदिन दिशाशूल का प्रभाव दिन में 12 बजे तक ही रहता है। 12 बजे के बाद दिशाशूल दोष का प्रभाव कम हो जाता है।

- जैसे उत्तर दिशा में मंगल और बुधवार को दिशाशूल दोष है और यात्रा करना भी जरूरी है तो यात्रा प्रात:काल ब्रह्म मुहूत्र्त में प्रारम्भ कर देनी चाहिए। यात्रा से पूर्व कुछ खा लेना चाहिए।

यात्रा विधि

यात्रा प्रारम्भ करने से पहले दाहिने पैर को सर्वप्रथम उठाकर यात्रा दिशा में 32 कदम चलकर यात्रा करने के साधन में बैठकर तिल, घृत, तांबे का पात्र दान करना चाहिए।

यात्रा पूर्व शुभ शकुन

यात्रा के आरंभ में हमें ब्राह्मण, घोड़ा, हाथी, फल, अन्न, दूध, दही, गौ, सरसों, कमल, श्वेत वस्त्र, मोर, जलपूर्ण कलश, मिट्टी, कन्या, रत्न, पगड़ी, बैल, संतान सहित स्त्री, मछली, पालकी दिखाई दे तो ये शुभ संकेत होते हैं।




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