ज्योतिष समाधान

Sunday, 18 August 2024

ज्योतिष दोहे

> *ज्योतिषीय Poem* 

सूर्य देव तो पिता तुल्य हैं,चंद्र हैं मात समान ।
मंगल बनकर छोटे भ्राता,करें सेनापति का काम।
बुध,बहन, बुआ,व्यापार,करते वारे न्यारे ।
गुरु देव ज्ञान के दाता,होते सबके प्यारे ।
शुक्र दान कर वैभव का , जग में सम्मान बढ़ाते ।
शनि की बात ना पूछे कोई,वो हैं सबसे निराले ।
कर्मों का लेखा जोखा ,होता सब उनके पास ।
बनकर सबके न्यायाधीश,वह करते हैं इंसाफ ।
राहु केतु तो छाया ग्रह हैं,बैठें जिसके साथ ।
कर देते हैं वारे न्यारे यदि संग हो शुभ ग्रह वास ।
जब कोई जीवन में अपने ,पिता का सम्मान घटाता ।
मान ,सम्मान वो खोता अपना, नेत्र रोग हो जाता ।
हड्डी के भी हैं वह कारक, आभामंडल दायक ।
जो पूजे उनको नित होता, जीवन भी सुखदायक ।
बात करें अब चंद्र देव की, जल के हैं वह कारक ।
मन भी उनके ही वश रहता, चंचल हो या नीरव ।
करने को एकाग्र स्वयं को, पूर्ण चंद्र(पूर्णिमा)सुखदाई ।
देकर धूप,दीप और अर्पण कर,जल को भी भाई ।
माता का सम्मान सदा ही, भरता सुख जीवन में ।
शांत रहे मन,रहे ना दुविधा,और किसी के मन में ।
शक्ति ,पराक्रम ,साहस देते ,मंगल देव अपार ।
भूमि पुत्र भौम की महिमा होती अपरम्पार ।
जब होते कमजोर किसी के, दुर्घटना से डरता ।
जीवन में रहता ना साहस, पग पग हौले भरता ।
बुध देव की कमजोरी से, बुद्धिमत्ता है जाती ।
वाणी पर रहता ना संयम, स्थूल प्रज्ञा हो जाती ।
शिक्षा, गणित, तर्क,अभिव्यक्ति,ज्योतिष के हैं कारक।
चर्म रोग का नाश करें ,जब स्थिति हो उनकी सम्यक ।
धर्म के रास्ते पर होकर ,जब गुरु देव ले जाते ।
पुत्र संतान, विवेक, बुद्धिमत्ता,अच्छे गुण हैं आते ।
जब यदि हों जीवन में दूषित, रहता ना फिर ज्ञान ।
धन, सम्पदा,त्याग ,निष्ठा का ,हो जाता अभिमान ।
अपने बड़े सभी हैं गुरु सम,आदर जो कोई करता ।
जीवन में सदा ही उनका, आशीर्वाद झलकता ।
प्रेम,सौंदर्य,सौभाग्य,आकर्षण,ऐश्वर्य शुक्र से आता ।
चांदी, चावल,श्वेत वस्त्र ,जब कोई दान कराता ।
जहां होती नारी की पूजा,शुक्र देव खुश रहते ।
रजोगुणी, चर प्रकृति,विलासी,मधुर स्वभाव हैं देते ।
गीत, संगीत,गृहस्थ जीवन में, रहती ना कोई बाधा ।
पति पत्नी जहां पर सब कुछ, बांटे आधा आधा ।
शनि हैं दास्य वृत्ति के कारक,कभी ना उनको सताना ।
वरना पड़ सकता है तुमको, जीवन में पछताना ।
दुःख,बीमारी,शोक,मृत्यु , दारिद्रय के हैं कारक ।
शनि वृद्ध हैं, अनुभव समृद्ध हैं, परिपक्वता के पूरक ।
जब कोई जीवन में होता, सत्य पथ का अनुगामी ।
शनि की कृपा बरसती उसपर, बन जाता वह ज्ञानी ।
लोभ , मोह, विद्वेष, वितृष्णा ,से वह पार लगाते ।
तत्व ज्ञान को देकर वह,आध्यात्मिक पथ पर ले जाते ।
जीवन में इन सभी ग्रहों की , होती कृपा अपार ।
जो समझे जीवन में इसको ,उसका बेड़ा पार ।

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