ज्योतिष समाधान

Thursday, 24 August 2017

ऋद्धि और सिद्धि के स्वामी श्री गणेश का जन्मोत्सव 'गणेश चतुर्थी' वर्ष 2017 में 25 अगस्त को मनाई जाएगी. विशेष बात यह कि इस बार यह त्यौहार 10 दिनों के बजाय 11 दिनों तक मनाया जाएगा  इस साल भगवान श्री गणेश गजकेसरी योग में विराजेंगे,

ऋद्धि और सिद्धि के स्वामी श्री गणेश का जन्मोत्सव 'गणेश चतुर्थी' वर्ष 2017 में 25 अगस्त को मनाई जाएगी.

विशेष बात यह कि इस बार यह त्यौहार 10 दिनों के बजाय 11 दिनों तक मनाया जाएगा 
इस साल भगवान श्री गणेश गजकेसरी योग में विराजेंगे,

जो छात्रों, बुद्धिजीवियों के साथ-साथ राजनीतिज्ञों के लिए बहुत कल्याणकारी सिद्ध होगा.

यह योग कई शुभ संयोग लेकर आ रहा है. सबसे महत्वपूर्ण संयोग तो यह है कि इस दिन से कर्मधिपति शनिदेव की चाल सीधी हो जाएगी.

फलतः सभी राशियों पर शनिदेव के प्रकोप का असर धीरे-धीर समाप्त होने लगेगा और जातकों के बिगड़े काम बनने लगेंगे.

विशेष बात यह कि इस बार यह त्यौहार 10 दिनों के बजाय 11 दिनों तक मनाया जाएगा.

यानी मोदकप्रिय गणेश अपने भक्तों के घरों में 11 दिनों तक मेहमान बनकर विराजेंगे और अपनी कृपादृष्टि बनाए रखेंगे.

यह परिघटना हिन्दू पंचांग के अनुसार, दशमी तिथि में तिथि-वृद्धि के कारण संभव हुआ है. इस तिथि को एक दिन बढ़ जाने से श्री गणेश का जलविहार अब 12वें दिन यानी 5 सितंबर को अनंत चतुर्दशी के दिन होगा.

लेकिन आइए सबसे पहले जानते हैं, इस वर्ष गणेश चतुर्थी की पूजा और अन्य अनुष्ठान के लिए शुभ समय और मुहूर्त क्या है

वैदिक पंचांग के अनुसार,

चतुर्थी तिथि का आरम्भ और समापन समय हिन्दू पंचांग के अनुसार,

चतुर्थी तिथि 24 अगस्त 2017 को शाम में 08:27 बजे से आरम्भ होगी.

इस तिथि की समाप्ति 25 अगस्त को शाम में 08:31 बजे होगी.

लेकिन 08:31 बजे के बाद भी चन्द्रमा उदित रहेंगे, जो शाम में 09:20 बजे अस्त होंगे.

इसलिए जिन श्रद्धालुओं की चंद्र-दर्शन निषेध में आस्था है, उन्हें 09:20 बजे तक चंद्रमा को देखने से बचना चाहिए.

इस साल गणपति पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 11:06 बजे से आरम्भ हो कर दोपहर बाद 01:39 बजे तक है.

पौराणिक प्रमाणों के अनुसार, गजानन श्री गणेश का जन्म दिन के मध्याह्न में हुआ था. लिहाजा श्री गणेश पूजन की यह उपरोक्त अवधि, जो कि लगभग 2 घंटे 33 मिनट की है,

भाद्रपद की चतुर्थी को हुआ था श्री गणेश का आविर्भाव

हिंदू पंचाग के अनुसार गणेश चतुर्थी त्यौहार भाद्रपद मास में शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है. इसी तिथि को मध्याह्न में शक्ति-स्वरूपा देवी पार्वती ने दिव्य-स्नान के समय अपनी त्वचा के मैल से एक बालक का स्वरूप गढ़ा और उसमें प्राण आरोपित कर अपने महल की पहरेदारी में नियुक्त कर दिया.

बालक की निष्ठा, सजगता और तत्परता इतनी प्रबल थी कि देवाधिदेव शिव भी उसका उल्लंघन नहीं कर पाए और फिर जो हुआ वह तो जग-विदित है.

चतुर्थी तिथि का आरम्भ और समापन समय हिन्दू पंचांग के अनुसार,

ऋषि पंचमी   ब्रत मुहूर्त
26 अगस्त 2017, दिन शनिवार को सुबह 11:06 से दोपहर १:39 बजे तक यानी 2 घंटे 33 मिनट तक पूजा का मुहूर्त है।
इसमे सप्त ऋषियों का पूजन किया जाता है उनके नाम इस प्रकार है।
सप्तऋषि के सात ऋषियों के नाम इस प्रकार हैं -
कश्यप
अत्रि
भारद्वाज
विश्वामित्र
गौतम
वशिष्ठ
जमदग्नि
इस व्रत का एक महत्वपूर्ण भाग स्त्रियों के मासिक धर्म से भी जुडा है
शास्त्रों के अनुसार रजस्वला स्त्री का कार्य करना निषेध है
परंतु यदि इस बात पर ध्यान नहीं दिया जाये तो स्त्री को इसका पाप लगता है
अत: मासिक धर्म के समय लगे पाप से छुटकारा पाने के लिए यह एक मात्र व्रत स्त्रियों द्वारा किया ही जाना चाहिए।
इस सम्बन्ध में श्री कृष्ण जी ने युधिष्ठर को एक कथा सुनाई थी जिसके अनुसार जब इन्द्र ने त्वष्टा के पुत्र वृत्र का हनन किया तो उन्हें ब्रह्महत्या का अपराध लगा।
जब इन्द्र को ब्रह्म हत्या का महान पाप लगा तो उसने इस पाप से मुक्ति पाने के लिए ब्रह्मा जी से प्रार्थना की.

ब्रह्मा जी ने उस पर कृपा करके उस पाप को चार भागों में बांट दिया था जिसमें
प्रथम भाग अग्नि (धूम से मिश्रित प्रथम ज्वाला) में, नदियों (वर्षाकाल के पंकिल जल) में,
पर्वतों (जहाँ गोंद वाले वृक्ष उगते हैं) में
और चौथे भाग को स्त्री के रज में विभाजित करके इंद्र को शाप से मुक्ति प्रदान करवाई थी.
इसलिए उस पाप को शुद्धि के लिए ही हर स्त्री को ॠषि पंचमी का व्रत करना चाहिए.
शास्त्र कहते हैं कि यदि कोई स्त्री या कन्या ऋषि पंचमी का व्रत करे और श्रद्धा भाव के साथ पूजा तथा क्षमा प्रार्थना करे तो उसे इस पाप से मुक्ति प्राप्त होती है.

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस व्रत में हल से जुता हुआ कुछ भी नहीं खाते हैं।
इस बात को ध्यान में रखकर ही व्रत किया जाएगा।

वे केवल फल (fruits), मेवा व समां की खीर, मोरधान से बने व्यंजनों को खाकर व्रत रखेंगी तथा घर-घर में भजन-कीर्तनों का आयोजन किया गया।

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