प्रणव के जप में माता पार्वती का भी अधिकार नहीं-
साधारण स्त्री की तो बात ही क्या है-!!
#ईश्वर_उवाच ---
#द्विजातानां_सहोंकारः_सहितो_द्वादशाक्षरः ।
#स्त्रीशूद्राणां_नमस्कारपूर्वकः_समुदाह्रतः ।।
#प्रणवस्याधिकारो_न_तवास्ति_वरवर्णिनि।
#नमो_भगवते_वासुदेवायेति_जपः_सदा ।।
👉👉 स्कन्दपुराणम्/खण्डः ६ (नागरखण्डः)/अध्यायः २५७
#श्रीमहादेव_कहते हैं --
पार्वती ! द्विजों के लिए ओंकार सहित द्वादशाक्षर
मंत्र का विधान है तथा स्त्रियों और शूद्रों के लिए
ओंकार रहित नमस्कार पूर्वक ( नमो भगवते
वासुदेवाय ) द्वादशाक्षर मंत्र का जप बताया गया
है-- संकरजातियों के लिए रामनाम का (#रांरामाय_नमः ) है - इसे भी प्रणव से रहित उन्हें जपना चाहिए---
#पार्वती ! -- प्रणव जप में तुम्हारा अधिकार नहीं है- अतः तुम्हें सदा " नमो भगवते वासुदेवाय " इसी मंत्र का जप करना चाहिए---
#तस्मात्_सर्वप्रदो_मंत्र_सोऽयं_पञ्चाक्षरः_स्मृतः।
#स्त्रीभिः_शूद्रेश्च_संकीर्णैर्धार्यते_मुक्तिकाङ्क्षिभिः।
#नास्य_दीक्षा_न_होमश्च_न_संस्कारो_न_तर्पणम् ।
#न_कालो_नोपदेशश्च_सदा_शुचिरयं_मनुः।।
👉👉 #स्कन्दपुराणम्/खण्डः ३ (ब्रह्मखण्डः)/ब्रह्मोत्तर खण्डः/अध्यायः १
अतः यह पञ्चाक्षरमंत्र ( नमः शिवाय द्विजों के लिए-द्विजेतरों व स्त्री के लिए शिवाय नमः ) सब कुछ देने वाला माना गया है-- इसे मोक्ष की अभिलाषा रखने वाले स्त्री समुदाय- शूद्र- और वर्णसंकर धारण कर सकते हैं-- इस मंत्र के लिए दीक्षा - होम - संस्कार-तर्पण- समय शुद्धि- तथा गुरूमुख से उपदेश आदि की आवश्यकता नहीं है--
यह मंत्र सदा पवित्र है --शिव " यह दो अक्षर का नाम बडे - बडे पातकों का नाश करने में समर्थ है -- और उसमें " नमः " पद जोड दिया जाये - तब तो मोक्ष देने वाला हो जाता है ।
❗हर हर महादेव❗
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