ज्योतिष समाधान

Sunday, 5 May 2024

सुविचार

जय माँ भैरवी 

अपि संपूर्णता युक्तैः कर्तृव्या सुहृदो बुधैः।
नदीशः  परिपूर्णोऽपि    चन्द्रोदयमपेक्षते।।
भावार्थ-- 
जिस प्रकार समुद्र को अथाह जल राशि के होते हुए भी ज्वार उत्पन्न करने के लिए चन्द्रमा की आवश्यकता पडती है। उसी तरह सर्वगुण संपन्न विद्वान् व्यक्ति को भी किसी विशेष कार्य को संपन्न करने के लिये अपने मित्रों की सहायता की आवश्यकता पड़ती है|
                                 
              
                    व्रत करने से पूर्व पति की आज्ञा आवश्यक-

"पत्युराज्ञां विना नारी उपोष्य व्रतचारिणी।"
  "आयुष्य हरते भर्तुः सा नारी नरकं व्रजेत् ॥"

   *भावार्थ*- 
          पति की आज्ञा के बिना उपवास इत्यादि करने वाली स्त्री पति की आयु को नष्ट करती है और स्वयं भी नरक में जाती है।


साथ रहने वाले ही साथी के गुण- दोष जान सकते हैं~

पश्य लक्ष्मण पंपायां वकः परमधार्मिकः ।
मंदं मंदं पदं  धत्ते   जीवानां वध शंकया ।।
वकः किं वण्यते राम येनाहं निष्कुलीकृतः ।
सहवासी विजानीयात् चरित्रं सहवासीनाम् ।।
अर्थात्~
         जब माता सीता की खोज करते हुये भगवान् श्रीराम पम्पा सरोवर पहुँचे तब उन्होनें एक बकुले को देखा तो उसे देख श्रीराम लक्ष्मण से कहते हैं :- देखो लक्ष्मण पम्पा सरोवर में विचरण करने वाला वह बकुला कितना धार्मिक है धीरे धीरे पैरों को रख रहा है दृष्टि भी जल में है कहीं कोई जीव मेरे पैर के नीचे आकर न मार जाये ।
जब राम जी की इस बात को मछलियों ने सुना तो कहने लगीं :- हे राम ! आप इस बकुले को धार्मिक कह रहे हैं जिसने हमें निष्कुल करने का प्रण ले रखा है , सच बात है साथ रहने वाला ही जान सकता है कि उसके साथी का चरित्र कैसा है । अन्यथा दूर से देखने पर तो बकुला भी धार्मिक ही लगता है ।
                            


No comments: