Sunday, 5 May 2024

प्रणव के जप में माता पार्वती का भी अधिकार नहीं- साधारण स्त्री की तो बात ही क्या है-!!#ईश्वर_उवाच --- #द्विजातानां_सहोंकारः_सहितो_द्वादशाक्षरः । #स्त्रीशूद्राणां_नमस्कारपूर्वकः_समुदाह्रतः ।। #प्रणवस्याधिकारो_न_तवास्ति_वरवर्णिनि। #नमो_भगवते_वासुदेवायेति_जपः_सदा ।। 👉👉 स्कन्दपुराणम्/खण्डः ६ (नागरखण्डः)/अध्यायः २५७ #श्रीमहादेव_कहते हैं -- पार्वती ! द्विजों के लिए ओंकार सहित द्वादशाक्षर मंत्र का विधान है तथा स्त्रियों और शूद्रों के लिए ओंकार रहित नमस्कार पूर्वक ( नमो भगवते वासुदेवाय ) द्वादशाक्षर मंत्र का जप बताया गया है-- संकरजातियों के लिए रामनाम का (#रांरामाय_नमः ) है - इसे भी प्रणव से रहित उन्हें जपना चाहिए--- #पार्वती ! -- प्रणव जप में तुम्हारा अधिकार नहीं है- अतः तुम्हें सदा " नमो भगवते वासुदेवाय " इसी मंत्र का जप करना चाहिए--- #तस्मात्_सर्वप्रदो_मंत्र_सोऽयं_पञ्चाक्षरः_स्मृतः। #स्त्रीभिः_शूद्रेश्च_संकीर्णैर्धार्यते_मुक्तिकाङ्क्षिभिः। #नास्य_दीक्षा_न_होमश्च_न_संस्कारो_न_तर्पणम् ।#न_कालो_नोपदेशश्च_सदा_शुचिरयं_मनुः।। 👉👉 #स्कन्दपुराणम्/खण्डः ३ (ब्रह्मखण्डः)/ब्रह्मोत्तर खण्डः/अध्यायः १ अतः यह पञ्चाक्षरमंत्र ( नमः शिवाय द्विजों के लिए-द्विजेतरों व स्त्री के लिए शिवाय नमः ) सब कुछ देने वाला माना गया है-- इसे मोक्ष की अभिलाषा रखने वाले स्त्री समुदाय- शूद्र- और वर्णसंकर धारण कर सकते हैं-- इस मंत्र के लिए दीक्षा - होम - संस्कार-तर्पण- समय शुद्धि- तथा गुरूमुख से उपदेश आदि की आवश्यकता नहीं है-- यह मंत्र सदा पवित्र है --शिव " यह दो अक्षर का नाम बडे - बडे पातकों का नाश करने में समर्थ है -- और उसमें " नमः " पद जोड दिया जाये - तब तो मोक्ष देने वाला हो जाता है । ❗हर हर महादेव❗

प्रणव के जप में माता पार्वती का भी अधिकार नहीं-
 साधारण स्त्री की तो बात ही क्या है-!!

#ईश्वर_उवाच ---
        #द्विजातानां_सहोंकारः_सहितो_द्वादशाक्षरः ।
         #स्त्रीशूद्राणां_नमस्कारपूर्वकः_समुदाह्रतः ।।          
         #प्रणवस्याधिकारो_न_तवास्ति_वरवर्णिनि।
         #नमो_भगवते_वासुदेवायेति_जपः_सदा ।।
           👉👉 स्कन्दपुराणम्/खण्डः ६ (नागरखण्डः)/अध्यायः २५७                               

#श्रीमहादेव_कहते हैं  -- 
      पार्वती ! द्विजों के लिए ओंकार सहित द्वादशाक्षर 
      मंत्र का विधान है तथा स्त्रियों और शूद्रों के लिए
      ओंकार रहित नमस्कार पूर्वक  ( नमो भगवते
       वासुदेवाय ) द्वादशाक्षर मंत्र का जप बताया गया
         है-- संकरजातियों के लिए रामनाम का  (#रांरामाय_नमः ) है - इसे भी प्रणव से रहित उन्हें जपना चाहिए---
               
#पार्वती ! -- प्रणव जप में तुम्हारा अधिकार नहीं है- अतः तुम्हें सदा " नमो भगवते वासुदेवाय " इसी मंत्र का जप करना चाहिए---

 #तस्मात्_सर्वप्रदो_मंत्र_सोऽयं_पञ्चाक्षरः_स्मृतः।
 #स्त्रीभिः_शूद्रेश्च_संकीर्णैर्धार्यते_मुक्तिकाङ्क्षिभिः।
 #नास्य_दीक्षा_न_होमश्च_न_संस्कारो_न_तर्पणम् ।
#न_कालो_नोपदेशश्च_सदा_शुचिरयं_मनुः।।

                               👉👉 #स्कन्दपुराणम्/खण्डः ३ (ब्रह्मखण्डः)/ब्रह्मोत्तर खण्डः/अध्यायः १

  अतः यह पञ्चाक्षरमंत्र ( नमः शिवाय द्विजों के लिए-द्विजेतरों व स्त्री के लिए शिवाय नमः )  सब कुछ देने वाला माना गया है-- इसे मोक्ष की अभिलाषा रखने वाले स्त्री समुदाय- शूद्र- और वर्णसंकर धारण कर सकते हैं-- इस मंत्र के लिए दीक्षा - होम - संस्कार-तर्पण- समय शुद्धि- तथा गुरूमुख से उपदेश आदि की आवश्यकता नहीं है-- 

यह मंत्र सदा पवित्र है --शिव " यह दो अक्षर का नाम बडे - बडे पातकों का नाश करने में समर्थ है -- और उसमें " नमः " पद जोड दिया जाये - तब तो मोक्ष देने वाला हो जाता है । 

 ❗हर हर महादेव❗

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