ज्योतिष समाधान

Friday, 10 February 2017

रामचरित्र मानस में नीती सूत्र

तुलसीदास के दोहे अर्थ सहित :

बिना तेज के पुरुष की अवशि अवज्ञा होय । आगि बुझे ज्यों राख की आप छुवै सब कोय ।।

अर्थात – तेजहीन व्यक्ति की बात को कोई भी व्यक्ति महत्व नहीं देता है, उसकी आज्ञा का पालन कोई नहीं करता है. ठीक वैसे हीं जैसे, जब राख की आग बुझ जाती है, तो उसे हर कोई छूने लगता है.

तुलसी साथी विपत्ति के विद्या विनय विवेक । साहस सुकृति सुसत्यव्रत राम भरोसे एक ।।

अर्थात – तुलसीदास जी कहते हैं कि विपत्ति में अर्थात मुश्किल वक्त में ये चीजें मनुष्य का साथ देती है. ज्ञान, विनम्रता पूर्वक व्यवहार, विवेक, साहस, अच्छे कर्म, आपका सत्य और राम ( भगवान ) का नाम.

काम क्रोध मद लोभ की जौ लौं मन में खान । तौ लौं पण्डित मूरखौं तुलसी एक समान ।।

अर्थात – जब तक व्यक्ति के मन में काम की भावना, गुस्सा, अहंकार, और लालच भरे हुए होते हैं. तबतक एक ज्ञानी व्यक्ति और मूर्ख व्यक्ति में कोई अंतर नहीं होता है, दोनों एक हीं जैसे होते हैं.

आवत ही हरषै नहीं नैनन नहीं सनेह । तुलसी तहां न जाइये कंचन बरसे मेह ।।

अर्थात – जिस स्थान या जिस घर में आपके जाने से लोग खुश नहीं होते हों और उन लोगों की आँखों में आपके लिए न तो प्रेम और न हीं स्नेह हो. वहाँ हमें कभी नहीं जाना चाहिए, चाहे वहाँ धन की हीं वर्षा क्यों न होती हो.

मो सम दीन न दीन हित तुम्ह समान रघुबीर अस बिचारि रघुबंस मनि हरहु बिषम भव भीर ॥

अर्थात – हे रघुवीर, मेरे जैसा कोई दीनहीन नहीं है और तुम्हारे जैसा कोई दीनहीनों का भला करने वाला नहीं है. ऐसा विचार करके, हे रघुवंश मणि.. मेरे जन्म-मृत्यु के भयानक दुःख को दूर कर दीजिए. कामिहि नारि पिआरि जिमि लोभिहि प्रिय जिमि दाम । तिमि रघुनाथ निरंतर प्रिय लागहु मोहि राम ॥

अर्थात – जैसे काम के अधीन व्यक्ति को नारी प्यारी लगती है और लालची व्यक्ति को जैसे धन प्यारा लगता है, वैसे हीं हे रघुनाथ, हे राम, आप मुझे हमेशा प्यारे लगिए. सो

कुल धन्य उमा सुनु जगत पूज्य सुपुनीत । श्रीरघुबीर परायन जेहिं नर उपज बिनीत ।।

अर्थात – हे उमा, सुनो वह कुल धन्य है, दुनिया के लिए पूज्य है और बहुत पावन (पवित्र) है, जिसमें श्री राम (रघुवीर) की मन से भक्ति करने वाले विनम्र लोग जन्म लेते हैं. मसकहि करइ बिरंचि प्रभु अजहि मसक ते हीन । अस बिचारि तजि संसय रामहि भजहिं प्रबीन ॥ अर्थात – राम मच्छर को भी ब्रह्मा बना सकते हैं और ब्रह्मा को मच्छर से भी छोटा बना सकते हैं. ऐसा जानकर बुद्धिमान लोग सारे संदेहों को त्यागकर राम को हीं भजते हैं.

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