2017 ki puja vidhi रात्रि पूजा के शुभ मुहूर्त निशीथ काल पूजा का मुहूर्त- रात 12.30 से 01.05 बजे तक पहले प्रहर की पूजा- शाम 06:42 से 09:45 बजे तक दूसरे प्रहर की पूजा- रात 09:45 से 12:50 बजे तक तीसरे प्रहर की पूजा- रात 12:50 से 03:50 बजे तक चौथे प्रहर की पूजा- रात 03:50 से सुबह 06:50 बजे तक
श्री शिवमहापुराण सृष्टिखंड अध्याय ११ श्लोक १२से १५ में श्री शिव-पूजा से प्राप्त होने वाले सुखों का वर्णन निम्न प्रकार से है:-
दरिद्रता,
रोग सम्बन्धी कष्ट,
शत्रु द्वारा होने वाली पीड़ा
एवं चारों प्रकार का पाप तभी तक कष्ट देता है, जब तक प्रभू शिव की पूजा नहीं की जाती। महादेव का पूजन कर लेने पर सभी प्रकार का दु:ख नष्ट हो जाता है, सभी प्रकार के सुख प्राप्त हो जाते है और अन्त में मुक्ति लाभ होता है। जो मनुष्य जीवन पाकर उसके मुख्य सुख संतान को प्राप्त करना चाहते हैं, उन्हें सब सुखों को देने वाले महादेव की पूजा करनी चाहिए।
ब्राह्मण,
क्षत्रिय,
वैश्य,
शूद्र
विद्यिवत शिवजी का पूजन करें। इससे सभी मनोकामनाएं सिद्द्ध हो जाती है।
(प्रमाण श्री शिवमहापुराण सृष्टिखंड अध्याय ११श्लोक१२ से १५) दक्ष -प्रजापति ने अपने यग्य में 'शिव" का भाग नहीं रखा ,जिससे कुपित होकर -माँ पार्वती ने दक्ष के यग्य मंडप में योगाग्नि द्वारा अपना शारीर को भस्म कर दिया |यह वदित होने के वाद -भगवान् "शिव"अयंत क्रुद्ध हो गए एवं नग्न होकर पृथ्वी पर भ्रमण करने लगे |
एक दिन वह [शिव ] नग्नावस्था में ही ब्राह्मणों की नगरी में पहुँच गए | शिवजी के नग्न स्वरूप को देखकर भूदेव की स्रियां[भार्या ] उन पर मोहित हो गईं|स्त्रिओं की मोहित अवस्था को देखकर ब्राह्मणों ने शिवजी को शाप दे दिया कि-ये लिंग विहीन तत्काल हो जाएँ एवं शिवजी शाप से युक्त भी हो गए ,जिस कारन से तीनों लोकों में घोर उत्पात होने लगा |
समस्त देव ,ऋषि ,मुनि व्याकुल होकर ब्रह्माजी की शरण में गए | ब्रह्मा ने योगबल से शिवलिंग के अलग होने का कारन जान लिया और समस्त देवताओं ,ऋषियों ,एवं मुनियों को साथ लेकर शिवजी के पास गए -ब्रह्मा ने शिवजी से प्रार्थना की कि -आप अपने लिंग को पुनः धारण करें -अन्यथा तीनों लोक नष्ट हो जायेंगें | स्तुति को सुनकर -भगवान् शिव बोले -आज से सभी लोग मेरे लिंग की पूजा प्रारंभ कर दें ,तो मैं अपने लिंग को धारण कर लूँगा |
शिवजी की बात सुनकर सर्वप्रथम ब्रह्मा ने सुवर्ण का शिवलिंग बनाकर उसका पूजन किया
| पश्चात देवताओं ,ऋषियों और मुनियों ने अनेक द्वयों के शिवलिंग बनाकर पूजन किया | तभी से शिवलिंग के पूजन का प्रारंभ हुआ ||
जो लोग किसी तीर्थ में -
मृतिका - के शिवलिंग बनाकर -उनका हजार बार अथवा लाख या करोड़ बार सविधि पूजन करते हैं-वे शिव स्वरूप हो जाते हैं ||
जो मनुष्य तीर्थ में
मिटटी
,भस्म ,
गोबर अथवा बालू का शिवलिंग बनाकर एक बार भी उसका सविधि पूजन करता है -वह दस हजार कल्प तक स्वर्ग में निवास करता है
-शिवलिंग का विधि पूर्वक पूजन करने से -मनुष्य -संतान ,धन ,धन्य ,विद्या ,ज्ञान ,सद्बुधी ,दीर्घायु ,और मोक्ष की प्राप्ति करता है ||
जिस स्थान पर शिवलिंग का पूजन होता है ,वह तीर्थ नहीं होते हुआ भी तीर्थ बन जाता है | जिस स्थान पर शिवलिंग का पूजन होता है ,उस स्थान पर जिस मनुष्य की मृत्यु होती है-वह शिवलोक को प्रप्त करता है |
जो शिव -शिव ,शिव नाम का उच्चारण करता है -वह परम पवित्र एवं परम श्रेष्ठ हो जाता है || भाव -जो मनुष्य शिव -शिव का स्मरण करते हुए प्राण त्याग देता है -वह अपने करोड़ों जन्म के पापों से मुक्त होकर शिवलोक को प्राप्त करता है || शिव =का - अर्थ है -कल्याण || "शिव "यह दो अक्षरों वाला नाम परब्रह्मस्वरूप एवं तारक है इससे भिन्न और कोई दूसरा तारक नहीं है
--"तारकं ब्रह्म परमं शिव इत्य्क्षर द्वयं | नैतस्मादपरम किंचित तारकं ब्रह्म सर्वथा ||
शिवलिंग पूजन में जलधारा से अभिषेक का विशेष महत्व है।
अभिषेक का शाब्दिक अर्थ है स्नान करना या कराना। शिवजी के अभिषेक को रुद्राभिषेक भी कहा जाता है। रुद्राभिषेक का मतलब है भगवान रुद्र (शिव) का अभिषेक करना।
शास्त्रों के अनुसार अभिषेक कई प्रकार के बताए गए हैं। रुद्रमंत्रों द्वारा शिवलिंग का अभिषेक किया जाता है, इसे ही रुद्राभिषेक कहा जाता है। अभिषेक जलधारा से किया जाता है।
शास्त्रों के अनुसार समुद्र मंथन के समय दुर्लभ रत्नों के साथ ही भयंकर विष भी निकला था। इस विष की वजह से समस्त सृष्टि पर प्राणियों का जीवन संकट में आ गया था। सृष्टि को बचाने के लिए शिवजी ने इस विष का पान किया था। विष पान की वजह से शिवजी के शरीर में गर्मी का असर काफी तीव्र हो गया था।
इस गर्मी को खत्म करने के लिए ही शिवलिंग पर लगातार जलधारा से अभिषेक करने की परंपरा प्रारंभ हुई। जल से शिवजी को शीतलता प्राप्त होती है और विष की गर्मी शांत होती है। शिवलिंग पर ऐसी कई चीजें अर्पित की जाती हैं, जिनकी तासीर ठंडी होती है। ठंडी तासीर वाली चीजों से शिवजी को शीतलता प्राप्त होती है। जो भी भक्त नियमित रूप से शिवलिंग पर जल अर्पित करता है, उसे सभी सुख-सुविधाएं प्राप्त होती हैं। कार्यों में भाग्य का साथ भी मिलने लगता है।
जानिए शिव लिंग के प्रकार एवं महत्त्व
(सम्पूर्ण)---
1. मिश्री(चीनी) से बने शिव लिंग कि पूजा से रोगो का नाश होकर सभी प्रकार से सुखप्रद होती हैं
2. सोंढ, मिर्च, पीपल के चूर्ण में नमक मिलाकर बने शिवलिंग कि पूजा से वशीकरण और अभिचार कर्म के लिये किया जाता हैं।
3. फूलों से बने शिव लिंग कि पूजा से भूमि-भवन कि प्राप्ति होती हैं।
4. जौं, गेहुं, चावल तीनो का एक समान भाग में मिश्रण कर आटे के बने शिवलिंग कि पूजा से परिवार में सुख समृद्धि एवं संतान का लाभ होकर रोग से रक्षा होती हैं।
5. किसी भी फल को शिवलिंग के समान रखकर उसकी पूजा करने से फलवाटिका में अधिक उत्तम फल होता हैं।
6. यज्ञ कि भस्म से बने शिव लिंग कि पूजा से अभीष्ट सिद्धियां प्राप्त होती हैं।
7. यदि बाँस के अंकुर को शिवलिंग के समान काटकर पूजा करने से वंश वृद्धि होती है।
8. दही को कपडे में बांधकर निचोड़ देने के पश्चात उससे जो शिवलिंग बनता हैं उसका पूजन करने से समस्त सुख एवं धन कि प्राप्ति होती हैं। 9. गुड़ से बने शिवलिंग में अन्न चिपकाकर शिवलिंग बनाकर पूजा करने से कृषि उत्पादन में वृद्धि होती हैं।
10. आंवले से बने शिवलिंग का रुद्राभिषेक करने से मुक्ति प्राप्त होती हैं।
11. कपूर से बने शिवलिंग का पूजन करने से आध्यात्मिक उन्नती प्रदत एवं मुक्ति प्रदत होता हैं।
12. यदि दुर्वा को शिवलिंग के आकार में गूंथकर उसकी पूजा करने से अकाल-मृत्यु का भय दूर हो जाता हैं।
13. स्फटिक के शिवलिंग का पूजन करने से व्यक्ति कि सभी अभीष्ट कामनाओं को पूर्ण करने में समर्थ हैं।
14. मोती के बने शिवलिंग का पूजन स्त्री के सौभाग्य में वृद्धि करता हैं।
15. स्वर्ण निर्मित शिवलिंग का पूजन करने से समस्त सुख-समृद्धि कि वृद्धि होती हैं।
16. चांदी के बने शिवलिंग का पूजन करने से धन-धान्य बढ़ाता हैं।
17. पीपल कि लकडी से बना शिवलिंग दरिद्रता का निवारण करता हैं।
18. लहसुनिया से बना शिवलिंग शत्रुओं का नाश कर विजय प्रदत होता हैं।
19. बिबर के मिट्टी के बने शिवलिंग का पूजन विषैले प्राणियों से रक्षा करता है।
20. पारद शिवलिंग का अभिषेक सर्वोत्कृष्ट माना गया है।घर में पारद शिवलिंग सौभाग्य, शान्ति, स्वास्थ्य एवं सुरक्षा के लिए अत्यधिक सौभाग्यशाली है। दुकान, ऑफिस व फैक्टरी में व्यापारी को बढाऩे के लिए पारद शिवलिंग का पूजन एक अचूक उपाय है। शिवलिंग के मात्र दर्शन ही सौभाग्यशाली होता है। इसके लिए किसी प्राणप्रतिष्ठा की आवश्कता नहीं हैं। पर इसके ज्यादा लाभ उठाने के लिए पूजन विधिक्त की जानी चाहिए
Pandit ~bhubneshwar
Kasturwanagar parnkuti guna
9893946810
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