ज्योतिष समाधान

Wednesday, 4 January 2017

समस्त मनोकामनाओ को पूरा करने वाली माँ दुर्गा जी की प्रार्थना

समस्त मनोकामनाओ को पूरा करने वाली भगवती दुर्गा क्षमा प्रार्थना <<<<<<<<<<<<=

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 नही मन्त्र तंत्र जानु जप योग पाठ पूजा ।
 आहबान ध्यान का भी नही ख्याल और दूजा ।। उपचार और मुद्रा पूजा विधान मेरा । 
 बस जानता यही हूँ अनुसरण माता तेरा ।। >>>>>>>>>>>>>>=2=>>>>>>>>>>>>>> श्री चरण पूजने में धन शाडयता बनी हो ।
 अल्पज्ञता से सेवा विधि हीन जो बनी हो ।। जगधारिणी शिवे माँ सब माफ करना गलती।
 सुत जो कपूत होवे माता नही बदलती ।। >>>>>>>>>>>>>=३=>>>>>>>>>>>>>>>
 जग में सुयोग्य सुन्दर सत्पुत्र माता तेरे । 
 मुझसा कपूत पॉवर उनमे एक तेरे।।
 समुचित ना त्याग मेरा सब माफ करना गलती। 
सुत जो कपूत होवे माता नही बदलती।। >>>>>>>>>>>>>=४=>>>>>>>>>>>>>>> जगदम्ब पाँव पूजा मेने करी न तेरी ।
 धन हिन् अर्चना में त्रुटिया भई घनेरी ।। 
फिर भी असीम अनुपम कर स्नेह माफ गलती। 
सुत जो कपूत होवे माता नही बदलती ।। >>>>>>>>>>>>>>=५=>>>>>>>>>>>>>> कुल देवतार्चना का परित्याग कर दिया है । 
 यह धाम साधनो का बय ब्यर्थं खो दिया है।।
 अब भी कृपा करो न तब शरण पाहि पाहि ।
 जगदम्ब छोड़ तेरा अबलम्बं और नाही।। >>>>>>>>>>>>>>=६=>>>>>>>>>>>>>> माँ पंगु तब सहारे गिरिबर शिखर को धावे ।
 सिर छत्र धर के जग में निसंक रंक सोबे।। 
यह नाम जो अपर्णा विधि वेद में बखाने । 
 बस धन्य जन्म उनका जो सार तेरा जाने ।। >>>>>>>>>>>>>>>=७=>>>>>>>>>>>>> तन भस्म कंठ नीला गाल मुण्ड माल धारी।
 है हार शेष जिनके सिर भूमि भार धारी।।
 तुजसी पतिब्रता से भूतेश जो कहाबे।
 पाणिग्रहण की महिमा संसार में सुहाबे।। >>>>>>>>>>>>>>=८=>>>>>>>>>>>>>> धन मोक्ष की न इच्छा बांछाँ न ज्ञान की है।
 शशी मुख सुलोचनि के सुख की न मान की है।। 
हिम शैल खण्ड पर जा जप साधना तुम्हारी।
 करता रहूँ भवानी जय जय शिबा तुम्हारी।। >>>>>>>>>>>>>>>=९=>>>>>>>>>>>>> उपचार सैकड़ो माँ मैंने किये नही है।
 रुखा है ध्यान मेरा धन पास में नही है।।
 इस दीन हीन पॉबर पर फिर भी स्नेह है तेरा।
 श्यामे सुअम्ब माता तू मानती है मेरा।। >>>>>>>>>>>>>=१०=>>>>>>>>>>>>>> जब जब तनिक भी दुर्गे जग आपदा सताबे।
 सुत बतस्ले भवानी तव तव तुम्हे मनाबै।। 
शठता न मान लेना दासानुदास तेरा।
 प्यासे दुर्भिक्षितो को विश्वाश एक तेरा।। >>>>>>>>>>>>>>=११=>>>>>>>>>>>>> करुणा मयी भुला कर त्रुटि दुःख टालती हो। 
 घनघोर आपदायें झट् तोड़ डालती हो ।। 
आश्चर्य क्या करू में तुमको कहा सुनानी।
 परिपूर्ण तम हो जननी तेरी अखत कहानी।। >>>>>>>>>>>>><१२><>>>>>>>>>>>>> पापी न मुझसा कोई तुम पाप हारिणि हो।
 सब दुःख नाशनी हो सुखशांति कारणी हो।। 
तुम हो दयामयी माँ समुचित विचार करना।
 देकर प्रसाद मुझको भव सिंधु पार करना।। <<<>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>> >>>>>>>>>>भैरव जी का ध्यान >>>>>>>>> >>>>>>><<<<<<<<<<<<<<<<<<<<<<<<<
 कर कलित कपाला कुंडली दंड पाणि।
 तरुण तिमिर नीलो व्याल यग्नोपबिती।। 
क्रतु समय सापर्या विग्नविच्छेदु हेतु। 
जयति जय बटुक नाथ:सिद्धिदा साधकानां।। >>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>> <<<<<<<<<<<<<<विशेष<<<<<>>>>>>>><<<<>>>>>><<<<-------->>>>>>>>>>>>> 
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