ऋतुकाल की उत्तरोत्तर रात्रियों में गर्भाधान श्रेष्ठ है
लेकिन 11वीं व 13 वीं रात्रि वर्जित है।
यदि पुत्र की इच्छा करनी हो तो पत्नी को ऋतुकाल की 4,6,8,10 व 12वीं रात्रि में से किसी एक रात्रि का शुभ मुहूर्त पसंद कर समागम करना चाहिए।
यदि पुत्री की इच्छा हो तो ऋतुकाल की 5,7 या 9वीं रात्रि में से किसी एक रात्रि का शुभ मुहूर्त पसंद करना चाहिए।
कृष्णपक्ष के दिनों में गर्भ रहे तो पुत्र व शुक्लपक्ष में गर्भ रहे तो पुत्री पैदा होने की सम्भावना होती है।
रात्रि के शुभ समय में से भी प्रथम 15 व अंतिम 15 मिनट का त्याग करके बीच का समय गर्भाधान के लिए निश्चित करें।
गर्भाधान हेतु सप्ताह के 7 दिनों की रात्रियों के शुभ समय इस प्रकार हैं
-क
रविवार – 8 से 9 और 9.30 से 3.00 सोमवार – 10.30 से 12.00 और 1.30 से 3.00
मंगलवार – 7.30 से 9 और 10,30 से 1.30
बुधवार – 7.30 से 10.00 और 3.00 से 4.00
गुरुवार 12.00 से 1.30
शुक्रवार – 9.00 से 10.30 और 12.00 से 3.00
शनिवार – 9.00 से 12.00
गुरुदेब bhuvaneshvar
Par kuti guma m.p.
9893946810
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