ज्योतिष समाधान

Thursday, 8 March 2018

हिंदू पंचांग के अनुसार वर्ष 2018 में दो ज्येष्ठ माह होंगे।

हिंदू पंचांग के अनुसार वर्ष 2018 में दो ज्येष्ठ माह होंगे। खास बात यह रहेगी कि अंग्रेजी कैलेंडर के हिसाब से साल के 365 दिन और 12 माह के बीच ही तिथियों की घटा-बढ़ी में ये दो ज्येष्ठ और इसके 13 माह समाहित रहेंगे। वर्ष 2018 में ज्येष्ठ तो 30 अप्रैल से प्रारंभ हो जाएगा, लेकिन अधिकमास की अवधि 16 मई से 13 जून तक रहेगी। इसे पुरुषोत्तम मास भी कहा जाता है। प्राय: हर तीसरे वर्ष में अधिकमास होता है। इस अवधि में शुभ कार्य नहीं होंगे, लेकिन धार्मिक अनुष्ठान व कथा आदि के आयोजन किए जा सकेंगे। इसके पहले वर्ष 2015 में दो आषाढ़ का अधिकमास था। अब वर्ष 2018 के बाद 2020 में अधिकमास होगा। खास बात यह है कि दो ज्येष्ठ वाला अधिकमास 10 साल बाद आ रहा है। इसके पूर्व वर्ष 2007 में ज्येष्ठ में अधिकमास का योग बना था। दूसरी ओर अंग्रेजी कैलेंडर से आगामी नया वर्ष एक जनवरी सोमवार को शुरू होगा और इसके आखिरी दिन 31 दिसंबर को भी सोमवार ही रहेगा। हिंदू पंचांग के हिसाब से हर तीसरे वर्ष में अधिकमास होता है। वर्ष 2018 में 16 मई से 13 जून तक की अवधि अधिकमास की रहेगी। वैसे ज्येष्ठ माह इसके पूर्व 30 अप्रैल से प्रारंभ होकर 27 जून तक रहेगा, परंतु कृष्ण और शुक्ल पक्ष के दिनों के मान से अधिकमास मई व जून के मध्य भाग में रहेगा। सौरमास 12 और राशियां भी 12 होती हैं। जब दो पक्षों में संक्रांति नहीं होती, तब अधिकमास होता है। अधिकमास शुक्ल पक्ष से प्रारंभ होकर कृष्ण पक्ष में समाप्त होता है। आमतौर पर यह स्थिति 32 माह और 16 दिन और 36 सेकंड में एक बार यानी हर तीसरे वर्ष में बनती है। ऐसा सूर्य व पृथ्वी की गति में होने वाले परिवर्तन से तिथियों का समय घटने-बढ़ने के कारण होता है। पंडित प्रफुल्ल भट्ट का कहना है कि अधिकमास में धार्मिक अनुष्ठान व कथा आदि के आयोजन किए जाते हैं, परंतु इस अवधि में विवाह व अन्य कोई शुभ कार्य नहीं होते हैं। चंद्रमास में 354 व सौरमास 365 दिन ज्योतिष में चंद्रमास 354 दिन व सौरमास 365 दिन का होता है। इस कारण हर साल 11 दिन का अंतर आता है, जो 3 साल में एक माह से कुछ ज्यादा होता है। चंद्र और सौर मास के अंतर को पूरा करने के लिए धर्म शास्त्रों में अधिकमास की व्यवस्था की गई है।

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