ज्योतिष समाधान

Friday, 7 July 2017

9 जुलाई, 2017 (रविवार) गुरु पूर्णिमा जुलाई 8, 2017 को 07:31:10 से पूर्णिमा आरम्भ जुलाई 9, 2017 को 09:36:20 पर पूर्णिमा समाप्त

9 जुलाई, 2017 (रविवार) गुरु पूर्णिमा

जुलाई 8, 2017 को 07:31:10 से पूर्णिमा आरम्भ
जुलाई 9, 2017 को 09:36:20 पर पूर्णिमा समाप्त

गुरु पूर्णिमा 2017 आषाढ़ मास की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा कहते हैं। इस दिन गुरु की पूजा की जाती है। साधारण भाषा में गुरु वह व्यक्ति हैं जो ज्ञान की गंगा बहाते हैं और हमें अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाते हैं।

पूरे भारत में यह पर्व बड़ी श्रद्धा के साथ मनाया जाता है।

गुरु पूर्णिमा मुहूर्त   का ज्योतिषीय  सूत्र और सिद्धांत

1. गुरु पूजा और श्री व्यास पूजा के लिए पूर्णिमा तिथि को सूर्योदय के बाद तीन मुहूर्त तक व्याप्त होना आवश्यक है।

2. यदि पूर्णिमा तिथि तीन मुहूर्त से कम हो तो यह पर्व पहले दिन मनाया जाता है।
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गुरु पूजन विधि

1. इस दिन प्रातःकाल स्नान पूजा आदि नित्यकर्मों को करके उत्तम और शुद्ध वस्त्र धारण करना चाहिए।

2. फिर व्यास जी के चित्र को सुगन्धित फूल या माला चढ़ाकर अपने गुरु के पास जाना चाहिए। उन्हें ऊँचे सुसज्जित आसन पर बैठाकर पुष्पमाला पहनानी चाहिए।

3. इसके बाद वस्त्र, फल, फूल व माला अर्पण कर कुछ दक्षिणा यथासामर्थ्य धन के रूप में भेंट करके उनका आशीर्वाद लेना चाहिए।

गुरु पूर्णिमा महत्व पौराणिक काल के महान व्यक्तित्व, ब्रह्मसूत्र, महाभारत, श्रीमद्भागवत और अट्ठारह पुराण जैसे अद्भुत साहित्यों की रचना करने वाले महर्षि वेदव्यास जी का जन्म आषाढ़ पूर्णिमा को हुआ था; ऐसी मान्यता है।

वेदव्यास ऋषि पराशर के पुत्र थे। हिन्दू धर्म शास्त्रों के अनुसार महर्षि व्यास तीनों कालों के ज्ञाता थे। उन्होंने अपनी दिव्य दृष्टि से देख कर यह जान लिया था कि कलियुग में धर्म के प्रति लोगों की रुचि कम हो जाएगी। धर्म में रुचि कम होने के कारण मनुष्य ईश्वर में विश्वास न रखने वाला, कर्तव्य से विमुख और कम आयु वाला हो जाएगा। एक बड़े और सम्पूर्ण वेद का अध्ययन करना उसके बस की बात नहीं होगी।

इसीलिये महर्षि व्यास ने वेद को चार भागों में बाँट दिया जिससे कि अल्प बुद्धि और अल्प स्मरण शक्ति रखने वाले लोग भी वेदों का अध्ययन करके लाभ उठा सकें।

व्यास जी ने वेदों को अलग-अलग खण्डों में बाँटने के बाद उनका नाम ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद रखा। वेदों का इस प्रकार विभाजन करने के कारण ही वह वेद व्यास के नाम से प्रसिद्ध हुए।

उन्होंने ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद का ज्ञान अपने प्रिय शिष्यों वैशम्पायन, सुमन्तुमुनि, पैल और जैमिन को दिया।

वेदों में मौजूद ज्ञान अत्यंत रहस्यमयी और मुश्किल होने के कारण ही वेद व्यास जी ने पुराणों की रचना पाँचवे वेद के रूप में की, जिनमें वेद के ज्ञान को रोचक किस्से-कहानियों के रूप में समझाया गया है। पुराणों का ज्ञान उन्होंने अपने शिष्य रोम हर्षण को दिया।

व्यास जी के शिष्यों ने अपनी बुद्धि बल के अनुसार उन वेदों को अनेक शाखाओं और उप-शाखाओं में बाँट दिया। महर्षि व्यास ने महाभारत की रचना भी की थी। वे हमारे आदि-गुरु माने जाते हैं।

गुरु पूर्णिमा का यह प्रसिद्ध त्यौहार व्यास जी की जयंती के रूप में भी मनाया जाता है। इसलिए इस पर्व को व्यास पूर्णिमा भी कहते हैं। हमें अपने गुरुओं को व्यास जी का अंश मानकर उनकी पूजा करनी चाहिए।

1. इस दिन केवल गुरु की ही नहीं अपितु परिवार में जो भी बड़ा है अर्थात माता-पिता, भाई-बहन, आदि को भी गुरु तुल्य समझना चाहिए।

2. गुरु की कृपा से ही विद्यार्थी को विद्या आती है। उसके हृद्य का अज्ञान व अन्धकार दूर होता है।

3. गुरु का आशीर्वाद ही प्राणी मात्र के लिए कल्याणकारी, ज्ञानवर्धक और मंगल करने वाला होता है। संसार की सम्पूर्ण विद्याएं गुरु की कृपा से ही प्राप्त होती है।

4. गुरु से मन्त्र प्राप्त करने के लिए भी यह दिन श्रेष्ठ है।

5. इस दिन गुरुजनों की यथा संभव सेवा करने का बहुत महत्व है।

6. इसलिए इस पर्व को श्रद्धापूर्वक जरूर मनाना चाहिए। हम आशा करते हैं कि यह गुरु पूर्णिमा आपके लिए अत्यन्त शुभकारी रहे। गुरु पूर्णिमा की बहुत-बहुत शुभकामनाएँ!
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मनु स्मृति के अनुसार सिर्फ वेदों की शिक्षा देने वाला ही गुरु नहीं होता।
हर वो व्यक्ति जो हमारा सही मार्गदर्शन करे, उसे भी गुरु के समान ही समझना चाहिए।

मनु स्मृति में 10 गुरु बताए गए हैं, जिनका वर्णन इस प्रकार है-

श्लोक

आचार्यपुत्रः शुश्रूषुर्ज्ञानदो धार्मिकः शुचिः।
आप्तःशक्तोर्थदः साधुः स्वाध्याप्योदश धर्मतः।।

इस श्लोक में गुरु की श्रेणियों के बारे में बताया गया है कि दस श्रेणी के व्यक्ति धर्म-शिक्षा देने योग्य होते हैं-

1. आचार्य पुत्र यानी गुरु का बेटा
2. सेवा करने वाला अर्थात् पुराना सेवक
3. ज्ञान देने वाला अध्यापक
4. धर्मात्मा यानी वो व्यक्ति जो धर्म के कार्य करता हो।
5. पवित्र आचरण करने वाला यानी अच्छे काम करने वाला
6. सच बोलने वाला
7. समर्थ पुरुष यानी जिस व्यक्ति के पास ताकत, पैसा आदि हो।
8. नौकरी देने वाला
9. परोपकार करने वाला यानी दूसरों की मदद करने वाला 10. भलाई चाहने वाले सगे-संबंधी

1. सेवा करने वाला अर्थात् पुराना सेवक

पुराना सेवक कभी अपने मालिक का बुरा नहीं चाहता। उसकी ईमानदारी पर विश्वास किया जा सकता है। अगर पुराना सेवक हमें कोई काम करने से रोके या हमारी भलाई के लिए कुछ कहे तो उसकी बातों को गंभीरता से लेना चाहिए न कि हवा में उड़ा देना चाहिए। हो सकता है कि उसकी सलाह हमारे काम आ जाए। ऐसी स्थिति में पुराने नौकर को भी गुरु के समान भी समझना चाहिए।

2. आचार्य पुत्र

आचार्य उस ब्राह्मण को कहते हैं, जो शिष्य का उपनयन (मुंडन) संस्कार कर उसे अपने पास रखकर वेद का ज्ञान तथा यज्ञ आदि की विधि सिखाता है। आचार्य का पुत्र भी सम्माननीय होता है। यदि आचार्य पुत्र भी हमें शिक्षा दे तो उसे भी गुरु मानकर शिक्षा ले लेनी चाहिए। इसलिए आचार्य पुत्र को भी गुरु के ही समान कहा गया है।

3. ज्ञान देने वाला अध्यापक

अध्यापक वो होता है जो हमें वेद-विद्या आदि की शिक्षा देता है। अध्यापक के बारे में मनु स्मृति में लिखा है- य आवृणोत्यवितथं ब्रह्णा श्रवणावुभौ। स माता स पिता ज्ञेयस्तं न द्रुह्योत्कदाचन।। अर्थात- वह ब्राह्मण माता-पिता के समान सम्माननीय होता है, जो वेद-विद्या पढ़ाकर अपने शिष्य के दोनों कानों को पवित्र करता है। इस प्रकार ज्ञान देने वाला अध्यापक भी सम्मान करने योग्य होता है।

4. धर्मात्मा

यानी वो व्यक्ति जो धर्म के कार्य करता हो धर्मात्मा वो व्यक्ति होता है जो हमेशा धर्म के कामों में लगा रहता है। भूल से भी किसी का दिल नहीं दुखाता और दूसरों की मदद करता है। ऐसे व्यक्ति को भी गुरु के समान भी समझना चाहिए क्योंकि धर्मात्मा कभी किसी को गलत सलाह नहीं देगा। अगर धर्मात्मा व्यक्ति कभी कोई सलाह दे तो उसे भी गुरु के समान समझकर उसका पालन करना चाहिए।

5. पवित्र आचरण करने वाला

यानी अच्छे काम करने वाला यदि कोई व्यक्ति पवित्र आचरण यानी हमेशा अच्छे काम करने वाला है तो उससे भी शिक्षा ले लेनी चाहिए। अच्छे काम करने वाला व्यक्ति कभी किसी के बारे में बुरा नहीं सोचेगा। अगर ऐसा व्यक्ति कोई सलाह दे तो उसे भी गुरु समझकर उसका आदर करना चाहिए।

6. सच बोलने वाला

हमेशा सच बोलने वाले व्यक्ति से भी शिक्षा लेनी चाहिए। सच बोलने वाला व्यक्ति यदि हमारा मार्गदर्शन करे या कोई उचित सलाह दे तो उसे भी गुरु मानकर उसकी बातों को गंभीरता से लेना चाहिए।

7. समर्थ पुरुष यानी

यानी वो व्यक्ति जो सभी तरह से सक्षम हो। मनु स्मृति के अनुसार समर्थ पुरुष से भी ज्ञान ले लेना चाहिए क्योंकि समर्थ पुरुष अपने निजी हितों के लिए कभी आपको गलत सलाह नहीं देगा। ऐसा व्यक्ति अगर कोई बात कहे तो उसे गुरु मान कर उस पर भी गंभीरता से विचार करना चाहिए।

8. नौकरी देने वाला

जो व्यक्ति नौकरी दे उससे भी शिक्षा लेने में कोई हिचक नहीं होनी चाहिए। संकट की स्थिति में नौकरी देने वाले व्यक्ति से भी राय ले लेना चाहिए। ऐसा व्यक्ति सदैव आपको सही रास्ता दिखाएगा। इसलिए इसे भी गुरु ही मानना चाहिए।

9. परोपकार करने वाला

यानी दूसरों की मदद करने वाला जो व्यक्ति सदैव दूसरों की मदद करने के लिए तैयार रहता हो उसे भी गुरु मानकर शिक्षा ली जा सकता है। ऐसा मनु स्मृति में लिखा है। परोपकार करने वाला व्यक्ति हमेशा सही रास्ता ही दिखाएगा।

10. भलाई चाहने वाले सगे-संबंधी

जिनसे हमारे घनिष्ठ संबंध हों और जो सदैव हमारा भला चाहते हों, ऐसे रिश्तेदारों को भी गुरु मानना चाहिए। ऐसे रिश्तेदार यदि कोई काम करने से मना करे अथवा कोई सलाह दे तो उसे गुरु की आज्ञा मानकर उसका पालन करना चाहिए
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गुरु पूर्णिमा पर ये रहेगा आपकी राशियों पर प्रभाव---

मेष राशि के जातकों को पिछले कुछ समय से आ रहीं समस्याओं से मुक्ति मिलेगी और रुका हुआ धन प्राप्त होगा।

वृषभ राशि के जातकों के लिए यह परिवर्तन सुखकारी है, इससे कार्यक्षेत्र में प्रगति प्राप्त होगी। किसी कार्य को करने के पहले ठीक तरह से योजना बनाएं तो लाभ मिलेगा।

मिथुन राशि के जातकों के लिए यह परिवर्तन लाभकारी सिद्ध होगा। जो जातक कोई नया कारोबार शुरू करने की सोच रहे हैं उनका कार्य सिद्ध होगा। यदि जन्मस्थान से बाहर कार्य करें तो अधिक लाभ होगा।

कर्क राशि के जातकों के लिए यह परिवर्तन आध्यात्मिक रुचि बढ़ाएगा। जातकों का भाग्योदय होगा।

सिंह राशि के जातकों के लिए यह परिवर्तन यात्रा योग लेकर आ रहा है। व्यवसाय के लिए देश-विदेश में यात्रा होगी।

कन्या राशि के जातकों के लिए यह परिवर्तन मानसिक शांति लेकर आया है। जिन जातकों को स्वास्थ्य की समस्याएं हैं, उन्हें निश्चित ही राहत प्राप्त होगी।

तुला राशि के जातकों के लिए यह परिवर्तन प्रतिकूल है। संचित धन का ह्रास होगा। कर्ज लेना पड़ सकता है।

वृश्चिक राशि के जातकों के लिए यह परिवर्तन ऐश्वर्य योग लाया है। इन दिनों भूमि, भवन, वाहन आदि खरीदने के योग बनेंगे।

धनु राशि के जातकों के लिए यह परिवर्तन राहतभरा होगा। कुछ समय से जारी उलझनें समाप्त होंगी, किसी बड़ी चिंता से मुक्ति मिलेगी।

मकर राशि के जातकों के लिए यह परिवर्तन भाग्योदय लाया है। किसी मुश्किल कार्य में भाग्य का सहयोग मिलेगा, बड़ी योजना सफल होगी।

कुंभ राशि के जातकों के लिए यह परिवर्तन व्यावसायिक लाभ के योग बना रहा है। यदि जातक व्यवसाय में परिवर्तन की योजना बना रहे हैं तो लाभ होगा।

मीन राशि के जातकों के लिए यह परिवर्तन मांगलिक कार्यों के योग बना रहा है। पिछले कुछ समय से कार्य में आ रही बाधाएं दूर होंगी।

पंडित भुबनेश्वर
कस्तूरवांनगर पर्णकुटी गुना
9893946810

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