भारतीय ज्योतिष के कालपुरूष सिद्धांत अनुसार कुण्डली का पांचवां भाव प्रेम को संबोधित करता है
तथा कुण्डली का सातवां भाव विपरीत लिंग को आकर्षित करने में सहायक होता है
तथा कुण्डली का लग्न स्वयं के आकर्षण में प्रभावशीलता लाता है
इन तीनों भावों में से अगर किसी भी भाव का स्वामी या किसी भी भाव का स्वामी बलहीन हो अथवा उपोक्त तीनों भावों में अगर किसी क्रूर ग्रह की छाया अथवा दृष्टि पड़ रही हो अथवा क्रूर ग्रह इन तीनों भावों में बैठा हुआ हो तो व्यक्ति की प्रभावशीलता और आकर्षण में कमी आती है।
तंत्र ज्यतिष के अनुसार कुछ ऐसे उपाय बताए गए हैं जिन्हें करके व्यक्ति किसी को भी अपने वश में कर सकता है।
इस लेख के् माध्यम से हम राशि अनुसार बता रहे हैं की कौन सा तिलक आप लगाकर किसी को भी अपने वश में कर सकते हैं।
मेष-
लाल चंदन का तिलक
वृष-
गौलोचन का तिलक
मिथनु-
इत्र का तिलक
कर्क-
सफेद चंदन का तिलक
सिंह-
केसर का तिलक
कन्या-
कस्तुरी का इत्र
तुला-
चमेली का इत्र
वृश्चिक-
सिंदूर का तिलक
धनु-
पीत चंदन का तिलक
मकर-
रात रानी के इत्र का तिलक
कुंभ- चंदन के इत्र का तिलक
मीन- हल्दी का तिलक
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