पंडित भुबनेश्वर
कस्तूरवानगर पर्णकुटी गुना
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विजयदशमी पूजा का समय विजय मुहूर्त
दशहरा मुहूर्त 11 अक्टूबर 2016
विजय मुहूर्त – 11.59 से 12.23 तक है।
शुभ कार्य हैतू यह समय उत्तम है।
कुल समय 24 मीनिट का है।
इसमें विजय हैतू प्रसथान करना शुभ होगा।
यह समय भी अस्त्र शस्त्र पुजन हैतू उत्तम है। पूजा का समय – 12.11 से 13.34 लाभ का चैघड़िया है
इसके बाद अमृत 13.34 से 14.57 तक है।
दशहरे के उपाय ,
दशहरे के टोटके दशहरा हिन्दू धर्म का बहुत प्रमुख पर्व माना जाता है | शास्त्रों के अनुसार दशहरे के दिन किया गया उपाय अत्यंत श्रेष्ट एवं शीर्घ फल देने वाले होते है | इस दिन किए गए उपायों से समस्त सुखों की प्राप्ति होते है एवं सभी चेत्रो में सफलता मिलती है | दशहरे के दिन दोपहर के समय ईशान दिशा में शुद्ध भूमि पर चंदन, कुमकुम, पुष्प से अष्टदल कमल का निमार्ण करके अपराजित देवी एवं जया और विजया देवी का स्मरण कर उनका पूजन करें। इसके बाद शमी वृक्ष का पूजन करें। शमी वृक्ष के पास जाकर विधिपूर्वक सभी पूजा सामग्री को चढ़ाकर शमी वृक्ष की जड़ों में मिट्टी को अर्पित करें। फिर थोड़ी सी मिट्टी वृक्ष के पास से लेकर उसे किसी पवित्र स्थान पर रख दें। इस दिन शमी के कटे हुए पत्ते और डालियों की पूजा नहीं करनी चाहिए। रात्रि में देवी मां के मंदिर में जाकर दीपक जलाएं साथ ही पूरे घर में रोशनी रखें। नवरात्र में विजयादशमी के दिन शमी की पूजा करने से घर में सुख समृद्धि का स्थाई वास होता है। शमी का पौधा जीवन से टोने-टोटके के दुष्प्रभाव और नकारात्मक प्रभाव को दूर करता है। इस दिन संध्या के समय शमी के वृक्ष के नीचे दीपक जलाने से युद्ध और मुक़दमो में विजय मिलती है शत्रुओं का भय समाप्त होता है । आरोग्य व धन की प्राप्ति होती है। शमी वृक्ष तेजस्विता एवं दृढता का प्रतीक भी माना गया है, जिसमें अगि्न तत्व की प्रचुरता होती है। इसी कारण यज्ञ में अगि्न प्रकट करने हेतु शमी की लकडी के उपकरण बनाए जाते हैं। कहते हैं कि लंका पर विजय पाने के बाद राम ने भी शमी पूजन किया था। नवरात्र में मां दुर्गा की पूजा भी शमी वृक्ष के पत्तों से करने का शास्त्र में विधान है। दशहरे पर शमी के वृक्ष की पूजन परंपरा हमारे यहां प्राचीन समय से चली आ रही है। ऎसी मान्यता है कि मर्यादा पुरूषोत्तम भगवान श्रीराम ने लंका पर आक्रमण करने के पूर्व शमी वृक्ष के सामने शीश नवाकर अपनी विजय हेतु प्रार्थना की थी। महाभारत के समय में पांडवों ने देश निकाला के अंतिम वर्ष में अपने हथियार शमी के वृक्ष में ही छिपाए थे। संभवत: इन्हीं दो कारणों से शमी पूजन की परंपरा प्रारंभ हुई होगी। घर में ईशान कोण (पूर्वोत्तर) में स्थित शमी का वृक्ष विशेष लाभकारी माना गया है। आश्विन माह की विजयदशमी के दिन अपराह्न को शमी वृक्ष के पूजन की परंपरा विशेष कर क्षत्रिय व राजाओं में रही है वह लोग इसके साथ ही अपने अस्त्र शास्त्रों की भी पूजा करते थे । आज भी राजपूत, क्षत्रिय लोग यह परंपरा निभाते है। कहते हैं कि ऎसा करने से व्यक्ति की सभी जगह पर विजय होती है उसका अन्ताकरण पवित्र हो जाता है। इस दिन हमें अपने कार्यक्षेत्र के अस्त्र शास्त्र अर्थात अपने लैपटाप, कम्प्यूटर, अपनी तराजू या जो भी वस्तु हमारे कार्य क्षेत्र में सहायता प्रदान करती है उसकी भी पूजा करनी चाहिए । इससे कार्य क्षेत्र में भी उल्लेखनीय सफलता मिलती है । राम नवमी के दिन किसी पूजा की दुकान से 11 काली गूंजा ले आएं फिर दशहरा के दिन सुबह स्नान के पश्चात इन्हे गंगाजल और गाय के कच्चे दूध से धोकर पूजा घर में रखें । पूजा ख़त्म करने के बाद इनको अपने पास रख लें पूजा घर में ही या अपनी तिजोरी में रखे । काली गूंजा के पास होने से जीवन में कोई भी परेशानी नहीं आती है और यदि कोई संकट आया तो इसका रंग बदल जाता है उस समय इसको हटा कर बहते हुए पानी में विसर्जित कर देना चाहिए और फिर किसी शुभ मुहूर्त में पुन: स्थापित कर लेना चाहिए । दशहरा के दिन शाम को संध्या के समय ( अर्थात जब सूर्यास्त होने का और आकाश में तारे उदय होने का समय हो ) वो समय सर्व सिद्धिदायी विजय काल कहलाता है । जीवन में शत्रुओं पर , राजद्वार से, मुकदमो में विजय के लिए विजयादशमी के दिन संध्या के समय इसी सर्व सिद्धिदायी विजयकाल में विजय के लिए के नीचे दिए गए मंत्रो का जाप करे " ॐ अपराजितायै नमः ॥ ” की कम से कम 5 माला का जप करें । उसके पश्चात हनुमान जी का सिद्ध मन्त्र "ॐ हं हनुमते रुद्रात्मकाय हुं फट्" ॥ की भी कम से कम दो माला का जप करें । इससे जीवन में दृढ़ता और शक्ति प्राप्त होती है। मनोबल ऊँचा रहता है शत्रु शांत हो जाते है, उसको हर जगह विजय की प्राप्ति होती है। दशहरा के दिन छोटी छोटी पर्चियों पर 'राम' नाम लिख कर उसे अलग अलग आटे की लोई में रखकर मछलियों को खिलाएं , इससे भगवान राजा राम की कृपा से जातक को जीवन में सभी सुख और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है । राम नवमी और विजय दशमी दोनों ही दिन जीवन में शुभता, सफलता और सभी क्षेत्रो में विजय के लिए अपने घर और किसी मंदिर में लाल पताका अवश्य ही लगानी चाहिए । दशहरा के दिन से शुरू करते हुए लगातार 43 दिन तक बेसन के लड्डू कुत्ते को खिलाने चाहिए इससे धन लाभ के योग बनते है और धन में बरकत होने लगती है अर्थात घर कारोबार में धन रुकना भी शुरू हो जाता है । दशहरे से शरदपूर्णिमा तक चन्द्रमा की किरणों में अमृत होता है जो शरद पूर्णिमा के दिन अपने चरम पर होता है। अत: दशहरे से शरदपूर्णिमा तक प्रतिदिन रात्रि में 15 से 20 मिनट तक चंद्रमा के आगे त्राटक (बिना पलकें झपकाये एकटक देखना) करें । इससे नेत्रों के विकार दूर होते है नेत्रों की ज्योति तेज होती है । नागकेसर एक बहुत ही पवित्र और प्रभावशाली वनस्पति है।यह कालीमिर्च के सामान गोल होती है, गेरू रंग का यह गोल फूल घुण्डीनुमा होता है और इसके दाने में डण्डी भी लगी होती है । यह फूल गुच्छो में फूलता है, पकने पर गेरू रंग का हो जाता है। नागकेसर भगवान शिव को बहुत ही प्रिय है और तन्त्र शास्त्र में भी इसका बहुत ही ज्यादा महत्व है । रामनवमी या दशहरा के दिन नागकेसर का पौधा लाएं और अपने घर में उसे दशहरा के दिन लगा कर नियमपूर्वक उसकी देखभाल करें । मान्यता है कि जैसे जैसे यह पौधा बढ़ता जायेगा आपकी भी उन्नति होती जाएगी । शास्त्रों के अनुसार दशहरे के दिन नीलकंठ पक्षी का दर्शन करना अत्यंत शुभ माना जाता है। इस दिन इनके दर्शन करने से समस्त सुखो की प्राप्ति होती है |
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