आदरणीय
आपको एबं आपके परिवार को आपके कुटुम्बियों को आपके मित्रो को आपके समस्त आदरणीयों को आपके बालबृन्द जनो को दीपावली की हार्दिक शुभ कामनाये एबं बहूत बहूत बधाईंया
*मान* मिले *सम्मान* मिले,
*खुशियों* का *वरदान* मिले.
*क़दम-क़दम* पर मिले *सफलता*,
*डगर-डगर* *उत्थान* मिले.
*सूरज* रोज *संवारे* दिन को,
*चाँद* मधुर *सपने* ले आये,
हर पल समय *दुलारे* आपको
*सदियों* तक पहचान मिले
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रिद्धि दे सिद्धि दे,
अष्ट नव निद्धि दे,
वंश में वृद्धि दे
ह्रदय में ज्ञान दे,
चित में ध्यान दे,
अभय वरदान दे
दुःख को दूर कर,
सुख भरपुर कर,
आश संपूर्ण कर
सज्जन सो हित दे,
कुटुंब में प्रीत दे,
जग में जीत दे
आपका
पंडित =भुबनेश्वर
कस्तूरवानगर पर्णकुटी गुना
09893946810
श्री बर्धन श्री यंत्र """"""""""""""
व्यापार बृद्धि यंत्र """"""""""""""
एबं लक्ष्मी प्राप्ति यंत्र """"""""""
रुके हुए व्यापार हेतु दीपावली की रात्रि में सिद्ध किये हुए श्री बर्धन यंत्र द्वारा लाभ प्राप्त करने वाले यजमान अपना रजिस्टेशन करवा कर शीघ्र लाभ प्राप्त करे
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संपर्क सूत्र =
पंडित =भुबनेश्वर
कस्तूरवानगर पर्णकुटी गुना
०९८९३९४६८१०
============================= धनत्रयोदशी श्री कुबेर पूजा
कार्तिक बदी १३शूक्रवार प्रदोष कालिक बेला
सायंकाल =०५:५५से ०८:१९तक यमदीपदान
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लक्ष्मी पूजा को प्रदोष काल के दौरान किया जाना चाहिए जो कि सूर्यास्त के बाद प्रारम्भ होता है और लगभग २ घण्टे २४ मिनट तक रहता है। कुछ स्त्रोत लक्ष्मी पूजा को करने के लिए महानिशिता काल भी बताते हैं। हमारे विचार में महानिशिता काल तांत्रिक समुदायों और पण्डितों, जो इस विशेष समय के दौरान लक्ष्मी पूजा के बारे में अधिक जानते हैं, उनके लिए यह समय ज्यादा उपयुक्त होता है। सामान्य लोगों के लिए हम प्रदोष काल मुहूर्त उपयुक्त बताते हैं। लक्ष्मी पूजा को करने के लिए हम चौघड़िया मुहूर्त को देखने की सलाह नहीं देते हैं क्योंकि वे मुहूर्त यात्रा के लिए उपयुक्त होते हैं। लक्ष्मी पूजा के लिए सबसे उपयुक्त समय प्रदोष काल के दौरान होता है जब स्थिर लग्न प्रचलित होती है। ऐसा माना जाता है कि अगर स्थिर लग्न के दौरान लक्ष्मी पूजा की जाये तो लक्ष्मीजी घर में ठहर जाती है। इसीलिए लक्ष्मी पूजा के लिए यह समय सबसे उपयुक्त होता है। वृषभ लग्न को स्थिर माना गया है और दीवाली के त्यौहार के दौरान यह अधिकतर प्रदोष काल के साथ अधिव्याप्त होता है। लक्ष्मी पूजा के लिए हम यथार्थ समय उपलब्ध कराते हैं। हमारे दर्शाये गए मुहूर्त के समय में अमावस्या, प्रदोष काल और स्थिर लग्न सम्मिलित होते हैं। हम स्थान के अनुसार मुहूर्त उपलब्ध कराते हैं इसीलिए आपको लक्ष्मी पूजा का शुभ समय देखने से पहले अपने शहर का चयन कर लेना चाहिए। अनेक समुदाय विशेष रूप से गुजराती व्यापारी लोग दीवाली पूजा के दौरान चोपड़ा पूजन करते हैं। चोपड़ा पूजा के दौरान देवी लक्ष्मीजी की उपस्थिति में नई खाता पुस्तकों का शुभारम्भ किया जाता है और अगले वित्तीय वर्ष के लिए उनसे आशीर्वाद की प्रार्थना की जाती है। दीवाली पूजा को दीपावली पूजा और लक्ष्मी गणेश पूजन के नाम से भी जाना जा
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( = : श्री महालक्ष्मी पूजन महुर्त :=)
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कार्तिक बदी =३०अमावस्या रवि वार शुद्ध
अमावस्या तिथि
अमावस्या आरम्भ
= २९ अक्टुम्बर २०१६ को रात्रि =०८:४०से आरम्भ
आमवश्या समाप्त्
=३०अक्टुम्बर २०१६ को रात्रि =११:४०तक
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दिनांक ३०=अक्टुम्बर २०१६
व्यापारी बर्ग की गद्दि स्थापना महुर्त
स्याही भरना
कलम दवात सवरना
चौघड़िया मुहूर्त
१】प्रात:०८:१२ से ०९:३५ तक चंचल बेला
२】प्रात:०९:३५ से १२:२१तक लाभ बेला
३】दोपहर ११:५७से १२:४५ तकअभिजित् महुर्त
४】दोपहर ०१:४४से ०३:०७
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श्री महालक्ष्मी पूजन
१】सायंकाल गौधूली प्रदोषकालिक बेला
सायंकाल =०५:५३से ०८:१७तक
२】स्थिर लग्न मुहूर्त=
बृषभ लग्न बेला सायंकाल
रात्रि=६:५३से०८:४९तक
३】अर्द्ध रात्रि सिंह लग्न बेला =
मध्य रात्रि =१:२१मिनिट से ३:३८ तक
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रोकड़ मिलान मुहूर्त
श्री नावाँ कार्य शुभारम्भ हेतु
कार्तिक सुदी =१ सोमवार
१】प्रात:=०६:५०से ०८:१३तक
२】प्रातः=०९:३६से१०:५८तक
३】सायंकाल दिवा ०३:०७से ५:५३तक
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भाई दूज टीका मुहूर्त
= ब्रश्चिक लग्न= प्रात: ०७. बजे से ०९. बजे तक
= कुम्भ लग्न दोपहर ०१:१० बजे से ०३:२३बजे तक
चोघड़िया मुहूर्त =
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गोबर्धन पूजा मुहूर्त
प्रात:०६:३०से ८ :४४ तक
दोपहर ३:२४से ५:३७ तक
अधिकतर गोवर्धन पूजा का दिन दीवाली पूजा के अगले दिन पड़ता है और इस दिन को भगवान कृष्ण द्वारा इन्द्र देवता को पराजित किये जाने के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। कभी-कभी दीवाली और गोवर्धन पूजा के बीच एक दिन का अन्तराल हो सकता है। धार्मिक ग्रन्थों में कार्तिक माह की प्रतिपदा तिथि के दौरान गोवर्धन पूजा उत्सव को मनाने का बताया गया है। हिन्दु कैलेण्डर में गोवर्धन पूजा का दिन अमावस्या तिथि के एक दिन पहले भी पड़ सकता है और यह प्रतिपदा तिथि के प्रारम्भ होने के समय पर निर्भर करता है। गोवर्धन पूजा को अन्नकूट पूजा भी कहा जाता है। इस दिन गेहूँ, चावल जैसे अनाज, बेसन से बनी कढ़ी और पत्ते वाली सब्जियों से बने भोजन को पकाया जाता है और भगवान कृष्ण को अर्पित किया जाता है। महाराष्ट्र में यह दिन बालि प्रतिपदा या बालि पड़वा के रूप में मनाया जाता है। वामन जो कि भगवान विष्णु के एक अवतार है, उनकी राजा बालि पर विजय और बाद में बालि को पाताल लोक भेजने के कारण इस दिन उनका पुण्यस्मरण किया जाता है। यह माना जाता है कि भगवान वामन द्वारा दिए गए वरदान के कारण असुर राजा बालि इस दिन पातल लोक से पृथ्वी लोक आता है।
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