घटस्थपना महुर्त = 06:16 से 07:25 समय अबधि = 1 घण्टा 9 मिनिट
प्रतिपदा आरम्भ= 05:41
1/Oct/2016 प्रतिपदा
प्रतिपदा समामप्त = 07:45 on 2/Oct/2016
कलश स्थापना और पूजा का समय भारतीय शास्त्रानुसार नवरात्रि पूजन तथा कलशस्थापना आश्विन शुक्ल प्रतिपदा के दिन सूर्योदय के पश्चात १० घड़ी तक
अथवा अभिजीत मुहूर्त में करना चाहिए। कलश स्थापना के साथ ही नवरात्र प्रारम्भ हो जाता है।
यदि प्रतिपदा के दिन चित्रा नक्षत्र हो तथा वैधृति योग हो तो वह दिन दूषित होता है।
इस बार 1 अक्टूबर 2016 को प्रतिपदा के दिन न हीं चित्रा नक्षत्र है तथा न हीं वैधृति योग है
परन्तु शास्त्र यह भी कहता है की यदि प्रतिपदा के दिन ऐसी स्थिति बन रही हो तो उसका परवाह न करते हुए अभिजीत मुहूर्त में घट स्थापना तथा नवरात्र पूजन कर लेना चाहिए।
निर्णयसिन्धु के अनुसार
— सम्पूर्णप्रतिपद्येव चित्रायुक्तायदा भवेत। वैधृत्यावापियुक्तास्यात्तदामध्यदिनेरावौ।।
अभिजितमुहुर्त्त यत्तत्र स्थापनमिष्यते।
अर्थात अभिजीत मुहूर्त में ही कलश स्थापना करना चाहिए।
भारतीय ज्योतिषशास्त्रियों के अनुसार नवरात्रि पूजन द्विस्वभाव लग्न में करना श्रेष्ठ होता है।
ज्योतिषशास्त्र के अनुसार
मिथुन,
कन्या,
धनु
तथा कुम्भ राशि द्विस्वभाव राशि है।
अतः हमें इसी लग्न में पूजा प्रारम्भ करनी चाहिए।
1 अक्टूबर 2016 प्रतिपदा के दिन हस्त नक्षत्र और ब्रह्म योग होने के कारण सूर्योदय के बाद तथा अभिजीत मुहूर्त में घट/कलश स्थापना करना चाहिए।
प्रथम(प्रतिपदा) नवरात्र हेतु पंचांग विचार
दिन(वार) – शनिवार
तिथि – प्रतिपदा
नक्षत्र – हस्त
योग – ब्रह्म
करण – किंस्तुघ्न
पक्ष – शुकल
मास – आश्विन
लग्न – धनु (द्विस्वभाव) लग्न समय – 11:33 से 13:37
मुहूर्त – अभिजीत मुहूर्त समय – 11:46 से 12:34 तक
राहु काल – 9:12 से 10:41 तक
विक्रम संवत – 2073 इस वर्ष अभिजीत मुहूर्त (11:46 से12:34) जो ज्योतिष शास्त्र में स्वयं सिद्ध मुहूर्त माना गया धनु लग्न में पड़ रहा है
अतः धनु लग्न में ही पूजा तथा कलश स्थापना करना श्रेष्ठकर होगा।
मूर्तियां बनाने के लिए मिट्टी गंगा के किनारों से आती है,
गोबर,
गौमूत्र
और थोड़ी सी मिट्टी निषिद्धो पाली से ली जाती है. और क्या आप जानते हैं कि निषिद्धो पाली क्या है? सोनागाछी... जी हां... सोनागाछी, वही सोनागाछी, जो एशिया के सबसे बड़े रेड लाइट इलाकों में से एक है. यहां लगभग 11000 वेश्याएं रहती हैं.
आख़िर क्या है मान्यता वैसे इसकी मान्यता से संबंधित इतिहास में बहुत सारी विविधताएं हैं, जिसकी वजह से प्रमाण प्रमाणित नहीं बल्कि कुछ एक कथन बन कर रह गये हैं. कुछेक पंडितों का कहना है कि "मां ने अपने इन भक्तों को सामाजिक तिरस्कार से बचाने के लिए आंगन की मिट्टी से अपनी मूर्ति स्थापित करवाने की परंपरा शुरू करवाई" इसके अलावा एक मान्यता ये भी है कि जब एक महिला सोनागाछी के द्वार पर खड़ी होती है तो सारी पवित्रता को वहीं छोड़कर इस दुनिया में प्रवेश करती है, इसी कारण यहां की मिट्टी पवित्र मानी जाती है.
मान्यताएं बहुत हैं लेकिन वास्तविक प्रमाण बस इतने ही हैं कि वेश्याओं के आंगन से जो मिट्टी लाई जाती है उससे ही मां दुर्गा की पवित्रता का सरोबार होता है. अब इससे पता चलता है कि मां दुर्गा के दरबार में सब एक समान ही हैं.
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