भगवान कृष्ण को अति प्रिय मानी जाने वाली तुलसी लगभग सभी हिन्दुओं के आंगनों में देखी जा सकती है। तुलसी मुख्यतया दो प्रकार की होती है, श्यामा एवं रामा। श्यामा तुलसी के पत्ते हल्का काला रंग लिये हुये होते हैं, जबकि रामा तुलसी के पत्ते हरे एवं भूरे रंग के होते हैं। तुलसी के बारे में एक कथा प्रचलित है कि एक बार जब युधिष्ठर राजसूय यज्ञ कर रहे थे उस समय सभी राजा जीते जा चुके थे पर जरासंध को जीतना मुश्किल हो रहा था क्योंकि उसकी पत्नी वृंदा पतिव्रता थी उसके पतिव्रत धर्म के कारण वह मारे नहीं मरता था। वृंदा का पतिवृत धर्म नष्ट करने के लिये कृष्ण ने कपट से जरासंध का रूप धारण कर लिया और वृंदा का पतिवृत धर्म नष्ट कर दिया। जब वृंदा को अपने साथ हुये इस धोखे का पता चला तो उसने कृष्ण को श्राप दिया कि तुम पत्थर हो जाओ जिससे कृष्ण सालिगराम बन गये। उसी समय वहां लक्ष्मी जी आ गईं उन्होंने गुस्से में वृंदा को श्राप दिया कि तुम जड़ हो जाओ जिससे वृंदा तुलसी रूपी पौधा बन गई। झगड़ा बढ़ता देखकर भगवान कृष्ण ने अपनी गलती स्वीकार करते हुये बीच-बिचाव कराया और वृंदा को वरदान दिया कि आज से मैं किसी भी पूजन में कोई भी भोग बिना तुलसी के स्वीकार नहीं करूंगा। तभी से भगवान के पूजन में तुलसी दल का प्रयोग अनिवार्य हो गया। यह तो हुई पौराणिक बात। इस संबंध में विज्ञानियों का कहना है कि तुलसी को धर्म को जोड़ने का उद्देश्य इस छोटे से पौधे को लुप्त होने से बचाना था, भारत के प्राचीन ऋषि मुनि काफी विद्वान थे उन्हें मालूम था कि तुलसी असंख्य गुणों वाला पौधा है अतः इसे धर्म से जोड़ दिया तो यह अन्य वनस्पतियों की तरह विलुप्त नहीं होगा। सच भी है यदि इस पौधे को धर्म से न जोड़ा गया होता तो शायद तमाम अन्य वनस्पतियों की तरह यह भी लुप्त हो गया होता अथवा लुप्त होने की कगार पर होता। तुलसी की जड़, पत्ती, तना, बीज (मंजरी) आदि हर भाग किसी न किसी रोग की औषधि है, आइये एक नजर डालते हैं तुलसी के औषधीय गुणों पर:-
1.】 प्रातः खाली पेट 2-3 चम्मच तुलसी के रस का सेवन किया जाये तो शारीरिक बल एवं स्मरण शक्ति में वृद्धि के साथ-साथ व्यक्तित्व भी प्रभावशाली बनता है।
2. 】शरीर के बजन को नियंत्रित करने हेतु भी तुलसी गुणकारी है, इसके नियमित सेवन से भारी व्यक्ति का बजन घटता है एवं दुबले का बढ़ता है।
3. 】यदि तुलसी की पत्तियों को काली मिर्च के साथ सेवन किया जाये तो मलेरिया एवं मियादी बुखार में आराम मिलता है।
4. 】चाय बनाते समय कुछ पत्ती तुलसी की डाल दी जाये ंतो सर्दी बुखार एवं मांस पेशियों के दर्द में राहत मिलती है।
5.】 तुलसी के रस में खड़ी शक्कर मिला कर पीने से सीने के दर्द एवं खांसी में राहत मिलती है।
6. 】दूषित पानी में तुलसी की कुछ पत्तियां डालने से पानी शुद्ध हो जाता है।
7. 】पेट में दर्द होने पर तुलसी रस और अदरक रस को समान मात्रा में लेकर दिन भर में तीन चार बार पीने से दर्द का नाश होता है।
8. 】10 ग्राम तुलसी के साथ 5 ग्राम शहद एवं 5 ग्राम पिसी काली मिर्च का सेवन किया जाये तो पाचन शक्ति बढ़ती है।
9. 】चर-पांच भुने हुये लौंग के साथ तुलसी की पत्ती चूसने से सभी प्रकार की खांसी से राहत मिलती है।
10. 】तुलसी की पत्तियां चबाने से मुंह से आने वाली दुर्गंध समाप्त होती है।
11.】 तुलसी के ताजे पत्तों को गर्मकर नमक के साथ खाने से बंद गला खुल जाता है।
12.】 तुलसी की पत्तियां प्रत्येक सुबह पानी के साथ पीसकर लगाने से एक्जिमा एवं खुजली से राहत मिलती है।
13. 】तुलसी रस की गरम बंूदें कान में डालने से कान के दर्द में राहत मिलती है।
14.】 मुंहासों पर तुलसी का लेप करने से मुंहासे समाप्त होते हैं।
15.】 तुलसी के ताजे रस का सेवन उल्टी को रोकने में काफी कारगर है। इस प्रकार इस नन्हे से पौधे का प्रत्येक भाग अत्यंत गुणकारी है।
No comments:
Post a Comment