यास्मिन स्थाने जपं कुर्याद्धरेच्छक्रो न तत्फलम्।
तन्मृदा लक्ष्म कुर्वीत ललाटे तिलकाकृतिम्।।
(जप वाचिक, उपांशु और मानसिक होता है तो तीनों ही में ये नियम लगते हैं।)
आप यदि संकल्प लेकर कोई जप कर रहे हैं तो ये करिए। ऊर्जा के संचय और संधान के लिए ये आवश्यक है।
Gurudev
Bhubneshwar
Parnkuti Guna
9893946810
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