दक्षिणाभिमुखी होते हैं दाईं सूंड वाले गणेश
दाईं दिशा में सूंड वाले गणेश जी को दक्षिणाभिमुखी गणेश कहा जाता है, जिनके दुर्लभ होने की खास वजह है. दक्षिणाभिमुखी गणेश जी की पूजा काफी कठिन होती है, क्योंकि ये जागृत व क्रोधित माने जाते हैं. उन्हें प्रसन्न करने के लिए कठिन साधना करनी होती है. मान्यता है कि यदि इनकी सही विधि विधान से पूजा नहीं की जाए तो ये रुष्ट हो जाते हैं. ऐसे में आमतौर पर दक्षिणाभिमुख गणेश जी की पूजा नहीं की जाती है.
तेज बढ़ाते हैं दाईं दिशा वाले गणेश जी
दक्षिण दिशा में सूंड वाले गणेश जी की पूजा भले ही बहुत कम की जाती है, लेकिन जो भी विधि-विधान से उनकी पूजा करे तो उसकी हर मनोकामना पूरी होकर मृत्यु का भय तक खत्म हो जाता है. दक्षिण दिशा में यमलोक होता है, वहीं शरीर की दाईं नाड़ी सूर्य नाड़ी होती है. ऐसे में दक्षिणाभिमुखी गणेश जी की पूजा यमराज के भय से मुक्त कर आयु, ओज व तेज बढ़ाने वाली होती है.
दाईं दिशा में सूंड वाले गणेश जी को दक्षिणाभिमुखी गणेश कहा जाता है, जिनके दुर्लभ होने की खास वजह है. दक्षिणाभिमुखी गणेश जी की पूजा काफी कठिन होती है, क्योंकि ये जागृत व क्रोधित माने जाते हैं. उन्हें प्रसन्न करने के लिए कठिन साधना करनी होती है. मान्यता है कि यदि इनकी सही विधि विधान से पूजा नहीं की जाए तो ये रुष्ट हो जाते हैं. ऐसे में आमतौर पर दक्षिणाभिमुख गणेश जी की पूजा नहीं की जाती है.
तेज बढ़ाते हैं दाईं दिशा वाले गणेश जी
दक्षिण दिशा में सूंड वाले गणेश जी की पूजा भले ही बहुत कम की जाती है, लेकिन जो भी विधि-विधान से उनकी पूजा करे तो उसकी हर मनोकामना पूरी होकर मृत्यु का भय तक खत्म हो जाता है. दक्षिण दिशा में यमलोक होता है, वहीं शरीर की दाईं नाड़ी सूर्य नाड़ी होती है. ऐसे में दक्षिणाभिमुखी गणेश जी की पूजा यमराज के भय से मुक्त कर आयु, ओज व तेज बढ़ाने वाली होती ह
Gurudev
Bhubneshwar
Guna
९८९३९४६८१०
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