रक्षाबंधन 11 अगस्त को
अथवा 12 अगस्त को ?
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इदं भद्रायां न कार्यम् ।
अर्थात् मुख्यतः
यह 2 कार्य भद्रा काल में ना करें,
फिर चाहे भद्राकाल स्वर्ग की हो अथवा पाताल की।
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👉द्वे न कर्तव्ये श्रावणी फाल्गुनी तथा ।
श्रावणी नृपतिं हन्तिं ग्रामं दहति फाल्गुनी!!
अर्थात् भद्राकाल में रक्षाबंधन और होलिका दहन कदापि ना करें!(धर्मसिन्धु)
👉अब जो बड़े-बड़े विद्वान कहते हैं कि भद्राकाल पाताल की है इसलिए हानि नहीं करेगी !
जो पंचांगकार 11 अगस्त 2022 को दिन में रक्षाबंधन का मुहूर्त दे रहे हैं वह शास्त्रों के विरुद्ध है!
👉अरे भाई !
कम से कम धर्मसिंधु और निर्णय सिंधु के वचनों की ओर ध्यान तो दो
( भद्रा काल में रावण की बहन ने,रावण को राखी बांधी थी परिणाम आप सब जानते हैं।)
👉अब देखिए निर्णय सिंधु और क्या कहता है ?
👇
पूर्णिमायां भद्रा रहितायां त्रिमुहूर्त्ताधिकोदव्यापिनीयां अपराह्ने वा कार्यम्।।
उदय त्रिमुहूर्त्त न्यूनत्वे पूर्वेद्युर्भद्रा रहिते प्रदोषादि काले कार्यम्।।
तत्सत्वे तु रात्रावपि तदन्ते कुर्यात् !
अर्थात भद्रा रहित और तीन मुहूर्त( लगभग 6 घड़ी= 2:24 घं.मि.) से अधिक उदयकाल व्यापनी पूर्णिमा के अपराह्न या प्रदोष काल में करें!
यदि तीन मुहूर्त से कम हो तो न करें!
ऐसी परिस्थिति में जब भद्रा बीत जाए,फिर चाहे रात्रि में ही बीते,तब रक्षाबंधन करें!
( धर्मसिंधु & निर्णय सिंधु )
👉12 अगस्त 2022 को पूर्णिमा तिथि तीन मुहूर्त अर्थात् 6 घड़ी से कम है।
इसीलिए कुछ पंचांगकारों ने 12 अगस्त 2022 को रक्षाबंधन के लिए मुहूर्त नहीं दिया है !
क्योंकि 👇
एक मुहूर्त= लगभग 2 घड़ी=48 मिनट
तीन मुहूर्त = 2×3= 6 घडी= 2.24 घं. मि.
12 अगस्त 2022 को पूर्णिमा 7:05 तक है
चूँकि सूर्योदय 5:43 से 7:05 तक का समय 1:22 घं मि. होगा जोकि 6 घड़ी अर्थात 2 घंटा 24 मिनट से कम है!
11 अगस्त 2022 को प्रात: 10:38 से रात्रि 8:50 तक भद्रा लगी हुई है जैसा कि मैंने अभी बताया कि भद्रा काल में रक्षाबंधन और होलिका दहन नहीं किया जाता!
लेकिन ऊपर मैंने शास्त्र वचन से कहा है कि भद्रा बीतने के बाद रक्षाबंधन करें फिर चाहे रात्रि ही क्यों ना हो।(निशीथ काल से पहले)
तो 11 अगस्त को रात्रि 8:50 से 9:50 के बीच में रक्षाबंधन करें, क्योंकि उपरोक्त वचनानुसार....तत्सत्वे तु रात्रावपि तदन्ते कुर्यात् अर्थात भद्रा के बीतने पर रात्रि में भी करें!
और देखिए👇
चूंकि 12 अगस्त को प्रातः 7:05 से प्रतिपदा तिथि लग चुकी है रक्षाबंधन के संबंध में निर्णय सिंधु कहता है कि...
इदं प्रतिपद्युतायां न कार्यम् अर्थात् प्रतिपदा से युक्त रक्षाबंधन ना करें।
इन्हीं शास्त्रीय वचनों के आधार पर 11 अगस्त 2022 को कुछ पंचांगकारों ने रक्षाबंधन का मुहूर्त रात्रि में दिया।
👨💻🚩 अब देखते हैं कि 12 अगस्त 2022 को रक्षाबंधन क्यों मनाई जा रही है?
👇
सम्प्राप्ते श्रावणस्यान्ते
पोर्णमास्यां दिन उदये ।
स्नानं कुर्वीत मतिमान् श्रुति स्मृति विधानततः।।
( निर्णय सिंधु में
हेमाद्री का मंतव्य/भविष्य पुराणोक्त)
अर्थात् सूर्योदय व्यापिनी पूर्णिमा श्रुति और स्मृति विधान से बुद्धिमान व्यक्ति ग्रहण करें ।सभी सप्त ऋषियों का पूजन करें उसके पश्चात अपराह्न समय में रक्षाबंधन करें जो कि 12 अगस्त 2022 को पूर्णिमा 1:22 घं मि. प्राप्त हो रही है इसलिए स्वीकार्य है।
इसी संबंध में कालमाधव का कहना है..
👇
या तिथिससमनुप्राप्य उदयं याति भास्करः।
सा तिथिः सकला ज्ञैया स्नान-दान- व्रतादिषु।।
उदयन्नैव सविता यां तिथिम् प्रतिपद्यते ।
सा तिथिः सकलाज्ञेया दानाध्यन कर्मसु।।
अर्थात् सूर्योदय के बाद तिथि चाहे जितनी हो उसी दिन को व्रत-पूजा-यज्ञ अनुष्ठान-स्नान और दानादि के लिए संपूर्ण अहोरात्र में पुण्य फल प्रदान करने वाली माना गया है फिर चाहे 1 घड़ी या आधी घड़ी ही क्यों ना हो!
(श्राद्ध कर्म को छोड़कर)
"धनिष्ठा प्रतिपद युक्तं त्वाष्ट ऋक्ष समन्वितम्।
श्रावणं कर्म कुर्वीरन् ऋज्ञजु: साम पाठका:।।
🚩धनिष्ठायुक्त श्रवण में ऋग्वेदी,
🚩प्रतिपदायुक्त पौर्णमासी में यजुर्वेदी
🚩तथा चित्रायुक्त हस्त में सामवेदी श्रावणी कर्म करें।
🚩निर्णयसिंधु कार स्वर्गीय महा उपाध्याय श्री पंडित विद्याधर गौड़ जी भी श्रावणी कर्म उपयोगी संक्षिप्त निर्णय में कहते हैं..👇
भद्रायोगे रक्षाबंधनस्यैव निषेधात्।
एवं प्रतिपद्योगोऽपि न निषिद्ध: ।।
रक्षाबंधन में भद्रा का निषेध है परंतु प्रतिपदा निषिद्ध नहीं।।
चूंकि 11 अगस्त को रात्रि 8:50 तक भद्रा है 12 अगस्त को भद्रा नहीं है और 7:05 से प्रतिपदा से युक्त है ।
🚩उत्तराषाढ़ा नक्षत्र से युक्त रक्षाबंधन का कर्म वर्जित है!
कैसे?
देखिये 👇
हेमाद्री में व्यास जी ने कहा है कि श्रवण नक्षत्र का कर्म धनिष्ठा से संयुक्त हो तो संपूर्ण कर्म उपाकरण संज्ञा वाला जानना चाहिए।
अब ध्यान दीजिए श्रवण नक्षत्र में श्रावणी उत्तम कही गई है यह योग 12 अगस्त को धनिष्ठा और श्रवण नक्षत्र से युक्त हो रहा है अतः अति उत्तम है।
इसी वचन में आगे कहते हैं कि जो श्रावण का कर्म(रक्षाबंधन) उत्तराषाढ़ा से युक्त हो तो 1 साल का किया हुआ वेद पाठ उसी क्षण नाश हो जाता है।
यह योग प्रातः काल 11 अगस्त को ही उत्तराषाढ़ा नक्षत्र 02 घड़ी 30 पल अर्थात् 1:00 घं मि. से युक्त है
( निर्णय सिंधु द्वितीय परिच्छेद पृष्ठ सं 238 संलग्न है)
👉कुछ विद्वान कहते हैं कि भद्रा के पुच्छ काल में रक्षाबंधन हो सकता है!
चलिए यह भी मान लेते हैं कि भद्रा के पुच्छकाल में यह कार्य किया जा सकता है परंतु "द्वे न कर्तव्ये श्रावणी फाल्गुनी तथा" वचन ने सम्पूर्ण भद्राकाल को अपने से अलग कर लिया है।
निष्कर्षः 11 अगस्त को रात्रि में लगभग 60 मिनट का मुहूर्त रक्षाबंधन के लिए है
गुरुदेव
Bhubneshwar
Parnkuti guna
9893946810
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