नरक चतुर्दशी का शास्त्रोक्त नियम
1. कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी के दिन चंद्र उदय या अरुणोदय (सूर्य उदय से सामान्यत: 1 घंटे 36 मिनट पहले का समय) होने पर नरक चतुर्दशी मनाई जाती है।
हालांकि अरुणोदय पर चतुर्दशी मनाने का विधान सबसे ज्यादा प्रचलित है।
2. यदि दोनों दिन चतुर्दशी तिथि अरुणोदय अथवा चंद्र उदय का स्पर्श करती है तो
नरक चतुर्दशी पहले दिन मनाने का विधान है।
इसके अलावा अगर चतुर्दशी तिथि अरुणोदय या चंद्र उदय का स्पर्श नहीं करती है तो भी नरक चतुर्दशी पहले ही दिन मनानी चाहिए।
3. नरक चतुर्दशी के दिन सूर्योदय से पहले चंद्र उदय या फिर अरुणोदय होने पर तेल अभ्यंग( मालिश) और यम तर्पण करने की परंपरा है।
नरक चतुर्दशी पूजन विधि
1. नरक चतुर्दशी के दिन प्रात:काल सूर्य उदय से पहले स्नान करने का महत्व है।
इस दौरान तिल के तेल से शरीर की मालिश करनी चाहिए, उसके बाद अपामार्ग यानि चिरचिरा (औधषीय पौधा) को सिर के ऊपर से चारों ओर 3 बार घुमाए।
2. नरक चतुर्दशी से पहले कार्तिक कृष्ण पक्ष की अहोई अष्टमी के दिन एक लोटे में पानी भरकर रखा जाता है।
नरक चतुर्दशी के दिन इस लोटे का जल नहाने के पानी में मिलाकर स्नान करने की परंपरा है।
मान्यता है कि ऐसा करने से नरक के भय से मुक्ति मिलती है।
3. स्नान के बाद दक्षिण दिशा की ओर हाथ जोड़कर यमराज से प्रार्थना करें।
ऐसा करने से मनुष्य द्वारा वर्ष भर किए गए पापों का नाश हो जाता है।
4. इस दिन यमराज के निमित्त तेल का दीया घर के मुख्य द्वार से बाहर की ओर लगाएं।
5. नरक चतुर्दशी के दिन शाम के समय सभी देवताओं की पूजन के बाद तेल के दीपक जलाकर घर की चौखट के दोनों ओर, घर के बाहर व कार्य स्थल के प्रवेश द्वार पर रख दें।
मान्यता है कि ऐसा करने से लक्ष्मी जी सदैव घर में निवास करती हैं।
6. नरक चतुर्दशी को रूप चतुर्दशी या रूप चौदस भी कहते हैं इसलिए रूप चतुर्दशी के दिन भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करनी चाहिए ऐसा करने से सौंदर्य की प्राप्ति होती है।
7. इस दिन निशीथ काल (अर्धरात्रि का समय) में घर से बेकार के सामान फेंक देना चाहिए।
इस परंपरा को दारिद्रय नि: सारण कहा जाता है। मान्यता है कि नरक चतुर्दशी के अगले दिन दीपावली पर लक्ष्मी जी घर में प्रवेश करती है,
इसलिए दरिद्रय यानि गंदगी को घर से निकाल देना चाहिए
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