ज्योतिष समाधान

Friday, 16 August 2024

ग्रहों के उच्च-नीच, मूलत्रिकोण, परमोच्च आदि का काव्यात्मक परिचय*

*ग्रहों के उच्च-नीच, मूलत्रिकोण, परमोच्च आदि का काव्यात्मक परिचय*
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            *सूर्य का परिचय*
            
*सूरज होता उच्च मेष में,*
 *नीच तुला में हो जाता है।*
 *स्वगृही और मूलत्रिकोण सब,*
 *सिंह राशि में कहलाता है।*
 *शासन सत्ता मान प्रतिष्ठा,*
 *पद मिलता सर्वोच्च।*
 *10 अंश पर हो जाता जब,*
 *मेष में रवि परमोच्च।।*

         *चंद्र का परिचय*
         

*मन के कारक चंद्रदेव हैं,*
 *2 में उच्च 8 में नीच।*
 *कर्क राशि में अपने घर के,*
 *मूल त्रिकोण हैं वृष के बीच।*
 *राशि दूसरी अंश 3 पर,*
 *परमोच्च हो जाते चंदा।*
 *धन दौलत से घर भरते पर,*
 *चंचल मन का होता बंदा।।*

           *मंगल का परिचय*
           

 *सेनापति हैं उच्च मकर में,*
 *नीच कर्क में हो जाते हैं।*
 *1और 8 में अपने घर के,*
 *मूलत्रिकोण मेष में कहलाते हैं।।*
 *अंश 28 प्राप्त करें जब,*
 *परम बली हो जाते मंगल।*
 *शत्रु नाश करते हैं महिसुत,*
 *बली होय नर जीते दंगल।।*

         *बुध का परिचय*
          

 *बुध वाणी के कारक होते,*
 *कन्या राशि बहुत पसंद है।*
 *यही उच्च व मूलत्रिकोण है,*
*अपने घर में परमानंद है।*
 *मिथुन में भी निज घर के होते,*
 *नीच मीन में हो जाते हैं।*
*पक्ष अंश पर परम उच्च हो,*
 *यह भविष्य भी बतलाते हैं।।*

        *गुरु का परिचय*
         

 *देवगुरु हैं उच्च कर्क में,*
 *नीच मकर में होते हैं।*
 *धनु मीन में अपने घर के,*
 *धनु मूलत्रिकोणी होते हैं।*
 *5 अंश पर कर्क राशि में,*
 *परम उच्च पद पाते हैं।*
 *धर्म-कर्म में मन लगता है,*
 *सुख संपत्ति भी दे जाते हैं।।*

            *शुक्र का परिचय*
             

 *निशाचरों के गुरु शुक्र हैं,*
 *उच्च मीन में हो जाते हैं।*
 *कन्या राशि में नीच के होते,*
 *मन को बहुत ये भरमाते हैं।*
 *दो और सात तो अपना घर है,*
 *मूलत्रिकोण भी तुला में है।*
 *जिनके 27 अंश में परम उच्च हों,*
 *उनके सम कौन जिला में है?*

        *शनि का परिचय*
         

 *बाप का उल्टा बेटा चलता,*
 *उच्च तुला में नीच मेष में।*
 *मकर कुंभ में अपने घर का,*
 *मूल त्रिकोणी मकर राशि में।*
 *कर्म का फल देता है रवि सुत,*
 *करता सबकी तफ्तीश।*
 *कर देता है रंक से राजा,*
 *हो तुला अंश जब बीस।।*

          *राहु का परिचय*
         

 *वृष में उच्च नीच वृश्चिक में,*
 *राहु की उल्टी चाल है।*
 *मिथुन में मूलत्रिकोण व निज घर,*
 *करते यहीं कमाल हैं।*
 *केवल सिर है जिधर देखते,*
 *उधर कराते पंगा हैं।*
 *अशुभ प्रभावी महादशा में,*
 *करवा देते दंगा हैं।।*

          *केतु का परिचय*
         

 *राहु से उल्टा केतु रहते,*
*उच्च 8 में नीच वृषभ में,*
 *धनु राशि में बैठे हों तो,*
 *मूलत्रिकोण होय स्वगृह में।*
 *धड़ केतु है यदि शुभ में हो,*
 *ध्वजा सदा फहराते हैं।*
 *व्यय भाव में बैठे हों तो,*
 *मोक्ष दायक बन जाते हैं।।*

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