ज्योतिष समाधान

Saturday, 10 June 2017

पंचक शुरु होने से खत्म होने तक किसी यात्रा की योजना न बनाएं मजबूरी वश कहीं जाना भी पड़े तो दक्षिण दिशा में जाने से परहेज करें क्योंकि यह यम की दिशा मानी जाती है। इस दौरान दुर्घटना या अन्य विपदा आने का खतरा आप पर बना रहता है।

ज्योतिषशास्त्र के अनुसार अशुभ और हानिकारक नक्षत्रों के योग को ही पंचक कहा जाता है इसलिये पंचक को ज्योतिष शुभ नक्षत्र नहीं मानता।

कब होता है पंचक जब चंद्रमा गोचर में कुंभ और मीन राशि से होकर गुजरता है तो यह समय अशुभ माना जाता है इस दौरान चंद्रमा धनिष्ठा से लेकर शतभिषा, पूर्वा भाद्रपद, उत्तरा भाद्रपद एवं रेवती से होते हुए गुजरता है इसमें नक्षत्रों की संख्या पांच होती है

इस कारण इन्हें पंचक कहा जाता है। कुछ कार्य ऐसे हैं जिन्हे विशेष रुप से पंचक के दौरान करने की मनाही होती है।

कितने प्रकार का होता है पंचक पंचक प्रमुख रुप से पांच प्रकार का माना जाता ह

इसमें रोग पंचक, नृप पंचक, चोर पंचक, मृत्यु पंचक और अग्नि पंचक हैं।

1 )))रोग पंचक –

माना जाता है कि इस दौरान पंचक में पांच दिनों के लिये शारीरिक और मानसिक रुप से काफी यातनाएं झेलनी पड़ सकती है इसलिये स्वास्थ्य के प्रति विशेष रुप से सावधान रहने की आवश्यकता होती है। इस दौरान यज्ञोपवीत करना भी वर्जित माना जाता है। इसकी शुरुआत रविवार से होती है।

2)))नृप पंचक –

इस पंचक की शुरुआत सोमवार से मानी जाती है। इस दौरान किसी नई नौकरी को ज्वाइन करना अशुभ माना जाता है, लेकिन नौकरी सरकारी हो तो उसके लिये इसे शुभ माना गया है। सरकारी नौकरी इस पंचक में ज्वाइन करने से लाभ मिलता है।

3)))चोर पंचक –

इस पंचक के दौरान यात्रा करने से अपने आपको दूर रखना चाहिये। व्यावसायिक रुप से लेन-देन करना भी इसमें शुभ नहीं माना जाता। अगर ऐसा किया जाता है तो उसमें आर्थिक नुक्सान होने का खतरा बना रहता है। इस पंचक की शुरुआत शुक्रवार से होती है।

4)))मृत्य पंचक –

ज्योतिषशास्त्र के अनुसार जोखिम से भरा कोई भी कार्य इस पंचक के दौरान नहीं किया जाना चाहिये। विवाह जैसे शुभ कार्य की भी इस दौरान मनाही होती है। इसमें जान और माल का नुक्सान हो सकता है इसलिये इसे मृत्य पंचक कहा जाता है। यह शनिवार को शुरु होता है।

5)))अग्नि पंचक -

घर बनाना हो या फिर एक घर से दूसरे घर में प्रस्थान करना अथवा ग्रह प्रवेश करना अग्नि पंचक के दौरान इन कार्यों को नहीं किया जाता। यह मंगलवार को शुरु होता है। न्यायालय संबंधी कार्यों को इस पंचक के दौरान किया जा सकता है। पंचक का कौनसा नक्षत्र है किस के लिये हानिकारक पंचक धनिष्ठा नक्षत्र से शुरु होता है और रेवती नक्षत्र तक रहता है इसमें धनिष्ठा नक्षत्र में अग्नि का भय रहता है इस समय दक्षिण दिशा की यात्रा अथवा छत डलवाने या फिर घास, लकड़ी, ईंधन आदि भी एकत्रित नहीं करना चाहिये। वहीं शतभिषा नक्षत्र में कार्य के दौरान आपसी कलह, वाद-विवाद और झगड़ा होने की संभावनाएं बढ़ जाती इसलिये इस नक्षत्र के दौरान कार्यों को नहीं किया जाता बहुत ही जरुरी हों तो अतिरिक्त सावधानी जरुर रखें। पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र आपकी सेहत के लिये हानिकारक होता है अत: इस दौरान अपनी सेहत का जरुर ध्यान रखना चाहिये। उत्तराभाद्रपद नक्षत्र व्यावसायिक रुप से आपके लिये बहुत हानिकारक होता है इस दौरान अपनी जेब संभालकर रखें अनावश्यक और अतिरिक्त खर्च बढ़ने की संभावना रहती है व्यवासाय में आर्थिक नुक्सान भी उठाना पड़ सकता है। निवेश करने का विचार तो इस नक्षत्र में विशेष रुप से न करें वहीं रेवती नक्षत्र में भी धन की हानि होने की संभावनाएं रहती है। वहीं पंचक में यदि किसी की मृत्यु हो जाती है तो उसका अंतिम संस्कार विशेष विधि के तहत किया जाना चाहिये अन्यथा पंचक दोष लगने का खतरा रहता है जिस कारण परिवार में पांच लोगों की मृत्यु हो सकती है। इस बारे में गुरुड़ पुराण में विस्तार से जानकारी मिलती है इसमें लिखा है कि अंतिम संस्कार के लिये किसी विद्वान ब्राह्मण की सलाह लेनी चाहिये और अंतिम संस्कार के दौरान शव के साथ आटे या कुश के बनाए हुए पांच पुतले बना कर अर्थी के साथ रखें और शव की तरह ही इन पुतलों का भी अंतिम संस्कार पूरे विधि-विधान से करना चाहिये। इस दौरान कोई पलंग, चारपाई, बेड आदि नहीं बनवाना चाहिये माना जाता है कि पंचक के दौरान ऐसा करने से बहुत बड़ा संकट आ सकता है। पंचक शुरु होने से खत्म होने तक किसी यात्रा की योजना न बनाएं मजबूरी वश कहीं जाना भी पड़े तो दक्षिण दिशा में जाने से परहेज करें क्योंकि यह यम की दिशा मानी जाती है। इस दौरान दुर्घटना या अन्य विपदा आने का खतरा आप पर बना रहता है।

पंडित
bhubneshwar
kasturwanagar parnkuti guna
9893946810

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