Tuesday, 16 September 2025

नवरात्रि मुहूर्त 2025


आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि की शुरुआत 22 सितंबर को रात 01 बजकर 23 मिनट पर होगी। वहीं, इसका समापन 23 सितंबर को रात 02 बजकर 55 मिनट पर होगा। ऐसे में नवरात्र की शुरुआत 22 सितंबर, 2025 दिन सोमवार से है नवरात्र की शुरुआत सोमवार से हो रही है।गुरुदेव भुवनेश्वर जी पर्णकुटी वालो के अनुसार घटस्थापना का चौघड़िया शुभ मुहूर्त प्रात: 06:09 से प्रात: 08:06 बजे तक रहेगा।  दूसरा मुहूर्त प्रात: 9;11 से 10:42 तक चौघड़िया मुहूर्त रहेगा इसके अलावा अभिजित मुहूर्त सुबह 11 बजकर 49 मिनट से दोपहर 12 बजकर 38 मिनट तक रहेगा। जो कि घट स्थापना के लिए सर्व श्रेष्ठ मुहूर्त रहेगा  वैकल्पिक मुहूर्त में दोपहर 1:44से 06:17बजे तक रहेगा धर्म शास्त्रों के अनुसार रात्रि में घट स्थापना नहीं की जाती है घटस्थापना का नियम धर्मशास्त्रों में  गुरुदेव भुवनेश्वर जी के अनुसार इस प्रकार है 

इदं कलशस्थापनं रात्रौ न कार्यम् ।

न रात्रौ स्थापनं कार्य न च कुम्भाभिषेचनम् ।

इस कलश स्थापन को रात्रि में न करे। मत्स्यपुराण में कहा है कि- रात में कलशस्थापन और कुंभा-भिषेचन नहीं करना चाहिये ।

भास्करोदयमारभ्य यावत्तु दशनाडिकाः । प्रातःकाल इति प्रोक्तः स्थापनारोपणादिषु ॥ 

मतलब सूर्य के उदय से प्रारंभ कर दश नाडी (घडी) तक  स्थापना रोपण आदि में प्रातः काल कहा है। 

 प्रातरावाहयेद्देवीं प्रातरेव प्रवेशयेत् ।
प्रातः प्रातश्च सम्पूज्य प्रातरेव विसजयेत् ।।

देवीपुराण में भी कहा किप्रातःकाल' देवी का आवाहन करे । प्रातःकालही प्रवेश करे। प्रातःकाल पूजन करे और प्रातःकाल ही विसर्जन करे ।

गुरुदेव भुवनेश्वर जी के अनुसार इस पर्व के दौरान मां दुर्गा के नौ अलग-अलग स्वरूपों की पूजा-अर्चना की जाती है. धार्मिक मान्यता है कि हर साल देवी दुर्गा अलग-अलग वाहनों पर सवार होकर अपने भक्तों से मिलने आती हैं. मां दुर्गा के प्रत्येक वाहन का खास महत्व और प्रभाव होता है. वर्ष 2025 में मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर आ रही हैं. देवी भागवत पुराण के अनुसार, अगर नवरात्र सोमवार को शुरू हो, तो देवी दुर्गा हाथी पर सवार होकर आती हैं। हिंदू परंपराओं में हाथी को शुभ जीव माना गया है। भगवान इंद्र का वाहन ऐरावत भी हाथी ही है और गणपति का स्वरूप भी हाथीमुख है, जो बुद्धि और समृद्धि का द्योतक है। यही कारण है कि जब मां दुर्गा हाथी की सवारी करती हैं, तो यह सकारात्मक ऊर्जा और मंगलकारी फल का प्रतीक बन जाता है। गुरुदेव भुवनेश्वर जी महाराज पर्णकुटी वालो के अनुसार  प्रत्येक वाहन का अपना विशेष महत्व माना जाता है.दुर्गा तंत्र सार के अनुसार 

 "शशि सूर्य गजारूढ़ा शनिभौमै तुरंगमे। 

गुरौ शुक्रेचा दोलायं बुधे नौकाप्रकीर्तिता।"

गजे च जलदा देवी , छत्रभङ्ग तुरंगमे ।
नौकायां सर्व सिद्धिस्यात् दोलायां मरणं धुव्रम् ।।


मां दुर्गा का हाथी से आना एक शुभ संकेत माना जा रहा है। यह शांति, समृद्धि और ऐश्वर्य का प्रतीक है। कहा जा रहा है कि यह अच्छी बारिश, भरपूर फसल और किसानों की समृद्धि का संकेत दे रहा है। नवरात्र के दौरान मां दुर्गा का वाहन उनके आगमन के दिन पर निर्भर करता है। मां दुर्गा का हाथी पर आना बेहद शुभ माना जाता है। हाथी को सुख, समृद्धि, और शांति का प्रतीक माना जाता है। जब मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर आती हैं, तो यह खुशहाली का संकेत होता है। इसके साथ ही चारों ओर सुख-समृद्धि का माहौल बनता है। इसके साथ ही सभी भक्तों के लिए यह सुख और संपन्नता का प्रतीक है। मौसम अनुकूल रहता है, अन्न-धान्य की वृद्धि होती है और कृषि क्षेत्र में प्रगति देखने को मिलती है. चारों ओर सुख-समृद्धि का वातावरण बना रहता है. भक्तों के लिए यह सुख और संपन्नता का संकेत माना जाता है.

गुरुदेव भुवनेश्वर 

पर्णकुटी आश्रम गुना 

9893946810

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