*1 नवंबर 2024 को होगा दीपावली पर्व ... बिरला मंदिर में विद्वत्सभा का सर्वसम्मत निर्णय*
आपको यह सूचित करते हुए अपार हर्ष हो रहा है कि आज 20 अक्टूबर 2024 को लक्ष्मी नारायण मंदिर,(बिरला मंदिर) दिल्ली के परिसर में आयोजित विद्वत् धर्मसभा में डॉ अरुण बंसल जी अध्यक्ष अखिल भारतीय ज्योतिष संस्था संघ (फ्यूचर प्वाइंट) की अध्यक्षता में आयोजित की गई, जिसमें आचार्य शुभेश शर्मन ज
दीपावली पर्व या दीपमालिका निर्णय
1. संग्रहशिरोमणिः (द्वितीयो भागः) सम्पादक आचार्य श्री कमलाकान्त शुक्ल, सम्पूर्णानन्द-संस्कृत-विश्वविद्यालयः वाराणसी। पृष्ठ ४००-४०१ से लिए गए कुछ वाक्यांश -
2. सूर्यास्त के बाद अधिक (घटिका) व्यापिनी अमावस्या हो तो इसे अमावस्या मानने में कोई संदेह नहीं है। इस अमावस्या में प्रातः अभ्यङ्ग, देवपूजन व अपराह्न में पार्वण श्राद्ध करके प्रदोष में दीपदान, आकाशदीप-प्रदर्शन, लक्ष्मीपूजन करके भोजन करना चाहिए।
3. दूसरे दिन या दोनों दिन प्रदोष-व्याप्ति होने पर दूसरे दिन की अमावस्या ग्राह्य है।
4. व्याप्ति के पक्ष में दूसरे दिन तीन प्रहर से अधिक हो और अमावस्या की अपेक्षा तीसरे दिन प्रतिपदा का घटिकामान अधिक हो तो, लक्ष्मीपूजन आदि कार्य दूसरे दिन ही करेंगे। इस आधार पर दोनों दिन प्रदोष-व्याप्ति के पक्ष में परा (दूसरे दिन) अमावस्या ग्राह्य है।
5. जिस दिन स्वाती नक्षत्र का योग हो, उस दिन की शुभता विशेष है।
निर्णयसिन्धुः
6. श्रीकमलाकरभट्ट प्रणीत, प्रकाशक – श्रीठाकुर प्रसाद पुस्तक भण्डार, वाराणसी, से लिए गए कुछ वाक्यांश
7. पुष्कर पुराण में कहा है कि – स्वाती में स्थित सूर्य में यदि स्वाती में गया चन्द्रमा हो तो पंचत्वचा के जल से मनुष्य अभङ्गविधिकर स्नान करे और महालक्ष्मी का नीराजन करे तो लक्ष्मी को प्राप्त करता है। (पृष्ठ 405)
8. अमावस्या के प्रातःकाल में तो दही, खीर, घृत आदियों से पार्वण श्राद्ध करे। (पृष्ठ 405)
9. तिथि तत्व में ज्योति का वचन है कि – एक दण्ड (घटी) रात्रि के योग में अमावस्या दूसरे दिन हो तब पूर्वदिन को त्यागकर दूसरे दिन सुखरात्रि में करे। (पृष्ठ 406)
10. प्रदोष और अर्धरात्रिव्यापिनी मुख्य है। इस की व्याप्ति में परा ही है। प्रदोष के मुख्यत्व होने से आधी रात में अनुष्ठान का अभाव है।
11. पूर्णिमा तिथि तथा अमावस्या तिथि सावित्री व्रत के बिना परा ग्रहण करनी चाहिए। ब्रह्मवैवर्त पुराण का मत है कि – हे मुनिश्रेष्ठ, व्रतों में उत्तम सावित्री व्रत को छोड़कर चतुर्दशी से विद्ध अमावस्या तथा पूर्णिमा कभी भी प्रयोग नहीं करना चाहिए।(पृष्ठ 89)
12. धर्मसिन्धु– प्रदोष समय दीपदान लक्ष्मीपूजन आदि के हैं। उसमें सूर्योदय के अनन्तर घटीका तक (भी) अधिक रात्रि तक अमावस्या हो तो (परा लेने में) कुछ संदेह नहीं है। (पृष्ठ 177)
13. पुरुषार्थचिन्तामणि। विष्णुभट्टविरचितः पृष्ठ 306 ... तच्चोत्तरदिनेऽस्तोत्तरं घटिकाद्यवच्छेदेन विद्यते, तथा सैव ग्राह्या। (घटिका के अंश मात्र से भेद में भी लेना है)
14. मार्तण्ड पञ्चाङ्ग प्रियव्रतशर्मा – दीपावली को भले ही अमावस्या सूर्यास्त के बाद एक ही मिनट तक व्याप्त हो, शास्त्रानुसार उसे पूरे प्रदोषकाल में (सूर्यास्त के अनन्तर तीन मुहूर्त तक) व्याप्त माना जाता है, अतः इस स्थिति में भी पूरा प्रदोषकाल लक्ष्मी पूजन के लिए विहित है।
01 नवम्बर को दीपावली निर्णय
1-11-2024 शुक्रवार शालिवाह्न शक -1946, विक्रम संवत - 2081 पंचांग
कालयुक्त संवत्सर॥ सूर्य - दक्षिणायन, दक्षिण गोलार्द्ध॥ हेमन्त ऋतु।
कार्तिक मास कृष्ण पक्ष॥ अमावस्या तिथि 29:33 घटी तक॥ स्वाति नक्षत्र 52:42 घटी तक॥ दिनमान – 27:52:30 घटी॥
1 नवम्बर 2024 को सूर्यास्त के बाद 24 घटी 40 पल 30 विपल की अमावस्या और प्रदोषकाल का योग है। इस कारण और शास्त्रों के वचन से यह स्पष्ट होता है कि दिल्ली में 01 नवम्बर 2024 को निःसंदेह दीपावली का निर्णय सही है
"सम्पूर्ण भारतवर्ष में दीपावली का महापर्व इस वर्ष 1 नवंबर 2024, शुक्रवार को मनाना शास्त्रसम्मत है एवं इसके अतिरिक्त किसी भी अन्य दिन दीपावली मनाना शास्त्रानुसार नहीं है।"
हमें विश्वास है कि इस सर्वसम्मत निर्णय के उपरांत पूरे देश में किसी भी प्रकार के भ्रम व संशय की संभावना नहीं है। सभी सनातन धर्मियों हेतु 1 नवंबर 2024 शुकवार को कार्तिकी अमावस्या लक्ष्मीपूजन करना शास्त्रसम्मत होगा एवं इसके अतिरिक्त किसी भी अन्य दिन दीपावली मनाना शास्त्रसम्मत नहीं होगा।
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