दीपावली 1 नवंबर 2024 की ही है,
31 अक्टूबर को दीपावली नहीं मनाई जाएगी।
आपको बता दें कि तिथि निर्णय की एक परम्परा हैं, स्कंध पुराण के अनुसार
"द्दिने प्रोक्ता त्रिमुहूर्तेव या भवेत्"
जो तिथि तीन महुर्त दिन का भोग करती है,तो उस दिन वहीं तिथि मानी जाती हैं ,दूसरी पद्धति से पर्वकाल की वरीयता रहती हैं,जैसा कि आपने कहा की निशीथव्यापनी दीपावली एक दिन पहले होगी तो हम एक दिन पहले करेंगे,
लेकिन आपको स्मरण करा दूं की दीपावली का पर्वकाल प्रदोष वेला मै मान्य हैं, निशीथ काल में नहीं-यथा
"प्रभातसमये त्वंमावास्या नराधिप । कृत्वा तु पार्वणश्राद्धं दधिक्षीरवृतादिभिः ॥ दीपान्दत्त्वा प्रदोषे तु लक्ष्मीं पूज्य यथाविधि"
अमावस्याको प्रभात कालमें दधि, खीर, घृत आदि से पार्वणश्राद्ध करके और दीप लेकर प्रदोष में लक्ष्मी का यथाविधि पूजन करें।
"प्रदोषार्धरात्रव्यापिनी मुख्या एकैकव्याप्तौ परैव ॥ प्रदोषस्य मुख्यत्वादर्भ-
रात्रेऽनुष्ठेयाभावाच्च ।"
ज्योतिष का वाक्य उसमें प्रमाण है, यदि दोनों दिन अमावस्या प्रदोषव्यापिनी हो तो अगले दिन करना चाहिए ,कारण कि, तिथितत्व में ज्योतिष का वाक्य है कि,एक घडी रात्रि का योग होय तो अमावास्या दूसरे
दिन होती है,तब प्रथम दिन छोडकर अगले दिन सुख रात्रि होती है, दिवोदासीय में तो
प्रदोषको कर्म का समय होने से और ब्रह्मपुराण के इस वाक्य से कि,अर्द्धरात्र हो जानें पर
लक्ष्मी घरों में घूमती है इससे मनुष्य को भली प्रकार अलंकार और चंदन लगाकर दीपक के चांदने में उत्सब पूर्वक जागते रहें, और श्वेत फूलों की माला से शोभित रहें,
इससे प्रदोष और अर्द्धरात्रव्यापिनी मुख्य है (यदि प्रदोष वा अर्द्धरात्रि में एक- दो व्यापिनी होय तो अगली लेनी चाहिये, प्रदोष मुख्य है) और
अर्धरात्री कर्म करने योग्य नहीं है।
अब आपको युग्म तिथि भी बता दूं -
"रुद्रेण द्वादशी युक्ता चतुर्दश्या च पूर्णिमा ॥ प्रतिपद्यप्यमावास्यातिथ्योर्युग्मं महाफलम् ।"
एकादशीसे युक्त द्वादशी और चतुर्दशीसे युक्त पूर्णिमा और प्रतिपदासे युक्त अमावस्या इन तिथियोंका युग्मयोग महाफलको देताहै।
आचार्य विष्णु महाराज
बलभद्र पीठाधीश्वर
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