7 सितंबर से शुरू होकर 21 सितंबर तक चलेगा.पितृ पक्ष ओर पितृ पक्ष के प्रारंभ में चंद्र ग्रहण लगने वाला है ग्रहण 07सितंबर को रात 9:58 मिनट से शुरू होगा, जो कि 08सितंबर रात 1:26 तक चलेगा। ग्रहण 3 घंटे 28 मिनट और 2 सेकेंड तक प्रभावी रहेगा। खग्रास चंद्र ग्रहण कुंभ राशि और भाद्रपद नक्षत्र पर लगेगा। गुरुदेव भुवनेश्वर जी पर्णकुटी वालो के अनुसार
ग्रहण स्पर्श.. रात्रि ०9_59
ग्रहण का मध्य.. रात्रि 11_43
ग्रहण मोक्ष का समय .. रात्रि ०1_29
ग्रहण का पर्वकाल>> ०3 घंटा 30 मिनट
ग्रहण वेध से ग्रहण मोक्ष समय तक शास्त्रीय मतानुसार.. मूर्ति स्पर्श,, शयन,, भोजन आदि नहीं करना चाहिए..!!
बालक वृद्ध एवं रोगी को एक प्रहर पूर्व कर लेना चाहिए!!
( वेध प्रारंभ होने से पहले अपने देवकार्य और पितृकार्य सम्पादित कर लेना चाहिए)
चंद्र ग्रहण के 9 घंटे पहले से सूतक काल शुरू हो जाएगा है. क्योंकि सूतक काल को लेकर सनातन संस्कृति में स्पष्ट रूप से तीन तरह के सूतक बताए गए हैं. इसमें जन्म, मृत्यु और ग्रहण सूतक शामिल है. जन्म-मृत्यु से संबंधित सूतक मानव जीवन को प्रभावित करता है. सूर्य और चंद्र ग्रहण के दौरान लगने वाला सूतक सीधे ईश्वर को प्रभावित करता है. यह सूतक दो तरह का होता है, जो मानव नहीं देवताओं पर लगता है. सूतक का नियम है सूर्य ग्रहण से 12 घंटे पहले और चंद्र ग्रहण से 9 घंटे पहले मतलब 07 सितंबर को दोपहर 12:58 बजे से सूतक काल प्रारंभ हो जाएगा है. सूतक काल में मंदिरों को बंद कर दिया जाता है और पूजा-पाठ इत्यादि रोक दी जाती है. क्योंकि यह सूतक मुख्य रूप से मानव जीवन को प्रभावित करने वाला सूतक है, सूतक काल में देव स्पर्श करने मात्र से ही देवताओं की प्रतिमाओं का क्षरण तो होता है. साथ ही साथ देव उस स्थान को छोड़कर चले भी जाते हैं गुरुदेव भुवनेश्वर जी पर्णकुटी वालो के अनुसार
ऐसे में 7 सितंबर को दोपहर 12 बजकर 58 मिनट से पहले तक का ही समय श्राद्ध और तर्पण करना उचित रहेगा. अन्त्यकर्म श्राद्ध प्रकाश ग्रंथ के अनुसार, श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान के लिए सुबह 11:30 से दोपहर 12 के बीच का समय सबसे उत्तम होता है। इसे कुतप काल कहते हैं। इस समय किए गए श्राद्ध, पिंडदान से पितरों का आत्मा को शांति मिलती है। यह चंद्र ग्रहण 2 बड़े दोषों से मुक्ति दिला सकता है, ज्योतिष के अनुसार, पितृदोष और कालसर्प दोष से निजात पाने के लिए ये घड़ी बहुत अच्छी है।मान्यता है कि इस दिन पूजा-पाठ, मंत्र जाप, तर्पण और दान-पुण्य करने से पितरों की आत्मा की शांति के साथ-साथ पितृदोष और कालसर्प जैसे दोष से भी मुक्ति मिलती है।चंद्र ग्रहण में मंत्र जाप करना भी बेहद शुभ होता है, मंत्रों का जाप करने से ग्रहण के नकारात्मक प्रभाव कम होते हैं।इस दिन हनुमान जी की आराधना करना, हनुमान चालीसा का पाठ करना और उनके मंत्रों का जाप करना भी विशेष लाभदायक होता है। ग्रहण समाप्त होने के बाद दान-पुण्य करना बेहद फलदायी माना गया है, गरीबों और जरूरतमंदों को भोजन, कपड़े या अनाज दान करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है व जातक को सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।
जिन_ जिन राशि वालों को अनिष्ट,,अशुभ,, एवं मध्यम लिखा है उनको ग्रहण नहीं देखना चाहिए!अनिष्ट शांति के लिए हवन,, जप,, पाठ, गोदान,, तुलादान व अन्न वस्त्रादि का दान सोने या चांदी का नाग (सर्प) बनवाकर दान करना चाहिए!! गुरुदेव भुवनेश्वर जी ने बताया कि ग्रहण के समय कब क्या करे धर्म शास्त्र अनुसार
"ग्रहस्पर्शकाले स्नानं मध्ये होमः सुरार्चनं श्राद्धम् च मुच्छ "स्पर्शे स्नानं भवेद्दोमो पतियोर्मुच्यमानयोः।
ग्रहण के स्पर्शकाल में स्नान, मध्यकाल में होम (अग्नि में आहुति देना) और समाप्ति के समय देवताओं का पूजन करना चाहिए, जबकि दान ग्रहण समाप्त होने पर किया जाता है। यह धार्मिक अनुष्ठान ग्रहण के दौरान किए जाने वाले विभिन्न कर्मों का क्रम बताता है, जिसमें स्नान पहले, फिर होम और अंत में देवताओं का पूजन शामिल है। क्योंकि योग वसिष्ठ में लिखा है- पुत्रजन्मनि यज्ञे च तथा सक्रमणे रवेः। रहोश्च दर्शने कार्य प्रशस्तं नान्यथा निशि।। यानी संतान के जन्म पर, यज्ञ, सूर्य और चंद्र संक्रांति यदि रात में भी हो तो स्नान करके शुद्ध होना चाहिए। इसकी वजह यह है कि इन सभी घटनाओं के बाद शरीर अपवित्र हो जाता है और इसे फिर से देव पितृ कार्य के लिए शुद्ध करना जरूरी होता है।
ग्रहण से पूर्व भी स्नान करना जरूरी कहा गया है क्योंकि यह साधना का समय भी होता है। ग्रहण के दौरान चन्द्र देव के मंत्रों का जप, गुरु मंत्र का जप, नारायण कवच का जप एवं विभिन्न ग्रहों के मंत्रों का जप करना शुभ और प्रभावशाली होता है
अनिष्ट राशि
शतभिषा नक्षत्र कुंभ राशि
अशुभ राशि
मिथुन,,कर्क,,सिंह तुला,, वृश्चिक,, मकर,,मीन राशि
शुभ राशि
मेष वृष कन्या धनु राशि वालों को शुभ रहेगा।
क्या न करें _______
भगवान का पूजा पाठ न करें. उनकी तस्वीरों, मूर्तियों को हाथ न लगाएं भोजन न पकाएं, ग्रहण के कारण भोजन अशुद्ध हो सकता है.कोई भी नया काम करने से बचें.सूतक लगने के बाद ग्रहण खत्म होने तक भोजन खाने से परहेज करें. प्रेगनेंट महिलाएं, बच्चे, बीमार और बुजुर्गों के लिए ये नियम लागू नहीं है.सूतक लगने के बाद गर्भवती महिलाएं घर से बाहर न निकलें.प्रेगनेंट महिलाएं सिलाई-कढ़ाई का काम न करें. सूतक लगने के बाद ग्रहण समाप्त होने तक किसी धारदार वस्तु जैसे कैंची, चाकू, ब्लेड आदि का प्रयोग न करें. इससे गर्भस्थ शिशु के अंग में विकार आ सकता है
गुरुदेव भुवनेश्वर जी महाराज
पर्णकुटी आश्रम
गुना
9893946810
ग्रहण फलादेश________
. इस बार का चन्द्रमा कुम्भ राशि में बैठकर विष योग का निर्माण करते हुए राहु के साथ युति कर रहा है. जिसके फलस्वरूप बड़ी शक्तियों के टकराव, लोगों के संबंधों में तनाव और मानसिक पीड़ा देखने को मिलेगी. चंद्रग्रहण के दुष्प्रभाव के कारण मानव और जीवों में किसी तरह की संक्रामक बीमारी और साथ ही साथ जल से संबंधित समस्याएं हो सकती हैं. ग्रहण का भारतीय राजनीति पर भी गहरा प्रभाव देखने को मिलेगा. आगामी चुनावों में यह चंद्रग्रहण सत्ता परिवर्तन का कारण भी बन सकता है.
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