गुरुदेव भुवनेश्वर पर्णकुटी वाले ज्योतिषाचार्य बताते हैं कि आषाढ़ पूर्णिमा की शुरुआत 10 जुलाई रात 02 बजकर 06 मिनट पर हो रही है और समाप्ति अगले दिन यानी 11 जुलाई रात 02 बजकर 15 मिनट पर हो रही है. उदयातिथि के अनुसार 10 जुलाई को ही गुरु पूर्णिमा मनाई जाएगी.
इस बार गुरु पूर्णिमा और खास होने वाली है, क्युकि इस दिन इंद्र योग बन रहा है. इंद्र योग सुबह से लेकर रात 9 बजकर 38 के लगभग तक रहेगा.
साल में कई पूर्णिमा आती हैं. उन्हीं पूर्णिमा में से आषाढ़ मास की पूर्णिमा का विशेष महत्व है. इस दिन गुरु के महत्व का विशेष रूप से वर्णन किया गया है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, गुरु पूर्णिमा पर गुरुजनों का आशीर्वाद प्राप्त करने से जीवन में सुख एवं समृद्धि की प्राप्ति होती है. गुरु पूर्णिमा के दिन गुरुपूजन का विधान है | शिष्य अपने गुरु की प्रत्यक्ष या उनके चरण पादुका की चन्दन , धूप , दीप , नैवेद्य द्वारा पूजा करते हैं | इस दिन अपने गुरु द्वारा प्रदत मंत्र का जप करने का विधान है |
इसके साथ इस दिन को व्यास पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है क्योंकि इसी दिन महर्षि वेदव्यास जी का जन्म हुआ था, जिन्होंने महाकाव्य महाभारत की रचना की थी इस दिन से चार महीने तक परिव्राजक साधु-सन्त एक ही स्थान पर रहकर ज्ञान की गंगा बहाते हैं। शास्त्र के अनुसार, इस तिथि पर परमेश्वर शिव ने दक्षिणामूर्ति का रूप धारण किया और ब्रह्मा के चार मानसपुत्रों को वेदों का अंतिम ज्ञान प्रदान किया।
इस वार गुरु पूर्णिमा के दिन इंद्र नाम का शुभ योग बन रहा है. इस योग में आप जो भी शुभ कार्य करते हैं. वह सफल सिद्ध होता है.
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