गुरुदेव भुवनेश्वर जी पर्णकुटी वालो के अनुसार इस साल श्रावण शुक्ल चतुर्दशी, शुक्रवार यानि दिनांक 08 अगस्त 2025 को पूर्णिमा 02:12 बजे प्रारंभ हो जाएगी और दूसरे दिन 09 अगस्त 2025, शनिवार को दोपहर 01:24 बजे तक रहेगी.
इसी तरह श्रवण नक्षत्र भी दिनांक 08 अगस्त 2025, शुक्रवार को दोपहर 02:27 बजे से प्रारंभ होकर दूसरे दिन 09 अगस्त 2025, शनिवार को दिन में 02:30 मिनट तक रहेगा.
ऐसे में इस बार यह उत्तम संयोग बन रहा है कि श्रावण मास की पूर्णिमा और श्रवण नक्षत्र दोनों साथ पड़ेंगे. इस वर्ष रक्षाबंधन का पर्व भद्रा से मुक्त है.
रक्षा बन्धन पर राखी बाँधने का शुभ मुहूर्त के बारे में गुरुदेव ने बताया कि वैसे तो यह पर्व पूरे दिन मनाया जाना चाहिए फिर भी चौघड़िया मुहूर्त के अनुसार प्रातः 07:31 से प्रातः 09:09 तक शुभ का और मध्यान्ह 12:00 बजे अभिजित मुहूर्त के साथ ही क्रमशः चर,लाभ, अमृत, का चौघड़िया सायंकाल 05:21 तक रहेगा
राखी बांधने का सबसे पहला अधिकार ईश्वर को माना गया है. कई बहनें सबसे पहले भगवान कृष्ण, शिव या गणेश को राखी बांधती हैं और फिर अपने भाई को.
यदि किसी स्त्री का भाई न हो या वह बहनों के साथ ही पली-बढ़ी हो, तो वह अपनी बड़ी बहन को राखी बांध सकती है. यह बहनत्व, प्रेम और साथ निभाने का प्रतीक होता है.
कई स्थानों पर महिलाएं साधु-संतों या मंदिर के पुजारियों को राखी बांधती हैं.
जिन लोगों की कोई बहन नहीं होती है, उनके लिए भी रक्षासूत्र बांधने का उपाय शास्त्रों में बताया गया है. यदि आपकी कोई बहन नहीं है तो आप अपने गुरु अथवा किसी मंदिर के पुजारी से 'ॐ येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबलः. तेन त्वामपि बध्नामि रक्षे मा चल मा चल' मंत्र का उच्चारण करते हुए रक्षासूत्र बंधवा सकते हैं.
पुरोहित और यजमान (जो पूजा करवाता है) का रिश्ता बहुत गहरा होता है। पुराने समय में रक्षाबंधन पर पंडित अपने यजमान को राखी बांधते थे और उनके कल्याण की कामना करते थे। यह परंपरा आज भी जिंदा रहनी चाहिए।रक्षाबंधन के अवसर पर बहनें भारतीय सेना, पुलिस और अर्धसैनिक बलों के जवानों को राखी भेजती हैं या स्वयं जाकर बांधती हैं. यह समाज की रक्षा करने वाले रक्षक के प्रति श्रद्धा और विश्वास का प्रतीक है. पर्यावरण संरक्षण की भावना को बढ़ावा देने के लिए कई लोग वृक्षों को राखी बांधते हैं. यह संकल्प होता है कि हम पेड़ों की रक्षा करेंगे और पर्यावरण को सुरक्षित रखेंगे.
रक्षा बंधन हमेशा से भाई-बहन के रिश्ते का का पर्व रहा है। पुराने समय में भी इसको लेकर यही जिक्र मिलता है। साथ ही हर पर्व-त्योहार को मनाने के धार्मिक नियम होते हैं जिसको उसी अनुरूप मनाया जाना चाहिए। इस आधार पर कहा जा सकता है कि पत्नी पति को राखी नहीं बांध सकती है। हां, वो रक्षा के लिए पति की कलाई पर कलावा जैसे पवित्र धागा को जरूर बांध सकती है।
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