नौतपा में अबकी बार पड़ेगी प्रचंड गर्मी, जानें कब से कब तक लगेगा नौतपा
ज्योतिषाचार्य गुरुदेव भुननेश्वर पर्णकुटी आश्रम ने बताया की सूर्य 15 दिनों के लिए रोहिणी नक्षत्र में रहते हैं, जिसके शुरुआती 9 दिनों को नौतपा कहा जाता है. नौतपा के 9 दिन अगर भीषण गर्मी पड़ती है तो यह बारिश होने के अच्छे संकेत होते हैं. लेकिन नौतपा के दौरान बारिश हो जाती है तो फिर यह फसलों के लिए अच्छा नहीं माना जाता है. 25 मई से 2025 से सूर्य रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करेंगे, जिससे नौतपा की शुरुआत होगी, हर साल सूर्य देव 15 दिनों के लिए रोहिणी नक्षत्र में गोचर करते हैं और इन्हीं 15 दिन के शुरुआती नौ दिनों को नौतपा के नाम से जाना जाता है.इस बार 25 मई को प्रात:9:40से नौतपा की शुरुआत हो रही है. जब सूर्य रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करेगे. यह अवधि 15 दिनों तक चलेगी और रोहिणी नक्षत्र का समापन 8 जून प्रात:07:27 को होगा, उसके बाद सूर्य मृगशिरा नक्षत्र में प्रवेश करेगा. अत: 25 मई से 02 जून तक नव तपा का योग बन रहा है गुरुदेव भुवनेश्वर ने बताया रोहिणी नक्षत्र शुक्र देव का नक्षत्र होता है और शुक्र देव सूर्य देव के शत्रु नक्षत्र माने गए हैं, इसलिए जब सूर्य और शुक्र मिलते हैं तो इसी वजह से भीषण गर्मी पड़ती है. तपा लगने के दौरान चंद्रदेव नौ नक्षत्रों में भ्रमण करते हैं इसलिए शीतलता का प्रभाव नौतपा के दौरान हट जाता है ज्योतिष शास्त्र में जब चंद्रमा ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष में आर्द्रा से स्वाति नक्षत्र तक अपनी स्थितियों में हो एवं तीव्र गर्मी पड़े, तो ये स्थिति नौतपा कहलाती है। अगर रोहिणी के दौरान अगर बारिश हो जाती है तो इसे रोहिणी नक्षत्र का गलना भी कहा जाता है।
ज्येष्ठ मासे सीत पक्षे आर्द्रादि दशतारका।
सजला निर्जला ज्ञेया निर्जला सजलास्तथा।।
धार्मिक मान्यता है कि अगर नौतपा के इन 9 दिनों में बारिश नहीं होती, तो उस साल बारिश भी जोरदार होती है।
अगर नो तपा न तपे तो जहरीले जीव-जंतु और फसलों को नुकसान पहुंचाने वाले कीट पतंगे खत्म नहीं होंगे.
टिड्डियों के अंडे नष्ट नहीं होंगे,
बुखार लाने वाले जीवाणु नहीं मरेंगे.
सांप-बिच्छू नियंत्रण से बाहर हो जाएंगे.
लू नहीं चलने के कारण आंधियां फसलों को चौपट कर सकती है.
यही वजह है कि नौतपा में भीषण गर्मी पड़ना अच्छा माना जाता है. घाघ भद्दरी के अनुसार
दो मूसा, दो कातरा, दो तीड़ी, दो ताय।
दो की बादी जल हरे दो विश्वर दो वाव
कहने का मतलब
नौतपा के पहले 2 दिन लू न चले तो चूहे बहुत हो जाएंगे।
अगले 2 दिन लू न चले तो कातरा (फसल को नुकसान पहुंचाने वाला कीट) नहीं मरेगा।
. तीसरे दिन से 2 दिन लू न चली तो टिडियों के अंडे नष्ट नहीं होंगे।
चौथे दिन से 2 दिन नहीं तपा तो बुखार लाने वाले जीवाणु नहीं मरेंगे।
इसके बाद दो दिन लू न चली तो विश्वर यानी सांप-बिच्छू नियंत्रण से बाहर हो जाएंगे।
आखिरी दो दिन भी लू नहीं चली तो आंधियां अधिक चलेंगी और फसलें चौपट कर देंगी।
इस वार नव तपा के दौरान आगजनी तेज हवाएं, आंधिया और फिर बरसा के योग बनते नजर आ रहे है नौ दिन में से अंतिम 3 दिन हवाएं खूब तेज चलेगी। कहीं-कहीं मध्यम बारिश की संभावना है तो कहीं बौछारें भी हो सकती है। नौतपा का समय हमेशा गर्मी और सूर्य की प्रचंड तपिश के लिए प्रसिद्ध होता है। इस समय सूर्य देव पृथ्वी के बहुत करीब आ जाते हैं जिससे गर्मी की तीव्रता अपने चरम पर पहुंच जाती है।
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