गुरुदेव भुवनेश्वर जी महाराज ने बताया है कि होलिका दहन 13 मार्च को देर रात होगा। होलिका दहन का शुभ मुहूर्त रात 11 बजकर 26 मिनट से लेकर रात 12 बजकर 30 मिनट तक रहेगा। इसी समय होलिका दहन किया जाएगा। होलिका दहन के दिन सबसे पहले गोबर की होलिका और प्रहलाद की प्रतिमा बनाकर तैयार कर लें।ओर गोबर की मलरिया की माला
भरभोलिए (गाय के गोबर के उपले जिसमें छेद रहता है, इसमें मूंज की रस्सी डालकर माला बनाई जाती है)
तैयार कर लेवे
उसके बाद पूजा की थाली में रोली, चावल, नारियल,, कलावा,, कच्चा सूत, ,फूल, दूर्वा ,साबुत हल्दी, ,बताशे,,मिठाई ,,घर में बने हुए पकवान, फल पूजा के लिए जल से भरा जल कलश आदि रखें। फिर पूजा स्थल पर एक कलश में पानी भरकर रख दें। इस बात का ध्यान रखें कि पूजा के दौरान आपको अपना मुख पूर्व या उत्तर की ओर रखना है। अब नरसिंह भगवान का ध्यान करते हुए उन्हें रोली, चावल, मिठाई, फूल आदि अर्पित करें। इसके बाद होलिका दहन वाले स्थान पर जाकर होलिका की पूजा करें। फिर प्रह्लाद का नाम लेकर फूल अर्पित करें और उन्हें 5 अनाज चढ़ाएं।
होलिका के लिए मंत्र: ओम होलिकायै नम:
भक्त प्रह्लाद के लिए मंत्र: ओम प्रह्लादाय नम:
भगवान नरसिंह के लिए मंत्र: ओम नृसिंहाय नम:
इसके बाद एक कच्चा सूत लेकर होलिका की परिक्रमा करें और आखिरी में उसमें गुलाल डालकर जल अर्पित करें।
होलिका दहन के दिन शरीर से उतारे गए उबटन को होलिका में अवश्य जलाना चाहिए-
होलिका की आग में कपड़े, टायर आदि चीजें डाल देते हैं, जिससे ना सिर्फ होलिका की अग्नि अपवित्र होती है बल्कि प्रदूषण भी होता है. साथ ही इन चीजों का संबंध राहु और मंगल ग्रह से है, अगर आप होलिका की अग्नि में इन चीजों का डालते हैं तो कुंडली में इन ग्रहों का प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता
शास्त्रों के अनुसार, साल में तीन रात्रियां अत्यंत शुभ मानी जाती हैं- (1,)महाशिवरात्रि, (2)होलिका दहन और (3)दीपावली की अमावस्या. होली की रात का विशेष महत्व है, खासकर उन लोगों के लिए जो लंबे समय से परेशानियों का सामना कर रहे हैं. यह रात विशेष रूप से उन समस्याओं को समाप्त करने में मददगार होती है जो लंबे वक्त से परेशान कर रही हों. सही उपाय करने से व्यक्ति की बाधाएं दूर होती हैं और जीवन में नई सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है.
घर में अगर कोई सदस्य लंबे समय से बीमार है, तो होली की रात भगवान नरसिंह का स्तोत्र पाठ करें.
एवं होलिका दहन की राख को शिवलिंग पर अर्पित करना शुभ माना जाता है. मान्यता है कि इससे शनि की महादशा, साढ़ेसाती और ढैय्या के प्रभाव कम हो जाते हैं, जिससे रुके हुए कार्य बनने लगते हैं. यह उपाय राहु-केतु के नकारात्मक प्रभाव को भी कम करने में सहायक होता है और वैवाहिक जीवन में खुशियाँ लाता है होलिका दहन की राख को लाल कपड़े में रखकर उसमें तांबे का सिक्का डालकर बांध लें और इसे तिजोरी या पैसे रखने वाले स्थान पर रखें. ऐसा करने से घर में धन-संपत्ति का आगमन होता है और देवी लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है.जो लोग बार-बार बीमार पड़ते हैं, उन्हें एक महीने तक प्रतिदिन होलिका दहन की राख को माथे पर लगाना चाहिए. ऐसा करने से स्वास्थ्य में सुधार होता है और व्यक्ति पूर्णतः स्वस्थ महसूस करता है. बच्चों को बुरी नज़र से बचाने के लिए होलिका दहन की राख को उनके माथे पर तिलक के रूप में लगाएँ. यह उपाय बच्चों की सुरक्षा और स्वास्थ्य के लिए लाभकारी माना जाता है.
एक काला कपडा लें और उसमें काले तिल, 7 लौंग, 3 सुपारी, 50 ग्राम सरसों और ओर थोड़ी सी मिट्टी लेकर एक पोटली बना लें. इसे खुद पर से 7 बार उतारा कर लें और होलिका दहन में डालें.
यदि राहु के कारण परेशानी है तो एक नारियल का गोला लेकर उसमें अलसी का तेल भरें. उसी में थोड़ा सा गुड़ डालें और इस गोले को जलती हुई होलिका में डाल दें. इससे राहु का बुरा प्रभाव समाप्त हो जाएगा.
बेरोजगार हैं तो होली की रात 12 बजे से पहले एक नींबू लेकर चौराहे पर जाएं और अपने सिर से सात बार घुमाकर उसके चार टुकड़े कर चारों दिशाओं में फेंक दें. वापिस घर आ जाएं किन्तु ध्यान रहे, वापस आते समय पीछे मुड़कर न देखें.
इसके अलावा होलिका दहन में पान के पत्ते का भी एक उपाय करना चाहिए। इसके लिए एक पान का पत्ता लें और इस पान के पत्ते को घी में डूबा दें, इसके बाद इश पर एक बताशा रख लें। इसके बाद इसे होलिका दहन में डाल दें, इससे भी मां लक्ष्मी की कृपा मिलती है।
अगर आपको नौकरी नहीं मिल रही या पदोन्नति में अड़चनें आ रही हैं, तो होली की रात 8 नींबू लेकर उन्हें अपने ऊपर से 21 बार उल्टी दिशा में वारें और फिर जलती होलिका में डाल दें. इसके बाद होलिका की 8 परिक्रमा करें और मन ही मन अपने करियर से जुड़ी इच्छा पूरी होने की प्रार्थना करें.
होलिका दहन के दिन सरसों के दाने और काले तिल अपने ऊपर से वारकर सरसों के दानें और काले तिल डाल दें। इससे आपकी नेगेटिविट दूर होगी।
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