दिवा विवाह का निषेध~
विवाहे तु दिवाभागे,कन्या स्यात्पुत्रवर्जिता |
विवाहानलदग्धा सा नियतं स्वामी घातिनी ||
(ज्योतिष सारसंग्रह ,ज्योतिषतत्व सुधार्णव)
अर्थात्~दिन मे विवाह होने से कन्या पुत्रहीना होती है और विवाहानल द्वारा दग्ध होकर स्वामी घातिनी होती है|
* हमें स्वाध्याय करते समय इन दो प्राचीन पुस्तकों में दिवा विवाह को निषेध करते हुए श्लोक मिले।
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