ज्योतिष समाधान

Wednesday, 3 April 2024

गोमुखी कैसी हो प्रमाण सहित

#गोमुखीलक्षणम्  
       सनातन परम्परा में प्रयुक्त सभी वस्तु आदि
        के शास्त्रीय स्वरूप निर्धारित हैं। 
  सभी सम्प्रदायों में जप का विधान है । जपार्थ माला
को गोमुखी के अन्दर रखना अनिवार्य है। शान्त्यर्थ जप 
 के समय गोमुखी से तर्जनी को बाहर करके मणिबन्ध   
पर्यन्त हाथ को  अन्दर रखने का विधान है । 

प्रकृति में #गोमुखी के शास्त्रीय लक्षण पर विचार किया जाता है । 
  #गोमुखी_माने_गौ_के_मुख_जैसा_वस्त्र ।  

   "#वस्त्रेणाच्छाद्य_च_करं_दक्षिणं_य:#सदा_जपेत् । 
    #तस्य_स्यात्सफलं_जाप्यं_तद्धीनमफलंस्मृतम् ।। 
   #अत_एव_जपार्थं_सा_गोमुखी_ध्रियते_जनै: ।।               (आ.सू.वृद्धमनु) 
      गोमुखी से अतिरिक्त आधुनिक झोली में मणिबन्धपर्यन्त दायें हाथ को ढऀकना सम्भव नहीं है । 

 #गोमुखादौ_ततो_मालां_गोपयेन्मातृजारवत्  ।
 #कौशेयं_रक्तवर्णं_च_पीतवस्त्रं_सुरेश्वरि ।। 
 #अथ_कार्पासवस्त्रेण_यन्त्रतो_गोपयेत्सुधी: । 
 #वाससाऽऽच्छादयेन्मालां_सर्वमन्त्रे_महेश्वरि ।।
  #न_कुर्यात्कृष्णवर्णं_तु_न_कुर्याद्बहुवर्णकम् ।
  #न_कुर्याद्रोमजं_वस्त्रमुक्तवस्त्रेण_गोपयेत्।।                                                             (#कृत्यसारसमुच्चय)
        सूती वस्त्र का गोमुखादि कौशेय, रक्त अथवा पीत वर्ण का हो । काला, हरा, नीला, बहुरङ्गी या रोमज न हो ।
        पुन: इसके विशेष मान भी हैं- 
 #चतुर्विंशाङ्गुलमितं_पट्टवस्त्रादिसम्भवम् । 
  #निर्मायाष्टाङ्गुलिमुखं_ग्रीवायां_षड्दशाङ्गुलम् । 
   #ज्ञेयं_गोमुखयन्त्रञ्च_सर्वतन्त्रेषु_गोपितम् । 
   #तन्मुखे_स्थापयेन्मालां_ग्रीवामध्यगते_करे । 
   #प्रजपेद्विधिना_गुह्यं_वर्णमालाधिकं_प्रिये ।
   #निधाय_गोमुखे_मालां_गोपयेन्मातृजारवत् ।।
                                                                    (#मुण्डमालातन्त्र)
         २४ अङ्गुल परिमित पट्टवस्त्रादि से निर्माण करे, जिसमें ८ अङ्गुल का मुख और १६ अङ्गुल की ग्रीवा हो । गोमुखवस्त्र के मुख से माला को प्रवेश कराये और ग्रीवा के अभ्यन्तर में हाथ को रखकर गोपनीयता से यथाविधि जप करे ।
      इसी प्रकार के अनेक आगमप्रमाण हैं । आधुनिक झोली की शास्त्रीयता उपलब्ध नहीं होती है । प्रचुरमात्रा
 में कुछ गोविरोधियों ने किसी भारतीय पन्थविशेष में प्रवेश कर अतिशय भक्ति का अभिनय दिखाकर पवित्र #गोमुखी  के बदले अवैध *#झोली का दुष्प्रचार कर दिया और दुर्भाग्य से यहाऀ के बड़े-बड़े धर्मोपदेशकों ने भी चित्र-विचित्र उस अशास्त्रीय वस्त्र को स्वीकार कर लिया। 
      
     शास्त्र का नाम लेकर चलनेवाले महाशय यदि गोमुखी के बदले आधुनिक झोली ही रखना चाहते हैं तो वे अवश्य ही इस #झोली की #शास्त्रीयता #प्रदर्शित #करें। किमधिकम्.....?

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