ज्योतिष समाधान

Saturday, 13 January 2018

मकर संक्रांति 2018 में फिर से 14 जनवरी को और वर्ष 2019 2020 में 15 जनवरी को मनाया जायेगा। यह क्रम 2030 तक चलता रहेगा। इस साल रविवार, 14 जनवरी को ध्रुव, पारिजात और

मकर संक्रांति 2018 में फिर से 14 जनवरी को और वर्ष 2019 2020 में 15 जनवरी को मनाया जायेगा। यह क्रम 2030 तक चलता रहेगा।

इस साल रविवार, 14 जनवरी को
ध्रुव, पारिजात और
सर्वार्थसिद्धि योग बनने से इस शुभ पर्व का महत्व और बढ़ गया है।
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इस दिन सूर्य धनु राशि को छोड़ मकर राशि में प्रवेश करता है। इसलिए इस दिन को मकर संक्रान्ति के रूप में मनाया जाता है| मकर संक्रान्ति के दिन से ही सूर्य की उत्तरायण गति भी प्रारम्भ होती है। इसलिये इस त्यौहार को कहीं-कहीं उत्तरायणी भी कहते हैं।सूर्य के एक राशि से दूसरी राशि में जाने को ही संक्रांति कहते हैं|

इसका पुण्यकाल सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक होगा जो बहुत ही शुभ संयोग है क्योंकि इस साल पुण्यकाल का लाभ पूरे दिन लिया जा सकता है।

2-देवी पुराण के अनुसार संक्रांति से 15 घटी पहले और बाद तक का समय पुण्यकाल होता है।

महापुण्यकाल का समय बहुत सीमित है।
महापुण्य काल का समय 14 जनवरी 2018 के दिन दोपहर 2:00 से 2:24 तक ही रहेगा।

दान के लिए सर्वश्रेष्ठ समय दोपहर 2:00 से 2:24 तक ही माना जाएगा।

ऐसा होगा पर्व का स्वरूप

- वाहन : भैंसा
- उपवाहन :  ऊंट
- वस्त्र : काले
- पात्र : खप्पर
- भक्षण :  दही

सूर्य के राशि परिवर्तन का 12 राशियों पर असर

मेष :मान-प्रतिष्ठा में वृद्धि और लाभ के अवसर मिलेंगे।

वृष :विवाद और मानसिक कष्ट की संभावना बनेगी।

मिथुन :कोर्ट-कचहरी के मसलों में कष्ट और धन का अपव्यय हो सकता है।

कर्क :दांपत्य संबंधों में विवाद और मान हानि की संभावना है।

सिंह :शत्रुओं पर विजय प्राप्ति और रोगों से निजात मिलेगी।

कन्या :उच्च अधिकारियों से तनाव मिलेगा, संभल कर यात्रा करने की आवश्यकता है।

तुला :जमीन-जायदाद संबंधी मामलों में सर्तकता रखने की आवश्यकता है।

वृश्चिक :तरक्की के अवसर और आय में वृद्धि की संभवना है।

धनु :धन हानि और सिर और आंखों में पीड़ा के योग है।

मकर :मान-सम्मान में वृद्धि। लाभ के अवसर आ रहे हैं। धन के लिए प्रयास करने पड़ेंगे।

कुंभ :यश-प्रतिष्ठा में वृद्धि। यात्रा-मनोरंजन के योग हैं। धन प्राप्ति के विशेष अवसर आएंगे।

मीन:धन, पदोन्नति और मान-सम्मान के अवसर मिलेंगे।

1 -मकर संक्रान्ति के साथ अनेक पौराणिक तथ्य जुडे़ हुए हैं जिसमें से कुछ के अनुसार भगवान आशुतोष ने इस दिन भगवान विष्णु जी को आत्मज्ञान का दान दिया था.

२-इसके अतिरिक्त देवताओं के दिनों की गणना इस दिन से ही प्रारम्भ होती है.

३-सूर्य जब दक्षिणायन में रहते है तो उस अवधि को देवताओं की रात्री व उतरायण के छ: माह को दिन कहा जाता है.

4-महाभारत की कथा के अनुसार भीष्म पितामह ने अपनी देह त्यागने के लिये मकर संक्रान्ति का दिन ही चुना था.

5 कहा जाता है कि आज ही के दिन गंगा जी ने भगीरथ के पीछे- पीछे चलकर कपिल मुनि के आश्रम से होकर सागर में जा मिली थी.

6-मकर संक्रान्ति के दिन से मौसम में बदलाव आना आरम्भ होता है. यही कारण है कि रातें छोटी व दिन बडे होने लगते है.

७-सूर्य के उतरी गोलार्ध की ओर जाने बढने के कारण ग्रीष्म ऋतु का प्रारम्भ होता है. सूर्य के प्रकाश में गर्मी और तपन बढने लगती है.

८-इस दिन को देवता छ: माह की निद्रा से जागते है।
भगवान सूर्य का मकर राशि में प्रवेश एक नयी शुरुआत का दिन होता है।
९-मान्यता है कि पवित्र माघ मास में जो व्यक्ति नित्य भगवान विष्णु की तिल से पूजा करता है, उसके सारे कष्ट दूर हो जाते हैं,
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1-मकर संक्रांति को सभी जातकों को चाहे वह स्त्री हो अथवा पुरुष सूर्योदय से पूर्व अवश्य ही अपनी शय्या का त्याग करना चाहिए ।
2-फिर स्नान आदि करने के बाद उगते हुए सूर्य को तांबे के लोटे के जल में कुंकुम तथा लाल रंग के फूल डालकर अध्र्य दें।
३-अध्र्य देते समय ऊँ घृणि सूर्याय नम: मंत्र का जप जरुर करते रहें।
इस प्रकार सूर्य को अध्र्य देने से मन की सभी इच्छाएँ अवश्य ही पूर्ण हो जाती है ।
४-मकर संक्रांति के दिन दान करने का विशेष महत्व है।
हमारे शास्त्रों के अनुसार इस दिन किए गए दान का सहस्त्रों गुना पुण्य प्राप्त होता है।
इस दिन कंबल,
गर्म वस्त्र,
घी,
दाल-चावल की कच्ची खिचड़ी
और तिल आदि का दान विशेष रूप से फलदायी माना गया है। ।
५-शास्त्रों के अनुसार मकर संक्रांति के दिन गुड़ एवं कच्चे चावल बहते हुए जल में प्रवाहित करना बहुत शुभ माना जाता है।
6-इस दिन खिचड़ी, तिल-गुड़ और पके हुए चावल में गुड़ और दूध मिलाकर खाने से भी भगवान सूर्यदेव शीघ्र प्रसन्न होते हैं।
८-मकर संक्रांति के दिन साफ लाल कपड़े में गेहूं व गुड़ बांधकर किसी जरूरतमंद अथवा ब्राह्मण को दान देने से भी व्यक्ति की सभी मनोकामनाएँ पूर्ण होती है।
9-ज्योतिष शास्त्र के अनुसार चूँकि तांबा सूर्य की धातु है अत: मकर संक्रांति के दिन तांबे का सिक्का या तांबे का चौकोर टुकड़ा बहते जल में प्रवाहित करने से कुंडली में स्थित सूर्य के दोष कम होते है।
10-मकर संक्रांति में तिल के प्रयोग का विशेष महत्व है। इस दिन तिल से उबटन, जल में तिल डालकर स्नान आदि अवश्य करना चाहिए।
इस दिन तिल - स्नान करने वाला मनुष्य सात जन्म तक रोगी नहीं होता है।
इसी लिए निरोगी शरीर की कामना करने वालें मनुष्य को तिल के उबटन से सुबह अवश्य ही स्नान करना चाहिए।
11-देवी पुराण में लिखा है कि जो व्यक्ति मकर संक्रांति के दिन स्नान नहीं करता है। वह रोगी और निर्धन बना रहता है।

12-तिल युक्त जल पितरों को देना,अग्नि में तिल से हवन करना, तिल खाना खिलाना एवं दान करने से अनन्त पुण्य की प्राप्ति होती है।

14-तिल के दान से आपकी कुंडली के कई दोष दूर होते है , विशेष रूप से कालसर्प योग, शनि की साढ़ेसाती और ढय्या, राहु-केतु के दोष दूर हो जाते हैं। इस दिन तिल के लड्डुओं के साथ हरे मूंग और चावल की खिचड़ी का दान करना सर्वश्रेष्ठ माना गया है।
मकर संक्रांति के दिन पितरों के लिए तर्पण करने का विधान है। इस दिन

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