ज्योतिष समाधान

Thursday, 13 July 2017

यज्ञरूप प्रभो हमारे, भाव उज्जवल कीजिये | छोड़ देवें छल कपट को, मानसिक बल दीजिये || १ ||


पूजनीय प्रभो हमारे, भाव उज्जवल कीजिये |

छोड़ देवें छल कपट को, मानसिक बल दीजिये || १ ||

वेद की बोलें ऋचाएं, सत्य को धारण करें |

हर्ष में हो मग्न सारे, शोक-सागर से तरें || २ ||

अश्व्मेधादिक रचायें, यज्ञ पर-उपकार को |

धर्मं- मर्यादा चलाकर, लाभ दें संसार को || ३||

नित्य श्रद्धा-भक्ति से, यज्ञादि हम करते रहें |

रोग-पीड़ित विश्व के, संताप सब हरतें रहें || ४ ||

भावना मिट जाये मन से, पाप अत्याचार की |
कामनाएं पूर्ण होवें, यज्ञ से नर-नारि की || ५ ||

लाभकारी हो हवन, हर जीवधारी के लिए |
वायु जल सर्वत्र हों, शुभ गंध को धारण किये || ६ ||

स्वार्थ-भाव मिटे हमारा, प्रेम-पथ विस्तार हो |
'इदं न मम' का सार्थक, प्रत्येक में वयवहार हो || ७ ||

प्रेमरस में मग्न होकर, वंदना हम कर रहे | '
नाथ' करुणारूप ! करुणा, आपकी सब पर रहे || ८ |

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