Thursday, 27 April 2017
सम्मोहन बशिकण त्राटक कैसे करे
त्राटक क्या है? आप इसे कुछ ऐसे समझ सकते हैं कि जब कोई इंसान चरम बिंदु पर एकाग्रचित्त होकर ध्यानस्थ होता है तो वह बोध अवस्था में होकर भी आसपास के वातावरण से निरपेक्ष हो जाता है। ऐसे में उसकी समस्त चेतना का केन्द्र बिंदु अंतः की ओर रूपायित होने लगता है। यही वह उच्चतर अवस्था होती है जबकि साधनारत इंसान की संपूर्ण शक्तियां एकाकार होने लगती हैं और वह दूसरों को आकर्षित और वशीभूत कर सकने में सक्षम होता है।
किंतु क्या त्राटक सिद्धि सहज सिद्धि है या फिर ये भी जटिल कर्मकाण्डों पर आधारित है? हां, त्राटक साधना सहज सिद्ध होने वाली साधना है किंतु इसके लिए कुछ निर्धारित नियमों का कड़ाई से अनुपालन करना होता है।
क्या हैं त्राटक साधना विधि: इस साधना के लिए माध्यम कुछ भी अपनाया जा सकता है किंतु इसके लिए प्रज्वलित, अग्निमय अथवा अस्थिर बिंदु वाले माध्यमों का प्रयोग करना श्रेयस्कर है। आप घी के दीपक का प्रयोग करें तो अत्युत्तम होगा। दीपक बड़ा हो और पूर्ण रूप से घी से भरा हो, दीपक में बाती का प्रयोग सावधानी पूर्वक करना चाहिए ताकि वह साधना काल में जलता रहे...............
अंधेरे कक्ष में आप नितांत अकेले होकर दीपक जला लें.........दीपक की लौ को निहारने की कोशिश करें.................और गहरे उतरें और गहरे.............लौ के व्यतिक्रम को निहारें......निहारते रहें..............आत्म चिंतन की अवस्था में शून्य की तरफ बढ़ने की कोशिश जारी रखे.............धीरे-धीरे आप स्वयं के आज्ञाचक्र में झांकने की शक्ति अर्जित कर लेंगे हालांकि आरम्भिक दौर में ये शक्ति अल्पकाल के लिए अर्जित होगी किंतु ये क्रिया निरंतर दोहराते रहने से आप इसे स्थायी बना सकते हैं।
त्राटक के लाभ: इतनी बातों के बाद आप जरूर इसके लाभ को लेकर उत्सुक होंगे। तो जान लें कि त्राटक का सर्वप्रथम लाभ है कि सिद्धि के पश्चात आपकी तरफ देखने वाला जनसमूह आपका विरोध नहीं कर सकता है। सामने उपस्थित भीड़ आपके अनुकूल होने के लिए बाध्य हो जाती है। दूसरा बड़ा लाभ ये है कि आप भविष्य में घटने वाली किसी भी घटना का पूर्वानुमान लगा सकने में सक्षम हो जाते हैं।
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