ज्योतिष समाधान

Sunday, 5 February 2017

कालसर्प दोष की शान्ति और राहु

घर पर भी की जा सकती है कालसर्प दोष की पूजा

एक ही समय एक ही स्थान पर

किसी शिवलिंग के ऊपर एक मुट्ठी साबुत गेंहू,
एक श्रीफल व एक सिक्का 1, 2, 5, या 10 का जो व्यवहार में प्रचलित हो अर्पण करें।

मंत्र 'श्री राम'

किन्तु जो सिक्का प्रथम सोमवार को लिया है वही संख्या वाला सिक्का हर बार लेना है।

प्रथम गेंहू को अर्पण करें। फिर श्रीफल एवं उस पर सिक्का रख कर अर्पण करें।

इस पूरी क्रिया के दौरान श्री राम का जप निरंतर करते रहें।

यह एक चक्र 21 सोमवार तक करें। 21-21 के तीन चक्र संपन्न करें। इसमें 21 सोमवार के बाद एक सोमवार को नागा कर सोमवार से आरम्भ करें।

राहु-केतु के बीज मंत्र का 45000 हजार की संख्या में जप कराएं, हवन कराएं,

नीला कपड़ा ,
गौमेद 5 रती ,
सोना,तिल ,
लोहा ,
सात तरह की दाल ,
/ लहसुनीया 6 रती,
तिल तैल ,
कंबल दान कराएं व विप्र पूजा करें।
नक्षत्र -राहू - आद्रा .स्वाति , शतभिषा / केतु - मघा , मूल , अश्विनी ।।

भगवान गणेश केतु की पीड़ा शांत करते हैं और देवी सरस्वती पूजन अर्चन करने से राहु से रक्षा करती हैं।

नाग मंत्र गायत्री का जप करना चाहिए।राहु / केतु नक्षत्र से शुरू करे ।

।।‘ॐ नवकुल नागय विद्महे विषदंताय धीमहि तन्नो सर्पः प्रचोदयात्’’ ।।

हवन - हल्दी , घी, बेलपत्र , लवगँ , दुबे घास .... काल सर्प योग की शांति का मुख्य संबंध भगवान शिव से है। क्योंकि काल सर्प भगवान शिव के गले का हार है, इसलिए किसी भी शिव मंदिर में काल सर्प योग की शांति का विधान करना चाहिए। साथ ही पंचाक्षरीय मंत्र ‘‘ॐ नमः शिवाय’’ का जप करना चाहिए। ॐ रां राहवे नमः, इस मंत्र जाप करे नाग पाश यंत्र अथवा काल सर्प यंत्र, पारद शिव लिंग, चांदी के अष्ट नागों, अष्टधातु के नाग, तांबे के नाग, रुद्राक्ष, एकाक्षी नारियल और नवग्रहों का पूजन करना चाहिए या नवग्रहों का दान देना चाहिए।

नारियल का फल बहते पानी में बहाना चाहिए। बहते पानी में मसूर की दाल डालनी चाहिए। पक्षियों को जौ के दाने खिलाने चाहिए। नाग पंचमी के दिन श्री हनुमान जी की नित्य पूजा से भी इस योग की शांति होती है, क्योंकि हनुमान जी ने ही लक्ष्मण जी को नाग पाश से मुक्त कराया था।

शिव उपासना एवं रुद्र सूक्त से अभिमंत्रित जल से स्नान करने से यह योग शिथिल हो जाता है। पलाश का फूल गौ मूत्र में कूट कर छांव में सुखाएं। इसका चूर्ण बना कर नित्य स्नान के जल में मिला कर स्नान करें। 72 बुधवार तक ऐसा करने से काल सर्प योग नष्ट होता है।

72000 राहु मंत्र ॐ रां राहवे नमः’ का जप करने से काल सर्प योग शांत होता है।

बिल्वपत्र की महत्ता ।।

शिव पुराण के अनुसार शिवलिंग पर कई प्रकार की सामग्री फूल-पत्तियां चढ़ाई जाती हैं। इन्हीं में से सबसे महत्वपूर्ण है बिल्वपत्र। बिल्वपत्र से जुड़ी खास बातें जानने के बाद आप भी मानेंगे कि बिल्व का पेड बहुत चमत्कारी है---

पुराणों के अनुसार रविवार के दिन और द्वादशी तिथि पर बिल्ववृक्ष का विशेष पूजन करना चाहिए।

इस पूजन से व्यक्ति ब्रह्महत्या जैसे महापाप से भी मुक्त हो जाता है।

क्या आप जानते हैं कि बिल्वपत्र छ: मास तक बासी नहीं माना जाता।

इसका मतलब यह है कि लंबे समय तक शिवलिंग पर एक बिल्वपत्र धोकर पुन: चढ़ाया जा सकता है या बर्फीले स्थानों के शिवालयों में अनुपलब्धता की स्थिति में बिल्वपत्र चूर्ण भी चढाने का विधान मिलता है।

आयुर्वेद के अनुसार बिल्ववृक्ष के सात पत्ते प्रतिदिन खाकर थोड़ा पानी पीने से स्वप्न दोष की बीमारी से छुटकारा मिलता है।

इसी प्रकार यह एक औषधि के रूप में काम आता है। शिवलिंग पर प्रतिदिन बिल्वपत्र चढ़ाने से सभी समस्याएं दूर हो जाती हैं।

भक्त को जीवन में कभी भी पैसों की कोई समश्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को नागपंचमी का पर्व मनाया जाता है। इस पर्व पर प्रमुख नाग मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है और भक्त नागदेवता के दर्शन व पूजा करते हैं। सिर्फ मंदिरों में ही नहीं बल्कि घर-घर में इस दिन नागदेवता की पूजा करने का विधान है।

ऐसी मान्यता है कि जो भी इस दिन श्रद्धा व भक्ति से नागदेवता का पूजन करता है उसे व उसके परिवार को कभी भी सर्प भय नहीं होता।

नागपंचमी पर सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद सबसे पहले भगवान शंकर का ध्यान करें इसके बाद नाग-नागिन के जोड़े की प्रतिमा (सोने, चांदी या तांबे से निर्मित) के सामने यह मंत्र बोलें-

अनन्तं वासुकिं शेषं पद्मनाभं च कम्बलम्। शंखपाल धृतराष्ट्रं तक्षकं कालियं तथा।।

एतानि नव नामानि नागानां च महात्मनाम्। सायंकाले पठेन्नित्यं प्रात:काले विशेषत:।।

तस्मै विषभयं नास्ति सर्वत्र विजयी भवेत्।।

इसके बाद पूजा व उपवास का संकल्प लें। नाग-नागिन के जोड़े की प्रतिमा को दूध से स्नान करवाएं। इसके बाद शुद्ध जल से स्नान कराकर गंध, फूल, धूप, दीप से पूजा करें व सफेद मिठाई का भोग लगाएं।

यह प्रार्थना करें-

सर्वे नागा: प्रीयन्तां मे ये केचित् पृथिवीतले।।
ये च हेलिमरीचिस्था येन्तरे दिवि संस्थिता।
ये नदीषु महानागा ये सरस्वतिगामिन:।
ये च वापीतडागेषु तेषु सर्वेषु वै नम:।।

प्रार्थना के बाद नाग गायत्री मंत्र का जाप करें-

ऊँ नागकुलाय विद्महे विषदन्ताय धीमहि तन्नो सर्प: प्रचोदयात्।

*इसके बाद सर्प सूक्त का पाठ करें*

ब्रह्मलोकुषु ये सर्पा: शेषनाग पुरोगमा:। नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीता: मम सर्वदा।। इन्द्रलोकेषु ये सर्पा: वासुकि प्रमुखादय:। नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीता: मम सर्वदा।। कद्रवेयाश्च ये सर्पा: मातृभक्ति परायणा। नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीता: मम सर्वदा।। इंद्रलोकेषु ये सर्पा: तक्षका प्रमुखादय:। नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीता: मम सर्वदा।। सत्यलोकेषु ये सर्पा: वासुकिना च रक्षिता। नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीता: मम सर्वदा।। मलये चैव ये सर्पा: कर्कोटक प्रमुखादय:। नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीता: मम सर्वदा।। पृथिव्यांचैव ये सर्पा: ये साकेत वासिता। नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीता: मम सर्वदा।। सर्वग्रामेषु ये सर्पा: वसंतिषु संच्छिता। नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीता: मम सर्वदा।।
ग्रामे वा यदिवारण्ये ये सर्पा प्रचरन्ति च। नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीता: मम सर्वदा।। समुद्रतीरे ये सर्पा ये सर्पा जलवासिन:। नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीता: मम सर्वदा।। रसातलेषु या सर्पा: अनन्तादि महाबला:। नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीता: मम सर्वदा।।

नागदेवता की आरती करें और प्रसाद बांट दें। इस प्रकार पूजा करने से नागदेवता प्रसन्न होते हैं और हर मनोकामना पूरी करते हैं।

Pandit~bhubneshwar
Kasturwanagar parnkuti guna
9893946810

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