रविवार को नारँगी रँग के वस्त्र धारण कर, देवी नवदुर्गा का पूजन करने से स्फूर्ति एवं उल्लास का अनुभव होता है। यह रँग सकारात्मक ऊर्जा से सन्निहित होता है तथा व्यक्ति के चित्त को उत्साहित रखता है।
श्वेत रँग शुद्धता व सरलता का पर्याय है। देवी की कृपा प्राप्ति हेतु सोमवार को श्वेत रँग के परिधान धारण करें। श्वेत रँग आत्मशान्ति एवं सुरक्षा का अनुभव कराता है।
मंगलवार को नवरात्रि उत्सव के लिये लाल रँग प्रयोग करें। लाल रँग उत्साह एवं प्रेम का प्रतीक है, तथा माता के चढ़ावे में लाल चुनरी अत्यधिक लोकप्रिय है। यह रँग भक्तों को शक्ति तथा जीवटता से युक्त करता है।
बुधवार को नवरात्रि उत्सव में गहरे नीले रँग का प्रयोग आपको अतुलनीय आनन्द की अनुभूति देगा। यह रँग समृद्धि एवं शान्ति का प्रतिनिधित्व करता है।
गुरुवार को पीले रँग के वस्त्र धारण करने से नवरात्रि उत्सव में मनुष्य का चित्त आशान्वित तथा प्रसन्न रहता है। यह रँग ऊष्मा का प्रतीक है, जो व्यक्ति को दिनभर प्रफुल्लित रखता है।
हरा रँग प्रकृति का प्रतीक है तथा विकास, उर्वरता, शान्ति एवं स्थिरता की भावना उत्पन्न करता है। शुक्रवार को हरे रँग का उपयोग कर, देवी से शान्ति प्राप्ति हेतु प्रार्थना करें। हरा रँग जीवन में नवीन आरम्भ को भी प्रदर्शित करता है।
स्लेटी रँग सन्तुलित विचारधारा का प्रतीक है तथा व्यक्ति को व्यावहारिक एवं सरल बनने हेतु प्रेरित करता है। यह रँग उन भक्तों के लिये उपयुक्त है, जो हलके रँग को प्राथमिकता देते हैं, लेकिन अपनी एक विशिष्ट शैली के साथ नवरात्रि उत्सव का आनन्द लेने के इच्छुक हैं।
बैंगनी रँग भव्यता एवं राजसी ठाट-बाठ को दर्शाता है । नवदुर्गा की पूजन में बैंगनी रँग का प्रयोग करने से भक्तों को समृद्धि एवं सम्पन्नता की प्राप्ति होती है। अतः देवी माँ की कृपा प्राप्ति हेतु निःसंकोच बैंगनी रँग के परिधानों का प्रयोग करें।
मयूर हरा रँग विशिष्टता एवं व्यक्तित्व को इन्गित करता है। नीले व हरे रँग के इस विशिष्ट मिश्रण के प्रयोग से दोनों रँगो के गुणों (समृद्धि व नवीनता) का लाभ मिलता है।
नवरात्रि रँग 2023
नवरात्रि के प्रत्येक दिवस हेतु एक विशिष्ट रँग निर्धारित किया गया है। नवरात्रि के समय अपने जीवन में उस विशेष रँग को सम्मीलित करना अत्यन्त शुभः माना जाता है। नवरात्रि के नौ दिनों में प्रत्येक दिन के लिये, एक विशेष रँग निर्धारित होता है। नवरात्रि के अवसर पर स्त्रियों द्वारा प्रतिदिन विशेष निर्धारित रँग के अनुसार परिधान धारण करना एक लोकप्रिय प्रचलन हैं। मुख्यतः गुजरात एवं महाराष्ट्र में यह परम्परा अत्यधिक प्रचलित है। अतः नवरात्रि में प्रतिदिन स्त्रियाँ एक विशेष रँग के परिधानों एवं वस्तुओं का उपयोग करती हैं। नवरात्रि के अवसर पर स्त्रियों को कार्य करना हो अथवा डाण्डिया व गरबा करना हो, वह सदैव ही नवरात्रि दिवस के रँग के अनुसार परिधान धारण करने के लिये उत्साहित रहती हैं।
विभिन्न राज्यों में यह प्रथा इतनी अधिक प्रचलित हो चुकी है कि नवरात्रि उत्सव से पूर्व टाइम्स ऑफ इण्डिया, मिड-डे, मुम्बई मिरर तथा डी एन ए जैसे लोकप्रिय दैनिक समाचार पत्रों द्वारा नवरात्रि के नौ रँगों के विषय में अलग से लेख प्रकाशित किये जाते हैं।
नवरात्रि के प्रथम दिवस का रँग उस दिन पर आधारित होता है जिस दिन से नवरात्रि प्रारम्भ होती है, तथा शेष आठ दिनों तक एक निश्चित कर्मानुसार रँगो का निर्धारण किया जाता है।
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