Saturday, 30 July 2022

रक्षा बन्धन (11-12 अगस्त, 2022 ई.कब मनायें*

रक्षा बन्धन (11-12 अगस्त, 2022 ई.कब मनायें*                            🙏🙏🚩🚩🌹🕉️🌹🚩🚩🙏🙏🙏 रक्षा बंधन का पवित्र पर्व भद्रारहित अपराह्ण व्यापिनी पूर्णिमा में करने का शास्त्र विधान है-"
 *भद्रायां द्वे न कर्त्तव्ये श्रावणी फाल्गुनी तथा* "🚩
यदि पहिले दिन व्याप्त पूर्णिमा के अपराह्नकाल में भद्रा हो तथा उदयकालिक पूर्णिमा तिथि त्रिमुहूर्त-व्यापिनी हो, 
तो उदयकालिक पूर्णिमा (दूसरे अपराह्णकाल में रक्षाबन्धन करना चाहिए। चाहे वह अपराह्ण से पूर्व ही क्यों न समाप्त हो जाएं। 
क्योंकि उस समय साकल्यापादित पूर्णिमा का अस्तित्व होगा।  

*पुरुषार्थ चिन्तामणि* के अनुसार भी-' *यदा द्वितीयापराह्णात् पूर्वं समाप्ता, तदापि भद्रायां द्वे न कर्त्तव्ये*🚩

परन्तु यदि आगामी दिन पूर्णिमा त्रिमुहूर्त्त-व्यापिनी न हो, 
तो पहिले भद्रा समाप्त होने पर प्रदोषकाल में ही रक्षाबन्धन करने का विधान कहा गया है।🚩
*अथ रक्षाबन्धनमस्यामेव पूर्णिमायां भद्रारहितायां त्रिमुहूर्ताधिकोदय व्यापिन्याम्-अपराह्णे प्रदोषे वा कार्यम् ।। 
उदयत्रिमुहूर्त - न्यूनत्वे पूर्वेद्यु-भद्रारहिते प्रदोषादिकाले कार्यम्* ॥'🚩
इस वर्ष 11 अगस्त 2022 ई. को अपराह्ण व्यापिनी पूर्णिमा में भद्रादोष व्याप्त  है और आगामी दिन 12 अगस्त, शुक्रवार को पूर्णिमा त्रिमुहूर्त्त व्यापिनी नहीं है। 
पूर्णिमा केवल प्रातः 7 घं.-06 मिं. पर ही समाप्त हो रही है। 
अतः उपरोक्त शास्त्र-निर्णयानुसार तो 11 अगस्त, गुरुवार को ही प्रदोषकाल के समय भद्रारहित काल में अर्थात् 20-53मिं. के बाद रक्षा-बन्धन पर्व मनाया जा सकेगा। यहाँ इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि प्रदोषकाल की समाप्ति से पूर्व (पहिले) ही रक्षाबन्धन कर लेना चाहिए। (
अर्थात् निशीथकाल आरम्भ होने से पहिले ।)🚩
11 अगस्त, गुरुवार को सभी धर्मनिष्ठ लोगों को भद्रा समाप्ति 20घं. - 53मिं. बाद तथा 21षं.-50मिं. से पहिले अर्थात् 1 घण्टे के भीतर रक्षाबन्धन कर लेना चाहिए। 
परन्तु अति आवश्यक परिस्थितिवश (यात्रा- भ्रमण सुविधा उपलब्ध न होने पर, फौज आदि में, ड्यूटी आदि कार्यों में आदि) परिहारस्वरूप भद्रामुख (18घं.- 20 मिं. से 20घं--02 मिं. तक) काल का विशेष रूप से त्यागकर भद्रापुच्छकाल (17घं-18 मिं. से 18घं-20 मिं. (तक) में भी रक्षाबन्धन करना शुभ एवं ग्राह्य होगा ।🚩

*कार्येत्वावश्यके विष्टेः मुखमात्रं परित्यजेत्* ।। (मुहूर्त्त प्रकाश)🚩 इसके अतिरिक्त 11 अगस्त, गुरुवार को चन्द्रमा मकर राशिस्थ एवं भद्रा पाताललोक में होने से भी भद्रा का परिहार होगा।
  *अतएव शास्त्रानुसार तो 11 अगस्त, गुरुवार को ही भद्रा के बाद प्रदोषकाल में (20:53 से 21:50 तक) रक्षाबन्धन मनाना चाहिए*।🚩🚩 

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