Thursday, 8 March 2018

पंचको में शुभ कार्य भी किये जा सकते है… ज्योतिष शास्त्र के अनुसार पंचक तब लगते है जब ब्रह्मांड में चन्द्र ग्रह धनिष्ठा नक्षत्र के तृतीय चरण में प्रवेश करते है..

पंचको में शुभ कार्य भी किये जा सकते है…

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार पंचक तब लगते है जब ब्रह्मांड में चन्द्र ग्रह धनिष्ठा नक्षत्र के तृतीय चरण में प्रवेश करते है..

इस तरह चन्द्र ग्रह का कुम्भ और मीन राशी में भ्रमण पंचकों को जन्म देता है…

कई बार एक अंग्रेजी महीने में पंचक दो बार आ जाते है…

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार चन्द्र ग्रह का धनिष्ठा नक्षत्र के तृतीय चरण और शतभिषा, पूर्वाभाद्रपद, उत्तराभाद्रपद तथा रेवती नक्षत्र के चारों चरणों में भ्रमण काल पंचक काल कहलाता है..

पंचको के बारे में एक पोराणिक कथा है,

कहते है की एक बार मंगल ग्रह ने रेवती नक्षत्र के साथ दुष्कर्म कर दिया था, जिसके कारण रेवती अशुद्ध हो गयी थी और परिजनों ने उसके हाथ से जल ग्रहण कर लिया था तब देवताओं के गुरु कहे जाने ब्रहस्पति ने एक सभा बुलाई और जल ग्रहण करने वाले सभी परिजनों का बहिष्कार कर दिया…

तब श्रवण नक्षत्र ने यह अपील की कि में तो पिता के कहने पर जल लेने चला गया था…

मेरा क्या कसूर है? तब श्रवण नक्षत्र की अपील पर उसे छोड़ दिया गया और श्रवण के पिता धनिष्ठा नक्षत्र, बड़ी बहन पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र, छोटी बहन उत्तराभाद्रपद नक्षत्र, माता शतभिषा नक्षत्र और पत्नी रेवती नक्षत्र को पंचक होना करार दे दिया गया….

कहते है कि तभी से इस दुष्कर्म के कारण क्रूर और पापी ग्रह माना जाने लगा..

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