Monday, 13 November 2017

शनि अमावस्या के दिन ( साढेसाती* ढैया  *अढैया*) वालो को श्री शनिदेव की आराधना करने  का  मौका  आया। है । 18 नवम्बर 2017 को शनिवार के दिन शनि अमावस्या मनाई जानी है, यह पितृकार्येषु अमावस्या के रुप में भी जानी जाती है. कालसर्प योग, ढैय्या तथा साढ़ेसाती सहित शनि संबंधी अनेक बाधाओं से मुक्ति पाने का यह दुर्लभ समय होता


शनि अमावस्या के दिन
( साढेसाती* ढैया  *अढैया*)
वालो को श्री शनिदेव की आराधना करने  का  मौका  आया। है । 18 नवम्बर 2017 को शनिवार के दिन शनि अमावस्या मनाई जानी है, यह पितृकार्येषु अमावस्या के रुप में भी जानी जाती है.
कालसर्प योग, ढैय्या तथा साढ़ेसाती सहित शनि संबंधी अनेक बाधाओं से मुक्ति पाने का यह दुर्लभ समय होता

भविष्यपुराण के अनुसार शनिश्चरी अमावस्या शनिदेव को अधिक प्रिय रहती है।
शनि अमावस्या का दिन संकटों के समाधान के लिए विशेष महत्व रखता है।

शनि की शांति तथा कृपा के लिए ये निर्दिष्ट उपाय कर सकते हैं।  
* शनिवार का व्रत रखें।   
* व्रत के दिन शनिदेव की पूजा (कवच, स्तोत्र, मंत्र जप) करें। 
  * शनिवार व्रत कथा पढ़ना भी लाभकारी रहता है।   
* व्रत में दिन में दूध, लस्सी तथा फलों के रस ग्रहण करें।   

    * सायंकाल हनुमानजी या भैरवजी का दर्शन करें।   
* काले उड़द की खिचड़ी (काला नमक मिला सकते हैं) या उड़द की दाल का मीठा हलवा ग्रहण करें।  
* शनि की प्रसन्नता के लिए उड़द, तेल, इन्द्रनील (नीलम), तिल, कुलथी, भैंस, लोह, दक्षिणा और श्याम वस्त्र दान करें। 

  * किसी भी शनि मंदिरों में शनि की वस्तुओं जैसे काले तिल, काली उड़द, काली राई, काले वस्त्र, लौह पात्र तथा गुड़ का दान करने से इच्छित फल की प्राप्ति होती है।    

    * शनिवार को अपने हाथ की नाप का 19 हाथ काला धागा माला बनाकर पहनें।  

* शनिवार के दिन काले घोड़े की नाल या नाव की सतह की कील का बना छल्ला मध्यमा में धारण करें।  

* प्रति शनिवार सुरमा, काले तिल, सौंफ, नागरमोथा और लोध मिले हुए जल से स्नान करें।  
* शनिवार को सायंकाल पीपल वृक्ष के चारों ओर 7 बार कच्चा सूत लपेटें, इस समय शनि के किसी मंत्र का जप करते रहें।

फिर पीपल के नीचे सरसों के तेल का दीपक प्रज्ज्वलित करें तथा ज्ञात अज्ञात अपराधों के लिए क्षमा मांगें।  
हे विघ्नघ्न गणेश सूर्य हनुमन् हे राम कृष्णप्रभो!
हे विष्णो शिवशंकर प्रियसुरा: चन्द्रा: ग्रहा: तारका:!।
हे विप्रा: श्रुतिपारगा: गुरुवरा:  सत्स्नेहिन: सज्जना:!
आयान्तु प्रबुधा: विवाहविविधौ यच्छन्तु भव्याशिष:।।
                  
हे विघ्न हन्ता श्रीगणेश जी, हे सूर्य देव हेसश्रीहनुमान प्रभु हे भगवान श्रीराम एवं श्रीकृष्ण प्रभु हे श्रीविष्णु जी हे शिवशंकर महादेव जी एवं समस्त देवगण! हे चन्द्र ग्रह तारकगण! हे ब्राह्मण देवता हे श्रुति शास्त्र पारंगत मेरे समस्त गुरुवर!

संपर्क 

गुरुदेव 

भुबनेश्वर

पर्णकुटी गुना 

9893946810

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