ज्योतिष समाधान

Thursday, 5 October 2017

करवाचौथ व्रत सुबह सूर्योदय से पहले करीब ४ बजे के बाद शुरू होकर रात में चंद्रमा दर्शन के बाद संपूर्ण होता है। शास्त्रों के अनुसार यह व्रत कार्तिक मास के कृष्णपक्ष की चन्द्रोदय व्यापिनी चतुर्थी के दिन करना चाहिए। पति की दीर्घायु एवं अखण्ड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए इस दिन भालचन्द्र गणेश जी की अर्चना की जाती है। ///////////////करवाचौथ ब्रत मुहूर्त/////////////////// पूजा मुहूर्त - शाम -5-बजकर 55 मिनिट से -7-बजकर 09 मिनिट  तक कुल समय सीमा-1घण्टा-14-मिनिट चतुर्थी तिथि प्रारम्भ- शाम-6बजकर 58 मिनिट  8 oct 2017 से चतुर्थी तिथि समाप्त- दोपहर -2बजकर 16 मिनिट 9 oct 2017 तक

Karwa Chauth


Puja Muhurat = 17:55 to 19:09 


Duration = 1 Hour 14 Mins 


Moonrise On Karwa Chauth Day = 20:14K 

Chaturthi Tithi Begins = 16:58 on 8/Oct/2017
Chaturthi Tithi Ends = 14:16 on 9/Oct/2017
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////////////////करवाचौथ ब्रत मुहूर्त///////////////////

पूजा मुहूर्त -

शाम -5-बजकर 55 मिनिट से -7-बजकर 09 मिनिट  तक

कुल समय सीमा-1घण्टा-14-मिनिट

चन्द्रोदय अर्घ*-8बजकर22 मिनिट पर 

चतुर्थी तिथि प्रारम्भ-शाम-4 बजकर 58 मिनिट  8 oct 2017 से

चतुर्थी तिथि समाप्त-दोपहर -2बजकर 16 मिनिट 9 oct 2017 तक

****************************************** /////////करवा चौथ : पूजन सामग्री की सूची /////////

इस व्रत में प्रमुखतः
करवा चौथ एक नारी पर्व है। इस व्रत को सौभाग्यवती महिलाएं करती हैं।

इस व्रत में प्रमुखतः

गौरी व गणेश का पूजन किया जाता है। जिसमें पूजन सामग्री का भी विशेष ध्यान रखा जाता है।

यह व्रत सुबह सूर्योदय से पहले करीब ४ बजे के बाद शुरू होकर रात में चंद्रमा दर्शन के बाद संपूर्ण होता है।

शास्त्रों के अनुसार यह व्रत कार्तिक मास के कृष्णपक्ष की चन्द्रोदय व्यापिनी चतुर्थी के दिन करना चाहिए।

पति की दीर्घायु एवं अखण्ड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए इस दिन भालचन्द्र गणेश जी की अर्चना की जाती है।

करवाचौथ में भी संकष्टीगणेश चतुर्थी की तरह दिन भर उपवास रखकर रात में चन्द्रमा को अ‌र्घ्य देने के उपरांत ही भोजन करने का विधान है।

अधिकतर स्त्रियां निराहार रहकर चन्द्रोदय की प्रतीक्षा करती हैं। कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को करकचतुर्थी (करवा-चौथ) व्रत करने का विधान है।

इस व्रत की विशेषता यह है कि केवल सौभाग्यवती स्त्रियों को ही यह व्रत करने का अधिकार है।

स्त्री किसी भी आयु, जाति, वर्ण, संप्रदाय की हो, सबको इस व्रत को करने का अधिकार है। जो सौभाग्यवती (सुहागिन) स्त्रियाँ अपने पति की आयु, स्वास्थ्य व सौभाग्य की कामना करती हैं वे यह व्रत रखती हैं।

यह व्रत 12 वर्ष तक अथवा 16 वर्ष तक लगातार हर वर्ष किया जाता है। अवधि पूरी होने के पश्चात इस व्रत का उद्यापन (उपसंहार) किया जाता है।

जो सुहागिन स्त्रियाँ आजीवन रखना चाहें वे जीवनभर इस व्रत को कर सकती हैं।

इस व्रत के समान सौभाग्यदायक व्रत अन्य कोई दूसरा नहीं है। अतः सुहागिन स्त्रियाँ अपने सुहाग की रक्षार्थ इस व्रत का सतत पालन करें।

व्रत की विधि उपवास सहित एक समूह में बैठ महिलाएं चौथ पूजा के दौरान, गीत गाते हुए थालियों की फेरी करती हुई चौथ पूजा के उपरांत महिलाएं समूह मे सूर्य को जल का अर्क देती हुई कार्तिक कृष्ण पक्ष की चंद्रोदय व्यापिनी चतुर्थी अर्थात उस चतुर्थी की रात्रि को जिसमें चंद्रमा दिखाई देने वाला है, उस दिन प्रातः स्नान करके अपने सुहाग (पति) की आयु, आरोग्य, सौभाग्य का संकल्प लेकर दिनभर निराहार रहें।

पूजनसंपादित करें उस दिन भगवान शिव-पार्वती, स्वामी कार्तिकेय, गणेश एवं चंद्रमा का पूजन करें। पूजन करने के लिए बालू अथवा सफेद मिट्टी की वेदी बनाकर उपरोक्त वर्णित सभी देवों को स्थापित करें।

नैवेद्यसंपादित करें शुद्ध घी में आटे को सेंककर उसमें शक्कर अथवा खांड मिलाकर मोदक (लड्डू) नैवेद्य हेतु बनाएँ।

करवासंपादित करें

काली मिट्टी में शक्कर की चासनी मिलाकर उस मिट्टी से तैयार किए गए मिट्टी के करवे अथवा तांबे के बने हुए करवे।

संख्‍यासंपादित करें

10 अथवा 13 करवे अपनी सामर्थ्य अनुसार रखें। कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को करकचतु र्थी (करवा-चौथ) व्रत करने का विधान है। इस व्रत की विशेषता यह है कि केवल सौभाग्यवती स्त्रियों को ही यह व्रत करने का अधिकार है।

पूजन विधिसंपादित करें

बालू अथवा सफेद मिट्टी की वेदी पर शिव-पार्वती, स्वामी कार्तिकेय, गणेश एवं चंद्रमा की स्थापना करें। मूर्ति के अभाव में सुपारी पर नाड़ा बाँधकर देवता की भावना करके स्थापित करें। पश्चात यथाशक्ति देवों का पूजन करें।

गौरी व गणेश का पूजन किया जाता है। जिसमें पूजन सामग्री का भी विशेष ध्यान रखा जाता है।

करवा चौथ से जुड़ी पूजन सामग्री की सूची।  /////////करवा चौथ : पूजन सामग्री की सूची /////////

1. चंदन
2. शहद
3. अगरबत्ती
4. पुष्प
5. कच्चा दूध
6. शक्कर
7. शुद्ध घी
8. दही
9. मिठाई
10. गंगाजल
11. कुंकू
12. अक्षत (चावल)
13. सिंदूर
14. मेहंदी
15. महावर
16. कंघा
17. बिंदी
18. चुनरी
19. चूड़ी
20. बिछुआ
21. मिट्टी का टोंटीदार करवा व ढक्कन
22. दीपक
23. रुई
24. कपूर
25. गेहूं
26. शक्कर का बूरा
27. हल्दी
28. पानी का लोटा
29. गौरी बनाने के लिए पीली मिट्टी
30. लकड़ी का आसन
31. चलनी
32. आठ पूरियों की अठावरी
33. हलुआ
34. दक्षिणा (दान) के लिए पैसे, इ‍त्यादि।

Gurudev bhubneshwar
Kasturwa nagar
Parnkuti guna
9893946810

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