Thursday, 13 July 2017

श्री क्षेत्रपाल चालीसा दोहा भोलेनाथ को सुमरि मन, धर गणेश को ध्यान । श्री क्षेत्रपाल चालीसा पढू , कृपा करहूँ भगवान ।। क्षेत्रपाल भैरव भजू, श्री काली के लाल । मुझ दास पर कृपा करो , मेरे बाबा क्षेत्रपाल ।।

भोलेनाथ को सुमरि मन, धर गणेश को ध्यान ।
श्री क्षेत्रपाल चालीसा पढू , कृपा करहूँ भगवान ।।

क्षेत्रपाल भैरव भजू, श्री काली के लाल ।
मुझ दास पर कृपा करो , मेरे बाबा क्षेत्रपाल ।।

चौपाइया जय जय श्री भैरव मतवाला ।
रहो दास पर सदा दयाला ।।

भैरव भीषण भीम कपाली ।
क्रोधवंत लोचन में लाली ।।

कर त्रिशूल है कठिन कराला ।
गल में प्रभु मुंडन की माला ।।

कृष्ण रूप तन वर्ण विशाला ।
पीकर मद रहता मतवाला ।।

क्षेत्रपाल भक्तन के संगी ।
प्रेतनाथ भूतेश भुजंगी ।।

श्री क्षेत्रपाल है नाम तुम्हारा ।
चक्रदंड अमरेश पियारा ।।

शेखर चन्द्र कपाल विराजे ।
स्वान सवारी पै प्रभू राजे ।।

शिव नकुलेश चंड हो स्वामी ।
बैजनाथ प्रभु नमो नमामी ।।

अश्वनाथ क्रोधेश बखाने ।
भैरव काल जगत में जाने ।।

गायत्री कहे निमिष दिगंबर ।
जगन्नाथ उन्नत आडम्बर ।।

क्षेत्रपाल दशपाणी कहाए ।
मंजुल उमानंद कहलाये ।।

चक्रनाथ भक्तन हितकारी ।
कहे त्रयम्बकं सब नर नारी ।।

संहारक सुनन्द सब नामा ।
करहु भक्त के पूरण कमा ।।

क्षेत्रपाल शमशान के वासी ।
व्यालपवित हाथ यम फाँसी ।।

कृत्यायु सुन्दर आनंदा ।
भक्तन जन के काटहु फन्दा ।।

कारण लम्ब आप भय भंजन ।
नमो नाथ जय जनमन रंजन ।।

हो तुम मेष त्रिलोचन नाथा ।
भक्त चरण में नावत माथा ।।

तुम असितांग रूद्र के लाला ।
महाकाल कालो के काला ।।

ताप विमोचन अरिदल नासा ।
भाल चन्द्रमा करहि प्रकाशा ।।

श्वेत काल अरु लाल शरीरा ।
मस्तक मुकुट शीश पर चीरा ।।

काली के लाला बलधारी ।
कहं लगी शोभा कहहु तुम्हारी ।।

शंकर के अवतार कृपाला ।
रहो चकाचक पी मद प्याला ।।

काशी के कुतवाल कहाओ ।
क्षेत्रपाल चेटक दिखलाओ ।।

रवि के दिन जन भोग लगावे ।
धुप दीप नवेद चढ़ावे ।।

दर्शन कर के भक्त सिहावे ।
तब शुरा की धार पियावे ।।

मठ में सुन्दर लटकत झाबा ।
सिद्ध काज करो भैरव बाबा ।।

नाथ आप का यश नहीं थोडा ।
कर में शुभग शुशोभित कोड़ा ।।

कटि घुंघरा सुरीले बाजत ।
कंचन के सिंघासन राजत ।।

नर नारी सब तुमको ध्यावे ।
मन वांछित इच्छा फल पावे ।।

भोपा है आप के पुजारी ।
करे आरती सेवा भारी ।।

बाबा भात आप का गाऊं ।
बार बार पद शीश नवाऊ ।।

ऐलादी को दुःख निवारयौ ।
सदा कृपा करि काज सम्हारयो ।।

जो नर(नारी) मन से ध्यान लगावे ।
दुःख दारिद्र निकट नहीं आवे ।।

लूले लँगड़े पैर चलावे ।
नेत्रहीन ज्योति को पावे ।।

नीसंतान संतान को पावे ।
जात जडूला कर भोग लगावे ।।

कौड़ी नर भी काया पावे ।
वाय, मिर्गी जड़ से मिटावे ।।

काया के सव रोग मिटावे ।
धाम डाबरा जो कोई आवे ।।

भूत , जिन्न तो यूही भग जावे ।
सांकड़ की जब मार लगावे ।।

दृढ़ विशवास कर क्षेत्रपाल के आवे ।
मृत प्राणी भी जीवित हो जावे ।।

तुमरो दास जहाँ भी होई ।
ता पर संकट परे न कोई ।।

तुम बिन अव ना कोई मेरो ।
संकट हरण हरउ दुःख मेरो ।।

दोहा जय जय जय भैरव मतवाडा, स्वामी संकट टार ।
कृपा दास पर कीजिये शंकर के अवतार ।।
जो क्षेत्रपाल चालीसा पढे , प्रेम सहित शतवार ।
उस घर सर्वानन्द हो , वैभव बढे अपार ।।

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