Tuesday, 10 January 2017

देश भक्ति की कविताये


*_जिस भी कवि ने लिखा है, उसे_*
*_शत-शत नमन्

_१]   अंधों   को  दर्पण  क्या  देना_
_बहरों को भजन सुनाना क्या_
_जो  रक्त  पान  करते  उनको_
_गंगा  का  नीर  पिलाना  क्या.._

_२】हमने  जिनको दो आँखे दी_
_वो हमको आँख दिखा बैठे_
_हम  शांति  यज्ञ  में लगे रहे_
_वो   श्वेत  कबूतर  खा  बैठे.._

_३】वो छल पे छल करता आया_
_हम  अड़े  रहे  विश्वासों  पर_
_कितने  समझौते  थोप  दिए_
_हमने  बेटों   की   लाशों  पर.._

_४】अब लाशें भी यह बोल उठी_
_मत  अंतर्मन  पर  घात करो_
_दुश्मन जो भाषा समझ सके_
_अब  उस भाषा में बात करो.._

_५】वो  झाड़ी  है, हम  बरगद हैं_
_वो  है  बबूल  हम  चन्दन हैं_
_वो  है  जमात  गीदड़  वाली_
_हम सिंहों का अभिनन्दन हैं.._

_६】ऐ पाक  तुम्हारी धमकी से_
_यह  धरा  नहीं डरने वाली_
_यह अमर सनातन माटी है_
_ये  कभी  नहीं  मरने वाली.._

_७】तुम भूल गए सन् अड़तालिस_
_पैदा   होते   ही   अकड़े   थे_
_हम उन कबायली बकरों की_
_गर्दन   हाथों   से   पकड़े  थे.._

_८】तुम भूल गए सन् पैंसठ को_
_तुमने  पंगा  कर  डाला  था_
_छोटे  से   लाल  बहादुर  ने_
_तुमको  नंगा  कर डाला था.._

_९】तुम भूले सन्  इकहत्तर को_
_जब  तुम  ढाका पर ऐंठे थे_
_नब्बे   हजार   पाकिस्तानी_
_घुटनों  के  बल  पर  बैठे थे.._

_१०】तुम भूल  गए करगिल का रण_
_हिमगिरि पर लिखी कहानी थी_
_इस्लामाबादी       गुंडों      को_
_जब   याद   दिलाई   नानी  थी.._

_११】तुम  सारी  दुर्गति भूल गए_
_फिर से बवाल कर बैठे हो_
_है  उत्तर खुद के पास नहीं_
_हमसे  सवाल  कर बैठे हो.._

_१२】बिगड़ैल किसी बच्चे जैसे_
_आलाप  तुम्हारे  लगते  हैं_
_तुम  भूल  गए हो रिश्ते में_
_हम  बाप  तुम्हारे लगते हैं.._

_१३】बेटा  पिटने  का  आदी है_
_बेटा   पक्का   जेहादी  है_
_शायद बेटे की किस्मत में_
_बर्बादी    ही   बर्बादी    है.._

_१४】तेरी   बर्बादी  में  खुद को_
_बर्बाद    नहीं    होने   देंगे_
_हम भारत माँ के सीने पर_
_जेहाद   नहीं   होने    देंगे.._

_१५】तू  रख हथियार उधारी के_
_हम अपने दम से लड़ लेंगे_
_गर एटम बम से लड़ना हो_
_तो  एटम  बम  से लड़ लेंगे.._

_१६】जब  तक तू बटन दबायेगा_
_हम  पृथ्वी  नाग  चला  देंगे_
_तू  जब तक दिल्ली  ढूंढेगा_
_हम  पूरा  पाक  जला  देंगे.._

_१७】यह कथन सारा आवाम कहे_
_गर फिर से आँख दिखाओगे_
_तुम सवा अरब के भारत की_
_मुट्ठी    से    मसले   जाओगे.._

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१】मैं केशव का पाञ्चजन्य भी गहन मौन मे खोया हूँ
उन बेटों को श्रद्धान्जलियाँ लिखते-लिखते रोया हूँ

२】जिस माथे की कुमकुम बिन्दी वापस लौट नहीं पाई
चुटकी, नथ, पाजेब ले गई कुर्बानी की अमराई

३】बहनों की राखियाँ जल गई हैं बर्फीली घाटी मे
वेदी के गठबन्धन खोये हैं कारगिल की माटी मे

४】पर्वत पर कितने सिन्दूरी  सपने दफन हुए होंगें
बीस बसंतों के मधुमासी जीवन हवन हुए होंगें

५】टूटी  चूड़ी, धुला महावर, रूठा  कंगन हाथों का
कोइ मोल नहीं हो सकता वासन्ती जज्बातों का

६】जो पहले-पहले चुम्बन के बाद लाम पर चला गया
नयी दुल्हन  की सेज छोड़कर युद्ध-काम पर चला गया

७】उनको भी मीठी यादों की करवट  याद रही होगी
खुशबू मे भीगी यादों की सलवट याद रही होगी

८】उन आँखों की दो बूंदों से सातों सागर हारे हैं
जब मेंहदी वाले हाथों ने मंगलसूत्र उतारे हैं

९】गीली मेंहदी रोई होगी छुपकर घर के कोने में
ताजा काजल छोटा होगा चुपके-चुपके रोने में

१०】जब बेटे की अर्थी आई होगी सूने आँगन में
शायद दूध उतर आया हो बूढी माँ के दामन में

११】वह विधवा पूरी दुनिया का बोझा सिर ले सकती है
जो अपने पति की अर्थी को भी कंधा दे सकती है

१२】मै ऐसी हर देवी के चरणों में शीश झुकाता हूँ
इसीलिए मैं  कविता को हथियार बनाकर गाता हूँ

१३】जिन बेटों ने पर्वत काटे हैं अपने नाखूनों से
उनकी कोई चाह नहीं है दिल्ली के कानूनों से

१४】जो सैनिक सीमा रेखा पर ध्रुव तारा बन जाता है
उस कुर्बानी के दीपक से सूरज भी शरमाता है

१५】गर्म दहानों पर तोपों के जो सीने अड़ जाते हैं
उनकी गाथा लिखने को अम्बर छोटे पड़ जाते हैं

१६】उनके लिए हिमालय कंधा देने को झुक जाता है
चन्द घड़ी सागर की लहरों का गर्जन रुक जाता है

१७】उस सैनिक के शव का दर्शन तीरथ-जैसा होता है
चित्र शहीदों का मन्दिर की मूरत जैसा होता है।

निवेदन~यह कविताये मुझे अच्छी लगी दिल को छूने वाली कविताये शायद आपको भी अच्छी लगे  यही सोच कर  ब्लॉग में शामिल की है आशा है की  आपको भी अच्छी लगेगी
आपका
bhubneshwar
kasturwanagar पर्णकुटी गुना

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