ज्योतिष समाधान

Saturday, 5 November 2016

कुंडली से दाम्पत्य सुख कैसे जाने लिंक ओपन करे

कुंडली मिलान को आज हम एक अन्य रुप में बताने का प्रयास कर रहे हैं. लड़का और लड़की की कुंडली का मिलान भावों के आधार पर भी होना बहुत जरुरी है क्योकि जन्म कुंडली का हर भाव महत्व रखता है. सभी नौ ग्रह कुंडली में अपना स्वतंत्र महत्व रखते हैं.

जब भी कुंडली मिलान की बात आए तो यह देखें कि दोनो की जन्म कुंडली के भाव एक - दूसरे से 6,8 या 12 नहीं होने चाहिए.

छठा भाव रोग, ऋण तथा शत्रुओं का माना जाता है. आठवें भाव को अनिष्टकारी माना जाता है. 12वाँ भाव व्यय का है. इसलिए इन तीनों को ही अशुभ माना गया है.

जैसे लड़के की जन्म कुंडली के जिस भाव में सूर्य है उससे गिनती करते हुए लड़की की कुंडली का सूर्य देखें कि वह किस भाव में स्थित है.

माना लड़के की जन्म कुण्डली में सूर्य दूसरे भाव में है और लड़की की कुंडली में सूर्य नवम भाव में है तो यह एक्-दूसरे से षडाष्टक योग बनाते हैं जो कि शुभ नहीं माना जाता है.

यदि दोनो की कुंडली के सूर्य एक्-दूसरे से 6,8 या 12 वें भाव में स्थित है तब इसे शुभ नहीं माना जाता है.

इसी तरह सभी नौ ग्रहों का आंकलन किया जाएगा और जितने अधिक से अधिक ग्रह एक - दूसरे से शुभ स्थित होगें उतना मिलान अच्छा होगा.

राशि के अनुसार ग्रहों की स्थिति |

अब हम राशियों के आधार पर ग्रहों के मिलान की चर्चा करेगें. मिलान का तरीका भाव मिलान की तरह ही है इसमें हम राशि में स्थित ग्रह को लेते हैं. इस मिलान में हम लड़का और लड़की की कुंडली के ग्रहों को राशि के अनुसार देखते हैं कि कौन सा ग्रह कौन सी राशि में स्थित है.

लड़के की जन्म कुंडली में जिस राशि में जो ग्रह है, वही ग्रह लड़्की की कुंडली में किस राशि में गया है, यह देखना है.

माना लड़के की कुंडली में गुरु वृष राशि में स्थित है और लड़की की कुंडली में तुला राशि में स्थित है, अब यह देखेगे कि दोनो राशियों का आपस में क्या संबंध बन रहा है.

दोनो की जन्म कुण्डली में गुरु जिन राशियों में स्थित वह एक - दूसरे से 6/8 अ़क्ष पर स्थित है अर्थात वृष राशि से तुला राशि छठे भाव में आति है और तुला राशि से वृष राशि आठवें भाव में आती है.

अत: दोनों की जन्म कुण्डली में गुरु की स्थिति एक्-दूसरे से सही नहीं है. अब हम इसी तरह से बाकी ग्रहों को भी देखेगें कि वह एक्-दूसरे से क्या संबंध बनाते हैं.

जो ग्रह जिन राशियों में स्थित है वह यदि 6,8 या 12 वें भाव में स्थित है तब उचित मिलान नही माना जाएगा.

इस मिलान में भी जितने अधिक ग्रह एक्-दूसरे से सही दिशा में स्थित होगें उतना मिलान भी अच्छा होगा.

लग्न का मिलान | 

आइए अब हम लड़के और लड़की की जन्म लग्न की बात करते हैं. लड़के व लड़की की कुंडली का लग्न एक सा नहीं होना चाहिए.

उदाहरण के लिए यदि एक का लग्न मेष है तो दूसरे का लग्न भी मेष नही होना चाहिए.

यदि दोनों का एक सा लग्न होगा तब दोनो में कमियाँ भी एक जैसी ही होगी.

एक को क्रोध आएगा तो दूसरे को भी उतना ही आएगा.

इससे दोनों में अकसर तनाव बने रहने की संभावना बनी रह सकती है.

माना दोनों का अग्नितत्व लग्न है तो क्रोध की मात्रा एक सी होगी और दोनों में हर बात को लेकर जल्दबाजी रह सकती है और कई बार जल्दबाजी में लिए निर्णय गलत भी सिद्ध हो सकते हैं.

यदि दोनो का वायुतत्व लग्न है तब दोनों में व्यवहारिकता की कमी हो सकती है.

हर समय ख्यालों में ही रहना आप दोनो की आदत हो सकती है.

आप हर बात के लिए अत्यधिक चिन्तन मनन करेगें और निर्णय लेने की क्षमता का अभाव रहेगा.

यदि दोनो का जलतत्व लग्न है तब आप दोनो अत्यधिक भावुक होगे और हर बात का निर्णय दिल से लेगें.

भावनाओं में बहकर लिए गए निर्णुय अकसर गलत भी हो जाते हैं.

दोनो का पृथ्वीतत्व होने से दोनों ही ज्यादा ही व्यवहारिक होगें और हर बात को नाप तौल कर करेगें. यह इनकी एक बड़ी कमी हो सकती है.

यह जल्दबाजी में कोई निर्णय नहीं लेगें अपितु कुछ ज्यादा ही सोच लेगें. इन्हें जीवन में बदलाव की बजाय ठहराव अधिक पसंद होगा और इस कारण यह आसानी से स्वयं को नए परिवेश अथवा परिस्थितियों में ढ़ाल नहीं पाएंगें.

कुछ अन्य महत्वपूर्ण बातों का आंकलन |

आइए जन्म कुंडली में स्थित कुछ अन्य महत्वपूर्ण पहलुओ की चर्चा करें. लड़के और लड़की की जन्म कुंडली का स्वतंत्र रुप से अध्ययन भी अपना महत्व रखता है. मिलान से पहले तो यही देखना चाहिए कि व्यक्ति की अपनी स्वयं की कुंडली के योग क्या हैं. यदि वह सही नही है तब आप अपनी कमियों को जानते हुए स्वभाव में बदलाव कर सकते हैं. व्यक्ति विशेष की जन्म कुण्डली में यह देखना चाहिए कि उसकी कुंडली के लग्नेश और सप्तमेश की आपस में क्या स्थिति है?

माना किसी की जन्म कुंडली में लग्नेश दूसरे भाव में है और सप्तमेश तीसरे भाव में स्थित है. ऎसी स्थिति में दोनो का द्विद्वार्दश संबंध माना जाएगा. यह संबंध ज्यादा अच्छा नही है. इसका अर्थ है कि यह व्यक्ति अपने साथी के साथ समझौता करके रहेगा और उसके साथ आरामदायक महसूस नहीं करेगा.

इसी तरह से यदि किसी की जन्म कुंडली में लग्नेश और सप्तमेश आपस में षडाष्टक योग बना रहे हैं तब यह स्थिति बहुत खराब मानी गई है.

किसी व्यक्ति विशेष की जन्म कुंडली में शुक्र से 12वें भाव में पाप ग्रह नहीं होना चाहिए अन्यथा व्यक्ति को संबंधों में तनाव बना रह सकता है या व्यक्ति के शैय्या सुख में कमी रहती है अथवा व्यक्ति अपने साथी से शारीरिक सुख की कमी का अनुभव कर सकता है, कारण कुछ भी हो सकता है. जन्म कुंडली में शुक्र का बहुत महत्व है क्योकि यह भोग का कारक है. शुक्र जिस राशि में स्थित है उसका स्वामी ग्रह अगर वक्री है तब भी संबंधों में लचीलापन नहीं रहता है.

माना शुक्र गुरु की राशि में है और गुरु जन्म कुंडली में वक्री अवस्था में है तब उस व्यक्ति को संबंधों में ज्यादा रुचि नहीं रहेगी.

No comments: