ज्योतिष समाधान

Saturday, 5 November 2016

स्मार्त वैष्णव एकादसी देवउठनी या (देवप्रबोधनी) तुलसी विबाह मुहूर्त लिंक ओपन करे


देव उठनी एकादशी प्रबोधिनी एकादशी पारण ११ को, पारण

(व्रत तोड़ने का) समय = ०१:०९ से ०३:२० पारण तिथि के दिन

हरि वासर समाप्त होने का समय = ०२:३०
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 दूजी देवुत्थान एकादशी = ११/११/२०१६ 

१२ को, दूजी एकादशी के लिए पारण
(व्रत तोड़ने का) समय = ०६:३८ से ०८:४९ 

पारण के दिन द्वादशी सूर्योदय से पहले समाप्त हो जाएगी 
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एकादशी तिथि प्रारम्भ = १०/नवम्बर/२०१६ को ११:२१ बजे एकादशी

तिथि समाप्त = ११/नवम्बर/२०१६ को ०९:१२ बजे

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(१)एकादशी प्रबोधिनी एकादशी को देव उठनी एकादशी और देवुत्थान एकादशी के नाम से भी जाना जाता है।

(२)एकादशी के व्रत को समाप्त करने को पारण कहते हैं।

(३)एकादशी व्रत के अगले दिन सूर्योदय के बाद पारण किया जाता है।

(४)एकादशी व्रत का पारण द्वादशी तिथि समाप्त होने से पहले करना अति आवश्यक है।

(५)यदि द्वादशी तिथि सूर्योदय से पहले समाप्त हो गयी हो तो एकादशी व्रत का पारण सूर्योदय के बाद ही होता है।

(६)द्वादशी तिथि के भीतर पारण न करना पाप करने के समान होता है।

(७)एकादशी व्रत का पारण हरि वासर के दौरान भी नहीं करना चाहिए।

(८)जो श्रद्धालु व्रत कर रहे हैं उन्हें व्रत तोड़ने से पहले हरि वासर समाप्त होने की प्रतिक्षा करनी चाहिए। हरि वासर द्वादशी तिथि की पहली एक चौथाई अवधि है।

(९)व्रत तोड़ने के लिए सबसे उपयुक्त समय प्रातःकाल होता है।

(१०)व्रत करने वाले श्रद्धालुओं को मध्यान के दौरान व्रत तोड़ने से बचना चाहिए।

(११)कुछ कारणों की वजह से अगर कोई प्रातःकाल पारण करने में सक्षम नहीं है तो उसे मध्यान के बाद पारण करना चाहिए।

(१२)कभी कभी एकादशी व्रत लगातार दो दिनों के लिए हो जाता है।

(१२)जब एकादशी व्रत दो दिन होता है तब स्मार्त-परिवारजनों को पहले दिन एकादशी व्रत करना चाहिए।

(१३)दुसरे दिन वाली एकादशी को दूजी एकादशी कहते हैं।

(१४)सन्यासियों, विधवाओं और मोक्ष प्राप्ति के इच्छुक श्रद्धालुओं को दूजी एकादशी के दिन व्रत करना चाहिए।

(१५)जब-जब एकादशी व्रत दो दिन होता है तब-तब दूजी एकादशी और वैष्णव एकादशी एक ही दिन होती हैं।.

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